किसानों को नहीं मिल पा रही मिट्टी के स्वास्थ्य की जानकारी

  • 6 साल से बंद पड़ी है मिट्टी परीक्षण लैब

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। बुंदेलखंड के किसानों को मिट्टी की सही जानकारी उपलब्ध कराने के लिए मृदा परीक्षण प्रयोगशालाएं शुरू की गई थीं। लेकिन तकनीशियन नहीं होने से करोड़ों रूपए खर्च कर तैयार की गईं प्रयोगशालाएं बंद पड़ी हैं। इस वजह से किसानों को मिट्टी के स्वास्थ्य की जानकारी नहीं मिल पा रही है।
गौरतलब है कि खेती किसानी में मिट्टी की उर्वरा शक्ति बहुत महत्वपूर्ण होती है, लेकिन लगातार रासायनिक खाद के उपयोग से मिट्टी के तत्व बदल जाते हैं। किसानों को मिट्टी की उर्वरा शक्ति की सही जानकारी नहीं होती। किसानों को सही जानकारी देने के लिए मिट्टी के सैंपल की जांच की जाती है। ताकि किसान मिट्टी के रासायनिक तत्व के हिसाब से खाद का उपयोग कर सके। इसके लिए बुंदेलखंड में 16.24 करोड़ से 28 मिट्टी परीक्षण लैब बनाए गए थे, जो 6 साल से बंद हैं। इससे किसानों को मिट्टी परीक्षण कराने में परेशानी होती है।
4 माह से बेकाम पड़ा 87.21 लाख का केमिकल
जानकारी के अनुसार बुंदेलखंड के 5 जिलों में 28 मिट्टी परीक्षण लैब ऐसी है, जो 6 साल से बंद पड़ी है। बावजूद इसके इन मिनी लैब में 87.21 लाख रुपए का केमिकल भेज दिया। ये केमिकल 4 महीने से ऐसा ही पड़ा है, जो अप्रैल 2025 में एक्सपायर हो जाएगा। तकनीशियन नहीं होने से इन लैबों के अभी चालू होने की उम्मीद भी नहीं है। केंद्र सरकार के कृषि मंत्रालय ने राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के तहत साल 2017-18 में मध्यप्रदेश के प्रत्येक ब्लॉक में मृदा परीक्षण केंद्र खोलने के लिए राशि जारी की।
कहीं जर्जर हो रहा भवन कहीं ताला लटका
बुंदेलखंड में मृदा परीक्षण प्रयोगशालाओं की स्थिति बेहद खराब है। सागर जिले के रहली की मिट्टी परीक्षण लैब का भवन ही जर्जर हो गया है। पानी के पाइप टूट गए हैं। खिड़कियों के कांच भी तोड़ दिए गए हैं। भवन का चैनल खुला पड़ा है। इसके लिए आई मशीनें भी धूल खा रही है। दमोह जिले के बटियागढ़ की इस मिनी लैब का शिलालेख ही टूट गया लेकिन ताला नहीं खुला। यहां भी लैब के लिए 22 लाख रुपए की लागत से आए कम्प्यूटर और उपकरण स्टोर रूम में धूल खा रहे हैं। स्टॉफ अब तक पदस्थ नहीं किया। सागर जिले में 11 लैब है, इसमें से 10 लैब बंद पड़ी है। इन 10 लैब के लिए 45 बॉक्स केमिकल आया है। प्रत्येक बॉक्स की कीमत 65 हजार रुपए है। कुल 29.25 लाख रुपए का केमिकल आया है। छतरपुर जिले में 8 लैब है, इसमें से 7 लैब बंद पड़ी है। इन 7 लैब के लिए 80 बॉक्स केमिकल आया। प्रत्येक बॉक्स की कीमत 65 हजार रुपए है। कुल 52 लाख रुपए का केमिकल आया है। दमोह जिले में 7 लैब है, इसमें 6 लैब बंद है। इन 6 लैब के लिए 14 किट केमिकल आया। प्रत्येक किट की कीमत 14 हजार रुपए है। कुल 1.96 लाख का केमिकल आया। टीकमगढ़ जिले में 4 लैब है, इसमें 3 बंद है। इन 3 लैब के लिए 10 किट केमिकल आया। एक किट की कीमत 20 हजार रुपए है। कुल 2 लाख का केमिकल आया।
मशीनें खा रही हैं धूल
 ब्लॉक स्तर पर खोली गईं मिट्टी परीक्षण लैबों में ताला लटका हुआ है और मशीनें धूल खा रही हैं। इसके बाद भी जिम्मेदार अधिकारी ध्यान नहीं दे रहे हैं और इसे शुरू कराने कोई प्रयास नहीं किया जा रहा है। जानकारों का कहना है कि लाखों रुपए खर्च कर लैब का निर्माण किया गया है और मशीनें भी लगाई गई हैं, लेकिन उन्हें चलाने वाला कोई नहीं है। क्योंकि लैब में स्थायी स्टाफ की व्यवस्था नहीं की गई है।

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