नाथ के विश्वास पर खरा नहीं उतरना भारी पड़ा प्रजापति को

कमलनाथ

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश में अब तक जिस बड़े चेहरे का टिकट काटा गया है, वो है कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एन पी प्रजापति। वे दिग्विजय सरकार में मंत्री तो कमलनाथ सरकार में विधानसभा अध्यक्ष तक रह चुके हैं। प्रजापति को टिकट न मिलने से कांग्रेस से लेकर तमाम सियासी विश£ेष्क तक हतप्रभ रह गए। बताया जा रहा है कि उनकी कार्यशैली ऐसी थी कि , विपक्ष तो ठीक पार्टी के ही नेताओं में नाराजगी थी। इसके अलावा सरकार में रहने के दौरान और उसके बाद भी वे प्रदेशाध्यक्ष कमलनाथ के विश्वास पर खरे नहीं उतर पा रहे थे। यही वजह है कि नवरात्र के पहले दिन 144 उम्मीदवारों की पहली जारी की गई सूची में जिन चार विधायकों के टिकट काटे गए हैं उनमें एनपी प्रजापति का नाम भी शामिल था। इस मामले में पार्टी का कहना है कि उनके टिकट कटने की वजह खराब सर्वे रिपोर्ट रही है। यह बात अलग है कि कुछ स्थानों पर जरूर क्षेत्रीय व जातीय संतुलन साधने के लिए सर्वे रिपोर्ट की अनदेखी की गई है।
कांग्रेस ने इस बार अधिकांश सीटों पर सर्वे को आधार बनाया है, लेकिन उसमें यह भी देखा गया है कि संगठन द्वारा भेजे गए नाम सर्वे से मिलते रहे हैं या नहीं। कांग्रेस के जिन वर्तमान विधायकों के टिकट काटे गए हैं, उसमें सबसे बड़ा नाम पूर्व विधानसभा अध्यक्ष एनपी प्रजापति का है। प्रजापति प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ तथा पूर्व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सुरेश पचौरी के करीबी माने जाते हैं। अति विश्वसनीय सूत्रों के अनुसार कमलनाथ ने दो-तीन सर्वे रिपोर्ट एनपी प्रजापति को बुलाकर दिखाई और उन्हें सुधार करने को कहा। पिछले एक साल से यह क्रम चल रहा था। स्थिति में सुधार न होने के बाद सर्वे में एनपी प्रजापति पीछे रह गए, जिससे उनकी परम्परागत सीट गोटेगांव से पूर्व विधायक शेखर चौधरी को कांग्रेस पार्टी ने मैदान में उतारा है। बताया जाता है कि टिकट न मिलने से एनपी प्रजापति भी हतप्रभ हैं, लेकिन कुछ बोल नहीं रहे हैं। कांग्रेस की पहली सूची में 68 वर्तमान विधायकों की सीटें घोषित की गई है। जिसमें चार के टिकट काटे गए हैं, यानी 28 विधायकों के टिकट अभी होल्ड पर हैं, इनके होल्ड का कारण भी सर्वे को बताया गया है। होल्ड विधायकों की सूची में भोपाल दक्षिण- पश्चिम विधानसभा के विधायक पीसी शर्मा का भी नाम है। शर्मा लगातार क्षेत्र में सक्रिय हैं, इसके बावजूद भी वे सर्वे रिपोर्ट में पीछे रहे हैं। यह बात अलग है कि पार्टी ने उन्हें प्रत्याशी बनाए जाने का लगभग फैसला कर लिया है। अगली सूची में उनका नाम तय माना जा रहा है। इसी तरह वर्तमान 28 विधायकों के टिकट काटे जाने की संभावना बनी हुई है। बताया जाता है कि पार्टी हाईकमान ने यह भी तय किया है कि जिन विधायकों के टिकट काटे जाएंगे, वहां नए लोगों को टिकट उनसे चर्चा के बाद ही दिए जाएंगे। कांग्रेस पार्टी ने तीन-चार अलग-अलग सर्वे के बाद ही टिकट काटने और नए लोगों को टिकट देने का निर्णय लिया है। इस बार कांग्रेस पार्टी कोई ऐसी गलती नहीं करना चाह रही, जिससे पार्टी का किसी तरह का नुकसान हो।
यह भी आ रही वजह सामने
पार्टी सूत्रों का कहना है कि एनपी प्रजापति का टिकट काटे जाने की एक और बड़ी वजह है, वह हैं प्रदेश में पार्टी विधायकों के बागी होने के समय उनके द्वारा अध्यक्षीय अधिकार का सही तरीके से उपयोग नहीं करना, जिसकी वजह से पार्टी की सरकार को अल्पमत में आना पड़ा था। कहा तो यह भी जा रहा है कि उपचुनाव के दौरान भी उनकी कार्यप्रणाली को लेकर कमलनाथ नाराज हो गए थे, जिसके बाद से उनकी नाराजगी कम नहीं हुई है।
संगठन के काम पर भी नहीं उतर सके खरे
करीब दो साल पहले कमलनाथ ने प्रदेश में बाल कांग्रेस का गठन किया था, जिसका प्रभारी उनके द्वारा एनपी प्रजापति को सौंपा गया था, प्रजापति बाल कांग्रेस को सक्रिय कर उसकी गतिविधियां आगे बढ़ाने में नाकाम साबित हुए थे, जिसकी वजह से उनसे प्रभार वापस लेकर कमलनाथ को महेंद्र जोशी को बाल कांग्रेस का प्रदेश प्रभारी बनाना पड़ा था। इसका उद्देश्य एक साल में 16 से 19 साल के पांच लाख युवाओं को कांग्रेस के साथ जोडऩा था।

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