मानव अधिकार की आड़ में उगाही का धंधा

उगाही का धंधा
  • टीम बनाकर अलग-अलग विभागों में निरीक्षण करने पहुंच रहे लोग

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। मप्र में लोगों को ठगने के लिए ठगोरे तरह-तरह के तरीके अपना रहे हैं। अभी हाल ही में फिल्म बंटी और बबली की तरह ही लोगों को ठगने के लिए दो लोगों ने फर्जी पहचान बनाकर रंगदारी दिखायी, लेकिन उनका दांव उल्टा पड़ गया। हाथ तो कुछ नहीं आया बल्कि, आरोपियों को सलाखों की हवा खानी पड़ी है। घटना ग्वालियर की है, जहां दो आरोपियों ने खुद को मानवाधिकार संरक्षण संस्था का पदाधिकारी जताते हुए ठगी का प्रयास किया।
जानकारी के अनुसार मानव अधिकार आयोग से मिलते-जुलते नाम पर संगठन बनाकर ठगी का धंधा किया जा रहा है। प्रदेशभर में ऐसे कई फर्जी संगठन है, जो मानव अधिकार आयोग से मिलते-जुलते नाम लिखकर फर्जीवाड़ा कर रहे हैं। ग्वालियर और धार में ऐसा फर्जीवाड़ा पकड़ा गया है। यह ठग निरीक्षण से लेकर छापा तक मार रहे हैं। ग्वालियर में तो होटल, ब्यूटी पार्लर, स्पा सेंटर इनके निशाने पर रहते थे। धार में भी इसी तरह का फर्जीवाड़ा पकड़ा गया है। प्रदेश में मानवाधिकार संस्था के नाम पर ठगी का मामला उजागर होने के बाद पुलिस भी हैरान है। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि राज्य मानवाधिकार आयोग और राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग दोनों ही देश की बड़ी प्रख्यात संस्थाएं हैं। ऐसे में इनके नाम को कॉपी कर जालसाजी की संभावना को देखते हुए पुलिस तीनों आरोपियों से पूछताछ कर रही है और यह पता लगाया जा रहा है कि तीनों आरोपी जिस संस्था से जुड़े हुए है, ऐसी कोई संस्था पंजीकृत है भी या नहीं। इसे लेकर मानव अधिकार आयोग के वरिष्ठ सदस्यों का कहना है- मानव अधिकार आयोग किसी भी संस्था को ऐसी कार्रवाई के लिए अधिकृत नहीं करता। संवैधानिक संस्थाएं ही इस तरह से निरीक्षण कर सकती हैं। मानव अधिकार आयोग ने ऐसे मामलों के सामने आने पर पुलिस मुख्यालय से लेकर सभी जिलों के पुलिस एवं प्रशासनिक अधिकारियों को पत्र भी लिखे हैं। राज्य मानव अधिकार आयोग ऐसे मामलों को लेकर दोबारा पुलिस व प्रशासनिक अधिकारियों से पत्राचार करेगा।
मानवाधिकार संस्था के नाम पर ठगी
ग्वालियर के सिटी सेंटर इलाके में सामाजिक कल्याण एवं मानव अधिकार सुरक्षा काउंसिल की टीम गोल्डन पेटल्स नाम के ब्यूटी पार्लर-सैलून में पहुंच गई। यहां महिला-पुरुष दोनों ही बाल कटवाने एवं मेकअप के लिए आते हैं। यहां पांच लोगों ने छापा मारा, सीधे वीडियो बनाना शुरू कर दिए। इसके बाद संचालक को सीधे धमकाया- अगर यहां ब्यूटी पार्लर चलाना है तो 50 हजार रुपये का इंतजाम एक घंटे में करना होगा। इनके पास पहचान पत्र थे। फिर एफआईआर कराने की धमकी दी। इन लोगों ने पहले खुद को मानव अधिकार आयोग से बताया था, फिर पहचान पत्र मांगने पर सामाजिक कल्याण एवं मानव अधिकार सुरक्षा काउंसिल का पहचान पत्र दिखाया। तब संचालक को संदेह हुआ। इसके तीन सदस्य पकड़े गए हैं, जिन पर पुलिस ने एक्सटार्शन की धारा में एफआइआर की है। धार में भी कुछ दिन पहले मानव अधिकार आयोग का नाम लेकर एक टीम अलग-अलग विभागों में निरीक्षण करने पहुंच गई। इस टीम से जब पहचान पत्र मांगा तो भारतीय मानवाधिकार ट्रस्ट लिखा था, इस पर बोले- मानव अधिकार आयोग ने ही उन्हें अधिकृत किया है। उन्हें निरीक्षण करने और खामी मिलने पर कार्रवाई का अधिकार है। जब लगातार शिकायतें आई तो प्रशासनिक अधिकारियों ने ऐसी संस्थाओं को लेकर एडवाइजरी जारी की और कहा कि यह संस्थाएं मानव अधिकार आयोग से संबंधित नहीं हैं। इसे लेकर पूर्व में डीजीपी से लेकर मुख्य सचिव तक को आयोग की ओर से पत्र लिखा गया था। राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग एवं राज्य मानव अधिकार आयोग द्वारा किसी भी ऐसी संस्था को अधिकृत नहीं किया गया है। अगर कोई संस्था जो मानव अधिकार आयोग से मिलते-जुलते नाम से रजिस्टर्ड है तो झांसे में न आएं। ऐसी संस्थाओं को किसी भी तरह के निरीक्षण, जांच, छापा मारने का अधिकार नहीं है। मप्र मानव अधिकार आयोग के अध्यक्ष मनोहर ममतानी का कहना है कि यह बिलकुल गलत है, ऐसा करने वालों पर सख्त से सख्त कार्रवाई होनी चाहिए। अगर नाम से मिलती-जुलती किसी भी संस्था का कोई सदस्य आता है तो तुरंत पुलिस को सूचना दें। राज्य मानव अधिकार आयोग को भी सूचना दी जा सकती है।

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