- 9 अगस्त को प्रदेश में आदिवासी दिवस पर पार्टी करेगी ब्लॉक स्तर तक कार्यक्रमों का आयोजन
भोपाल/हरीश फतेहचंदानी/बिच्छू डॉट कॉम। नगरीय निकाय चुनाव में नगर निगमों में मिली बड़ी सफल्ता से उत्साहित अब कांग्रेस की नजर प्रदेश की सबसे बड़ी दूसरी आबादी यानि की आदिवासियों पर लग गई है। अब कांग्रेस ने इस समुदाय को पार्टी से जोड़ने के लिए 9 अगस्त को पार्टी स्तर पर आदिवासी दिवस मनाने का तय कर लिया है। दरअसल इस वर्ग को साथ मिलने की वजह से ही कांग्रेस को डेढ़ दशक बाद प्रदेश में अपनी सरकार बनाने का मौका मिल सका था।
प्रदेश में इस वर्ग के विधानसभा की 47 सीटें आरक्षित हैं और जो भी दल इनमें से अधिक सीटें जीतता है उसी दल की सरकार प्रदेश में बनती है। कांग्रेस की इस कवायद को आगामी विधानसभा चुनाव की तैयारियों से जोड़कर देखी जा रही है। यह बात अलग है की भाजपा की नजर भी इस वर्ग के मतदाताओं पर लगी हुई है। यही वजह है की भाजपा द्वारा प्रदेश में सरकार बनते ही उन्हें जोड़ने के लिए कई तरह के आयोजन किए जा चुके हैं।
यही नहीं देश में अनुसूचित जनजाति के बड़े वोट बैंक का समर्थन हासलि करने के लिए ही भाजपा द्वारा द्रौपदी मुर्मू को राष्ट्रपति का चुनाव जिताकर बड़ा दांव खेला गया है। दरअसल द्रौपदी मुर्मू आदिवासी समुदाय से आती हैं। आदिवासी बाहुल्य प्रदेशों के अलावा विधानसभा चुनाव में मप्र में भी भाजपा को चुनावी फायदा मिलना तय माना जा रहा है। यही वजह है की प्रदेश में कांग्रेस भी आदिवासियों को साधने का कोई मौका नहीं खोना चाहती है। इसकी वजह से ही अब प्रदेश में कांग्रेस द्वारा 9 अगस्त को विश्व आदिवासी दिवस को जोर-शोर से मनाने का फैसला कर लिया गया है। खास बात यह है की इसके आयोजन कांग्रेस द्वारा ब्लॉक स्तर तक करने का तय किया गया है। इसके माध्यम से कांग्रेस गांव-गांव में संदेश देने का प्रयास करने वाली है। उस दिन मुख्य आयोजन पार्टी द्वारा शहीद चंद्रशेखर आजाद की जन्मस्थली भाभरा जिला अलीराजपुर में करने का तय किया है। इस कार्यक्रम में स्वयं प्रदेशाध्यक्ष कमलनाथ भी शामिल होंगे।
कांग्रेस सूत्रों के मुताबिक कमलनाथ आदिवासियों से उनकी समस्याओं, सरकार की आदिवासी विरोधी नीतियों आदि को लेकर कार्यक्रम में चर्चा करेंगे। इसी तरह से प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने जिला/शहर कांग्रेस अध्यक्षों को भेजे गए पत्र में 9 अगस्त विश्व आदिवासी दिवस और भारत छोड़ों आंदोलन दिवस पर स्वतंत्रता के वीर शहीदों के सम्मान एवं स्वतंत्रता संग्राम के अमर सेनानियों के व्यक्तित्व और कृतित्व को याद कर कार्यक्रम आयोजित किए जाने के निर्देश दिए हैं। उल्लेखनीय है की एक समय अनुसूचित जनजाति को कांगे्रस का पंरपरागत वोट बैंक माना जाता रहा है। करीब डेढ़ दशक से यह वोट
बैंक कांग्रेस से दूर होकर भाजपा के साथ चला गया, जिसकी वजह से कांग्रेस को सत्ता से बाहर रहना पड़ा है।
अवकाश को लेकर हो चुका है विवाद
वर्ष 2019 में तत्कालीन कमलनाथ सरकार ने विश्व आदिवासी दिवस पर 9 अगस्त को प्रदेश में शासकीय अवकाश घोषित किया था। वर्ष 2020 में भाजपा ने सत्ता में आने के बाद 9 अगस्त को शासकीय अवकाश निरस्त कर दिया था। प्रदेश में अनुसूचित जनजाति के लिए विधानसभा की 47 सीटें आरक्षित हैं।
आदिवासियों की सरकार बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका रहती है। पिछले चुनाव में कांग्रेस ने 30 सीटों पर जीत दर्ज की थी। यही नहीं इस वर्ग के प्रदेश में करीब एक करोड़ से अधिक मतदाता हैं जो प्रदेश की करीब सौ सीटों को प्रभावित करने की क्षमता रखते हैं। कांग्रेस का आरोप है कि 15 माह की कांग्रेस सरकार के समय आदिवासी वर्ग के लिए कई कदम उठाए गए थे और योजनाएं भी लागू की गई थीं, लेकिन भाजपा सरकार ने उन्हें बंद कर दिया। भाजपा ने हमेशा बांटने और तोड़ने की राजनीति की है। आदिवासी वर्ग को भी बांटने का काम किया जा रहा है। इसके लिए गैर राजनीतिक संगठनों का उपयोग भी हो रहा है, जबकि कांग्रेस की संस्कृति लोगों को जोड़ने की रही है।