मप्र में आबकारी विभाग की ब्रुअरीज पॉलिसी फेल

आबकारी विभाग
  • प्रदेश में ब्रुअरीज खोलने में होटल वालों ने नहीं दिखाई रूचि …

भोपाल/गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। दिल्ली-मुंबई और चेन्नई जैसे मेट्रो शहर की तर्ज पर होटल में ही बनी बियर ग्राहकों को परोसने के लिए आबकारी विभाग की ‘माइक्रो ब्रुरी’ पॉलिसी फेल हो गई है। ऐसा इसीलिए कहा जा रहा है कि नई आबकारी नीति लागू होने के बाद से अब तक माइक्रो ब्रुरी खोलने के लिए एक भी आवेदन नहीं आया है। आबकारी नीति में भोपाल, इंदौर, ग्वालियर और जबलपुर में चुनिंदा सुपर मार्केट में वाइन की बिक्री करने का प्रावधान किया गया है। इसके लिए लायसेंस लेना अनिवार्य है। वाणिज्यिक कर विभाग के अधिकारियों का कहना है कि अब तक एक भी सुपर मार्केट संचालक ने वाइन की बिक्री के लिए लायसेंस लेने आवेदन नहीं किया है और न ही किसी ने इस संबंध में पूछताछ की है।
सूत्रों का कहना है कि माईक्रोब्युर्री खोलने की पॉलिसी आने के बाद कुछ होटल संचालकों ने इस दिशा में कदम बढ़ाने पर विचार किया था। लेकिन उन्हें इस बात का डर सता रहा है कि इन्वेस्टमेंट कर देने के बाद सरकार स्कीम बंद न कर दे। गौरतलब है कि इसके लिए ढाई लाख रुपए का वार्षिक लाइसेंस लेना होगा, लेकिन मशीन लगाने के लिए 3 करोड़ रुपए का इन्वेस्टमेंट करना होगा। वहीं प्लांट की जगह और कर्मचारियों को मिलाकर इसकी लागत और बढ़ जाएगी। हालांकि आबकारी व्यवसाय से जुड़े लोगों का कहना है कि सरकार की ये पॉलिसी अस्थायी है, जिसमें इन्वेस्टमेंट करने से होटल मालिक डर रहे हैं। इस प्रकार की ब्रेवरी मुंबई, दिल्ली और चेन्नई जैसे शहरों में ही संचालित की जा रही है, जिससे हाथों-हाथ ग्राहकों को बियर बनाकर परोसी जाती है।
जनवरी में नीति को मंजूरी
दरअसल, शिवराज कैबिनेट ने गत जनवरी में आबकारी नीति को मंजूरी दी थी। इसमें भोपाल और इंदौर के लिए माईक्रो ब्रुर्री खोलने का प्रावधान किया गया है। सरकार का मानना था कि माईक्रो ब्रुर्री खुलने से राजस्व में भी वृद्धि होगी। माईक्रो ब्रुरी बीयर निर्माण की छोटी यूनिट होती हैं, जिनमें रोजाना 500 से 1000 लीटर बीयर बनाने की क्षमता होती है। माईक्रो ब्रुरी यूनिट होटलों, रेजॉर्ट्स में लगाए जा सकते हैं। इनमें फ्रेश बीयर परोसी जाती है। इस बीयर में एल्कोहल की मात्रा कम होती है। माईक्रोब्युर्री प्लांट में बनने वाली बीयर संबंधित होटल, रेजॉर्ट्स में ही परोसी जा सकती है, अन्य कहीं उसकी बिक्री नहीं की जा सकती। यह बीयर बड़ी कॉपोर्रेट ब्रूअरीज के मुकाबले सस्ती होती है। महाराष्ट्र, कर्नाटक, हरियाणा व दिल्ली में रेस्तरां व पब में माईक्रो ब्रुर्री यूनिट खुली हुई हैं। इनमें फ्रेश बीयर बनाकर परोसी जाती है।
गेहूं और चावल की बियर बना सकेंगे
माईक्रो ब्रुरी प्लांट में मशीन में ग्रेन, यानी गेहूं के साथ-साथ चावल से बनने वाली बियर भी बना सकेंगे। इसके लिए उसी तरह रॉ मटेरियल लगेगा ,जो बड़ी ब्रेवरी में लगता है। पूरा प्लांट अलग से स्थापित होगा और बियर बनने के बाद उसकी लाइन सीधे होटल और रेस्टोरेंट के बार में लगाई जाएगी, जहां डिस्पेंसर से बियर निकालकर ग्राहकों को परोसी जाएगी।
 स्कीम बंद होने का डर
भोपाल-इंदौर जैसे शहर में अभी डिस्टलरी की बनी हुई बियर सप्लाई की जाती है। नई स्कीम के तहत होटल में ही बियर बनने लगेगी। हालांकि इस पर आबकारी विभाग का नियंत्रण रहेगा। दोनों शहरों की बड़ी होटलों में इस प्रकार की माइक्रो ब्रुरी लग सकती है, लेकिन डर इस बात का है कि लगातार प्रदेश में शराबबंदी को लेकर मांग उठती रही है और 3 करोड़ रुपए का इन्वेस्टमेंट करने के बाद सरकार ने अगले साल ही नीति में परिवर्तन कर दिया या यह स्कीम बंद कर दी तो इन्वेस्टमेंट बेकार जाएगा। इसको लेकर भी पसोपेश की स्थिति है।
आदिवासी जिलों में बनेगी हेरिटेज शराब
नई आबकारी नीति में आदिवासियों द्वारा महुआ से बनाई जाने वाली शराब को हेरिटेज शराब का दर्जा दिया गया है। यह शराब टैक्स फ्री होगी। आबकारी नीति में हेरिटेज शराब निर्माण को पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर अलीराजपुर और डिंडोरी जिले में शुरू किया जाना प्रस्तावित है। अलीराजपुर व डिंडोरी के आदिवासी युवाओं के दो स्व सहायता समूहों को पुणे की एक बड़ी सुगर मिल में शराब निर्माण की ट्रेनिंग दी जा चुकी है। अब इन दोनों स्व सहायता समूहों को अलीराजपुर व डिंडोरी में शराब निर्माण की यूनिट लगानी है। यूनिट लगाने की प्रक्रिया चल रही है। गौरतलब है कि प्रदेश में कहीं भी शराब दुकानों से हेरिटेज शराब की बिक्री की जा सकेगी।

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