हर साल शहरी जनता को देने होंगे विकास कामों के लिए 75 करोड़

 75 करोड़

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश सरकार जल्द ही एक नई योजना लाने वाली है। इसके तहत सरकार व शहरी जनता मिलकर विकास के कामों को आगे बढ़ाएगी। इसके लिए नए बजट में राशि का प्रावधान भी किया जाएगा, जिससे तय समय पर विकास के लिए ग्रांट के रुप में नगरीय निकायों को राशि दी जा सके। नगरीय विकास विभाग द्वारा यह योजना पांच साल के लिए तैयार की जा रही है, जिसके तहत शहरी इलाकों में पांच साल के अंदर 750 करोड़ रुपए के काम करने की योजना है। अहम बात यह है कि इसमें आधी राशि आमजन से भागीदारी के नाम पर ली जाएगी। सरकार इसके तहत हर साल करीब 150 करोड़ रुपए के काम कराएगी। जिसके तहत बुनियादी इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार करने का काम किया जाएगा। इस योजना के तहत कराए जाने वाले कामों का सोशल ऑडिट भी कराया जाएगा। जिससे यह पता लगाया जाएगा कि इससे आमजन को कितना लाभ हो रहा है। यह  पूरा काम मुख्यमंत्री जन सहभागिता निर्माण योजना के तहत किया जाएगा। उल्लेखनीय है कि नगरीय विकास एवं आवास विभाग इस योजना को लॉन्च करने जा रहा है। बजट में इसके लिए प्रावधान करने वित्त विभाग से चर्चा हो चुकी है। साथ ही विभागीय मंत्री कैलाश विजयवर्गीय को योजना का प्रेजेंटेशन दिया जा चुका है। नई योजना में सडक़, नाला-नाली, सार्वजनिक बगीचे, बाउंड्री वॉल, खेल सुविधाएं, स्वच्छ भारत समेत इंफ्रास्ट्रक्चर से जुड़े अन्य विकास काम कराए जा सकेंगे। प्रस्ताव के मुताबिक योजना की अवधि वित्तीय वर्ष 2024-25 से शुरू होकर 2028-29 तक रहेगी। जनभागीदारी और राज्य शासन की आर्थिक सहायता का अनुपात 50-50 रहेगा। नगर निगमों को हर साल पांच करोड़, नगर पालिकाओं को एक करोड़ और नगर परिषदों को 25 लाख रुपए का ग्रांट भी दिया जाएगा। दरअसल इसके पीछे शासन की मंशा जनभागीदारी से अधोसंरचना विकास किए जाने पर सार्वजनिक संपत्ति को लेकर लोगों में जिम्मेदारी का भाव पैदा करना है। कार्य के क्रियान्वयन, गुणवत्ता व पूरा होने पर उचित  और नगरीय निकायों व राज्य शासन पर आर्थिक बोझ में कमी लाना है।
समय पर नहीं हुआ काम तो लौटानी होगी ग्रांट
राज्य शासन की ओर से नगरीय निकायों को हर साल दो किश्तों में ग्रांट दी जाएगी। इसके तहत पहली हर साल अक्टूबर में योजना किए गए कामों की समीक्षा की जाएगी। काम में प्रगति या फिर संतोषजनक नहीं मिलने पर राज्य शासन द्वारा दी गई ग्रांट की राशि संबंधित निकाय से वापस ले ली जाएगी। जिसे उस निकायों को दे दिया जाएगा, जहां पर अच्छा काम हुआ होगा।
इस तरह के प्रावधान
योजना में स्थानीय स्तर पर लोगों की सहमति से कामों का चयन किया जाएगा। संबंधित नगरीय निकाय इसका एस्टीमेट तैयार कराएगा। साथ ही यह सुनिश्चित करेगा कि सार्वजनिक भूमि पर कार्य प्रस्तावित किया गया है। जनभागीदारों से 50 फीसदी राशि मांग पत्र के माध्यम से इक_ा कर निकाय के खाते में जमा की जाएगी। यह नगद में होगी। विशेष परिस्थितियों में केवल सीमेंट व स्टील लेने की अनुमति रहेगी। इसके बाद प्रस्ताव बना कर नगरीय प्रशासन संचालनालय को भेजा जाएगा। वहां से पहले आओ, पहले पाओ के आधार पर मंजूरी दी जाएगी। स्वीकृत राशि से अधिक लगने पर अतिरिक्त खर्च निकाय को उठाना होगा।

Related Articles