मूंग बिकी फिर भी किसान की नहीं भर सकी जेब

मूंग बिकी
  •  236 करोड़ के भुगतान का बना हुआ है इंतजार

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। फसल बिकने पर ही किसान की जेब भरती है, लेकिन प्रदेश में ऐसे हजारों किसान हैं, जिनकी फसल तो बिक गई , लेकिन जेब खाली ही बनी हुई है। किसानों को अपनी जेब भरने का इंतजार अब भी बना हुआ है। दरअसल, सरकार ने किसानों की समर्थन मूल्य पर मंूग की खरीदी तो कर डाली, लेकिन उन्हें अब तक भुगतान नहीं किया। यह हाल तब बने हुए हैं, जब खुद मुख्यमंत्री ने अफसरों को सात दिन में भुगतान करने के निर्देश दे रखे हैं। अगर राजधानी के ही पड़ौसी जिले सीहोर की बात करें तो इस वर्ष समर्थन मूल्य पर मूंग का विक्रय करने के लिए 29448 किसानों ने पंजीयन कराया था, जिसमें से 27301 किसानों ने स्लॉट बुक कराए थे। इनमें से 26022 किसानों ने 7,17,340 क्विंटल मूंग समर्थन मूल्य पर बेंचा भी। इस दौरान मंूग की खरीदी के लिए अंतिम तारीखों में भी वृद्वि की गई।
किसानों को लग रहा था कि सरकार किसानों के खातों में सात दिन के अंदर उपज का भुगतान भी कर देगी। लेकिन मूंग को बेंचे हुए अब एक माह का समय होने जा रहा है , लेकिन अभी तक उनके खातों में एक ढेला भी नहीं पहुंचा है। ऐसे में किसानों को नई फसल के लिए इधर-उधर से पैसों की तो जुगाड़़ करनी ही पड़ रही है साथ ही उन्हें पैसों के आने के इंतजार में बैंकों के भी चक्कर काटने पड़ रहे हैं। अहम बात यह है कि संबधित अफसर भी उन्हें यह नहीं बता रहे हैं कि आखिर उनके खातों में पैसा कब आएगा।  गौरातलब है कि इस वर्ष प्राइज सपोर्ट स्कीम के तहत शासन द्वारा 24 जून से 31 जुलाई तक ग्रीष्मकालीन मूंग खरीदी किए जाने के आदेश जारी किए गए थे। लेकिन मूंग उपार्जन का कार्य खरीदी का काम 15 दिन की देरी से शुरू हुआ। इसके चलते किसानों को लंबा इंतजार करना पड़ा। खरीदी शुरू भी हुई और किसानों ने स्लॉट बुकिंग भी की, लेकिन गोदामों पर स्लॉट बुकिंग फुल होने से कई किसान अंतिम तिथि तक मूंग का विक्रय करने से वंचित रह गए। जिन किसानों ने मूंग का विक्रय किया इनमें से आधे किसानों के खातों में ही मूंग का भुगतान हो सका है।
लक्ष्य से 3 लाख क्विंटल की अधिक खरीदी
इस वर्ष एनसीसीएफ द्वारा मूंग की खरीदी की गई, जिसमें केंद्र सरकार का लक्ष्य सीहोर जिले में 4 लाख क्विंटल तय किया गया था। लेकिन किसानों के विरोध के बाद तिथि में संशोधन कर पांच दिन और खरीदी की गई, जिससे खरीदी का आंकड़ा 7 लाख क्विंटल को पार कर गया। केंद्र सरकार द्वारा तय लक्ष्य के अनुसार किसानों को 61.48 फीसदी याने 613 करोड़ में से 377 करोड़ रुपए का भुगतान किया जा चुका है। अब भी 236 करोड़ का भुगतान किसानों को होना शेष है। ऐसे में किसान लगातार बैंकों में अपने खातों की जानकारी ले रहा है, लेकिन खातो में राशि ना आने से वह मायूस दिखाई दे रहा है। किसानों को भुगतान कब तक प्राप्त होगा, इस बारे में अधिकारी भी किसानों को संतुष्ट नहीं कर पा रहे हैं।
अधिकारी भी नहीं दे रहे जवाब: मूंग का विक्रय कर भुगतान का इंतजार कर रहे किसानों का कहना है कि हमने खरीदी शुरू होने के 10 दिन के अंदर ही मूंग का विक्रय केंद्रों पर कर दिया। हमारे बाद जिन किसानों ने मूंग तुलाया उनके खातो में मूंग की राशि आ चुकी है, लेंकिन हमारे खाते अब भी खाली है।
गोदाम संचालकों की लापरवाही
इस वर्ष मौसम की अनुकूलता के चलतें क्षेत्र में मूंग का उत्पादन भी बहुत अच्छा हुआ और दाने में भी बोल्ड पका। बावजूद इसके खरीदी में सर्वेयरों व सुपरवाइजरों की संदिग्ध भूमिका के चलतें कई गोदामों पर किसानों के पंजीयनों पर व्यापारिक सौदा हुआ, जिसमें 68912 हजार क्विंटल मूंग जांच के दौरान 25 गोदामों में नान एफएक्यू पाया गया। इसके चलते जिला उपार्जन समिति द्वारा गोदामों की स्टेक का रिजेक्ट कर उसका अपग्रेडेशन कराए जाने के निर्देश दिए गए। लेकिन कुछ गोदाम संचालक मूंग की छनाई में भी लापरवाही कर हाथ पर हाथ धरे बैठे हुए हैं। गोदाम संचालकों को मूंग की छनाई में लाखों रुपए की चपट लग रही है, जिससे वह इस मामले में फर्जी रिपोर्ट बनाकर जिला उपार्जन समिति को सौंपने की तैयारी में है। इस सबंध में कृषि विभाग के एक अफसर का कहना है कि जिलेभर में हुई मूंग खरीदी के 613 करोड़ में से 377 करोड़ का रुपए का भुगतान किसानों को कर दिया गया है, शेष किसानों को भी शीघ्र ही भुगतान कर दिया जाएगा।

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