- पार्टी हाईकमान कर रहा मॉनिटरिंग
भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश में भले ही भाजपा ने लगतार कांग्रेस नेताओं का दलबदल कराकर कांग्रेस पर मानसिक रूप से बढ़त ले ली है, लेकिन इसके बाद भी पार्टी हाईकमान चुनाव में कोई कोर कसर नहीं रखना चाहता है। यही वजह है कि पार्टी के दिग्गज नेताओं को इस बार अलग-अलग सीटों का जिम्मा देकर जीत का मर्ग प्रशस्त करने में लगी हुई है। इनमें वे सीटें खासतौर पर शामिल हैं , जहां पर कांग्रेस से कड़ी चुनौती मिलने की संभावना बनी हुई है। यही वजह है कि पार्टी हाईकमान द्वारा लगभग हर सीट के चुनावी प्रबंधन से लेकर प्रचार तक की कैफियत प्रभारी बनाए गए नेताओं से ली जा रही है। कांग्रेस के कब्जे वाली छिंदवाड़ा सीट पर भाजपा ने अपने सबसे अनुभवी कैलाश विजयवर्गीय को जिम्मेदारी सौंपी है, जो लगातार वहां पर पार्टी प्रत्याशी की परछाई बने हुए हैं। वे जनता का पार्टी के लिए समर्थन मांग रहे हैं। वैसे तो विजयवर्गीय महाकौशल क्लस्टर के प्रभारी होने के नाते यहां की सभी संसदीय सीटों पर नजर जमाए हुए हैं, लेकिन उनके लिए सबसे बड़ा टास्क कांग्रेस से छिंदवाड़ा सीट जीतने का है। यहां सीएम डॉ. मोहन यादव भी पिछले एक पखवाड़े में कई दौरे कर चुके हैं। जानकारों का कहना है कि भाजपा की रणनीति है कि पूर्व सीएम कमलनाथ की इस तरह से घेराबंदी की जाए कि वे छिंदवाड़ा से बाहर प्रचार करने नहीं निकल सकें। कहा जा रहा कि भाजपा अपने इस मकसद में सफल हो रही है और कमलनाथ छिंदवाड़ा से बाहर नहीं निकल पा रहे हैं। इसी तरह दूसरे बड़े नेता प्रहलाद पटेल बालाघाट में अपना डेरा जमाए हुए हैं। वे वहां लगातार दौरे कर पार्टी कार्यकर्ताओं का हौसला बढ़ा रहे हैं, तो वहीं यहां संभावित भितरघात पर भी नजर बनाए हुए हैं। जानकारों का मानना है कि इस बार नया चेहरा होने की वजह से कुछ पुराने पार्टी नेता भितरघात कर सकते हैं। पार्टी के पास ऐसे इनपुट हैं, जिससे बचने के लिए शीर्ष नेतृत्व ने मंत्री प्रहलाद पटेल को चुनाव तक पूरा समय बालाघाट में देने को कहा है। इधर, सीधी की कमान उपमुख्यमंत्री राजेन्द्र शुक्ला को सौंपी गई है। वे लगातार इस संसदीय सीट पर टिकट चयन से संभावित नराजगी पर नजर जमाए हुए हैं। सूत्रों की मानें यहां की पूर्व सांसद रीती पाठक से भी कहा गया है कि उनके क्षेत्र के परिणाम पार्टी में उनके कद को तय कर सकती है। दरअसल यहां से पूर्व राज्यसभा सांसद अजय प्रताप सिंह बगाबत कर गोंडवाना गणतंत्र पार्टी की टिकट से मैदान में हैं। ऐसे में उनकी वजह से होने वाले किसी भी तरह का डैमेज को कंट्रोल करने के लिए पार्टी ने इन नेताओं को टास्क थमाया हुआ है। पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने भी महाकौशल अंचल में धुंआधार प्रचार किया है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने भी इस अंचल पर सबसे ज्यादा फोकस किया है। उनके अलावा सूबे के मंत्री राकेश सिंह सहित दूसरे नेताओं को भी चुनावी जीत के लिए अलग-अलग क्षेत्रों की जिम्मेदारी दी गई है।
दिग्गजों का फोकस पहले चरण की सीटों पर
बताया गया है कि पहले चरण में जहां चुनाव होने हैं, वहां के लिए पार्टी ने अपने सभी दिग्गज नेताओं को मैदान में उतार दिया है। ये नेता मतदान से पहले तक बूथ स्तर तक पहुंचकर यह सत्यापित करेंगे कि चुनाव में भाजपा के लिए सब कुछ ठीक है, जहां भी उन्हें कमियां दिखाई देंगी, उसे तत्काल दूर करने के उपाय निकाले जाएंगे। सूत्रों का कहना है कि पहले चरण में जहां चुनाव होने है, वहां से हर दिन चुनावी फीडबैंक दिल्ली भेजा जा रहा है। इतना ही नहीं दिल्ली से विशेषज्ञों द्वारा अलग-अलग क्षेत्रों के लिए रणनीति भी भेजी जा रही है, जिसके आधार पर नेताओं की सभाएं व अन्य कार्यक्रम तय हो रहे हैं।
दो बार आ चुके हैं प्रधानमंत्री, शाह आएंगे
भाजपा ने आदिवासी वोट बैंक को साधने के लिए अपने सबसे बड़े चेहरे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को आगे किया है। वे तीन दिन में दो बार महाकौशल अंचल के जरिए आदिवासियों से समर्थन मांगने आ चुके है। अब केन्द्रीय मंत्री अमित शाह भी इस अंचल के दौरे पर आकर आदिवासियों को यह समझाने की कोशिश करेंगे कि उनके हितों में भाजपा ही इकलौता दल है, जिनकी सरकारों ने उनके लिए काम किया है।
बड़े नेता भी कर रहे प्रचार
पहले चरण के मतदान से पहले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ,केंद्रीय मंत्री अमित शाह, राजनाथ सिंह सहित कई राष्ट्रीय नेता मध्यप्रदेश की अलग-अलग लोकसभा सीटों पर प्रचार करेंगे। जानकारी के अनुसार केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह 11 अप्रैल को रीवा एवं सतना प्रवास पर रहेंगे। मुख्यमंत्री भी इन सीटों पर हर दिन दो से तीन सभाएं कर रहे हैं।