अरबों खर्च, फिर भी वन महकमा नहीं बचा पा रहा पौधे

वन महकमा
  • 12 साल में महज 18 फीसदी पौधे ही जिंदा बचा पाया है विभाग

    भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। एक तरफ प्रदेश में हर साल करोड़ों रुपए खर्च कर पौधारोपण किया जा रहा है, तो दूसरी तरफ वन महकमे की बड़ी लापरवाही की वजह से यह पौधे सुख जाते हैं या फिर मर जाते हैं। इसकी वजह से प्रदेश में न तो हरियाली बढ़ पा रही है और न ही वनक्षेत्र में इजाफा हो पा रहा है। सरकार को जरुर हर साल करोड़ों रुपए का चूना लग जाता है। इसके बाद भी जिम्मेदारों पर सरकार व शासन कोई कड़ी कार्रवाई करने की हिम्मत नहीं जुटा पाता है। फलस्वरूप हर साल पौधे मारने की घटनाएं लगातार होती रहती हैं।
    प्रदेश के वन विभाग के 16 जिलों की 21 डिवीजनों के आंकड़े इस बात की चींख-चींख कर गवाही दे रहे हैं। 12 सालों में इन जिलों में 33 लाख से अधिक पौधे रोपने का दावा किया गया है , लेकिन उनमें से 27 लाख से अधिक पौधे अब पूरी तरह से गायब हो चुके हैं। इस तरह की बड़ी गड़बड़ी सामने आने के बाद अब वन मुख्यालय की नींद खुली, तो जिम्मेदार डीएफओ को कारण बताओ नोटिस जारी तो किए गए , लेकिन किसी भी डीएफओ ने नोटिस का उत्तर देना तक मुनासिब नहीं समझा है। वन मुख्यालय से अब एक बार फिर से मैदानी स्तर पर पदस्थ संबंधित जिलों के डीएफओ को नोटिस देने की तैयारी की जा रही है। इस पूरे मामले में सर्वाधिक भ्रष्टाचार जबलपुर वृत्त में सामने आया है। इस वृत्त में लगभग 14.12 लाख पौधे लगाए गए, जिनमें से  4.72 लाख पौधे पूरी तरह से या तो मर चुके हैं या फिर गायब हैं। आलम यह है कि कटनी अंतर्गत विजयराघवगढ़ के सिझानी ग्राम पंचायत अंतर्गत वर्ष 2012 में 30 हजार पौधे 30 हेक्टेयर में लगाए गए थे , लेकिन मौक पर एक भी पौधा नजर नहीं आता है। इसी तरह से मुरैना वन मंडल अंतर्गत कैमारा कलां में एक हेक्टेयर क्षेत्र में 50 पौधे लगाए गए, लेकिन इनमें दो पौधे ही जिंदा रह सके। ग्वालियर वन मंडल के बदोरी में एक हेक्टेयर में 500 पौधे रोपे परन्तु 494 मर गए। मुरैना में ही मवई में पांच हेक्टेयर में 5,500 पौधे लगाए इनमें वन महकमा एक पौधा ही बचा सका है।
    ऐसे हुआ खुलासा
    दरअसल प्रदेश में कई सालों से पौधरोपण के नाम पर वन विभाग के अफसर बड़ा खेल कर रहे थे। इसकी सभी को जानकारी होने के बाद भी कभी भी किसी जिम्मेदार पर कोई कार्रवाई नहीं की गई। इसकी लगातार हो रही शिकायतों के बाद खुलासा वन मुख्यालय ने मूल्यांकन कराया। मूल्यांकन रिपोर्ट में इसकी हकीकत बताई गई। इस रिपोर्ट से पता चला कि 20 से अधिक वन मंडलों में प्लांटेशन के बाद करीब 18 फीसदी ही पौधे जीवित मिले हैं। वन मंडल अंतर्गत वर्ष 2011 से पौधरोपण का काम किया जा रहा है। वन मुख्यालय के अनुसार वैसे तो एक पौधे की कीमत अलग-अलग वन मंडल में अलग होती है, परंतु एक पौधे पर औसतन 60 रुपए खर्च होते हैं। अगर इसी हिसाब से जोड़ा जाए तो 27.50 लाख खराब हुए पौधों की कीमत 16.50 करोड़ के करीब होती है।
    अलग-अलग योजनाओं के तहत कराया गया प्लांटेशन
    जिलों में अलग-अलग योजनाओं के तहत प्लांटेशन कराया गया है। इनमें मुख्य तौर पर कार्य योजना क्रियान्वयन, पर्यावरणीय वानकी, बांस मिशन, जेएफएमसी, एफडीए (एनएपी), बुंदेलखंड पैकेज, लघु वनोपज सहकारी संघ, मनरेगा आदि है।

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