डेढ़ दशक बाद भी खनन ठेकेदार से नहीं वसूल रहे 7 करोड़

  • खनिज अफसरों की मेहरबानी जारी
    भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम

    एक तरफ प्रदेश सरकार अपने खाली खजाने को भरने के लिए नए-नए प्रयास कर रही है, तो वहीं कई अफसर ऐसे हैं जो सरकार की मंशा के खिलाफ जाकर सरकारी राजस्व वसूली में रुचि ही नहीं ले रहे हैं। वह भी जब राशि अगर ठेकेदारों से बतौर जुर्माना वसूलना हो तो फिर तो सरकार महकमे की रुचि पूरी तरह ही समाप्त हो जाती है। इसका उदाहरण है कटनी का खनिज कार्यालय। यही नहीं इस मामले में विभाग के अफसरान भी नीच से लेकर ऊपर तक लापरवाह बने रहते हैं। यह स्थिति तब है, जबकि प्रदेश सरकार लगातार अवैध उत्खनन करने वालों पर सख्त कार्रवाई किए जाने के दावे करने में पीछे नहीं रहती है। यह बात अलग है कि दावे प्रभावशाली होते दिखते नहीं हैं। प्रदेश में कई जगह अवैध उत्खनन लगातार जारी है, लेकिन संबंधित अफसरों से लेकर शासन व प्रशासन को को यह नजर नहीं आता है। पता नहीं ऐसा क्या है कि अवैध खनन से जुड़े  लोग अफसरों की आंखों पर कौन सी पट्टी बांध देते हैं, जिसे उन पर प्रशासन की नजर ही नहीं पड़ती है। ऐसा ही एक मामला कटनी का है। कटनी में खनिज विभाग में पदस्थ जिम्मेदार अफसर तकरीबन डेढ़ दशक बीत जाने के बाद भी खनन ठेकेदार से रॉयल्टी क्लीयरेंस की 7 करोड़ 31 लाख रुपए की राशि नहीं वसूल पा रहे हैं। यह राशि वसूलने के लिए  कलेक्टर कटनी ने 2009 में निर्देश अधिकारियों को दिए थे। लेकिन विभाग के अफसर अब तक राशि वसूलने में नाकामयाब रहे। हालांकि, मामला स्पेशल कोर्ट से लेकर हाईकोर्ट तक पहुंचा। खनन ठेकेदार की रिवीजन पिटीशन भी खारिज हुए तकरीबन 6 माह का समय बीत चुका है। सूत्रों के अनुसार विभाग के अफसरों ने अब तक कोई कार्यवाही नहीं की। कटनी के खनन ठेकेदार मेसर्स केशव प्रसाद अवस्थी के खिलाफ गोपनीय शिकायत मिलने के बाद ईओडब्ल्यू की जबलपुर इकाई के पत्र के आधार पर कलेक्टर खनिज शाखा ने स्वीकृत गिट्टी खदानों एवं खुदरा बाजार में विक्रय किए गए खनिज से जमा रायल्टी के क्लीयरेंस सर्टिफिकेट की जांच की। जांच के बाद कलेक्टर कटनी ने आदेश जारी किया उसमें उल्लेखित किया गया है कि ठेकेदार मेसर्स केपी अवस्थी द्वारा रेल्वे विभाग को प्रस्तुत रायल्टी क्लियरेंस सर्टीफिकेट का परीक्षण, अभिलेखों के परीक्षण किए जाने के बाद पाया गया कि प्रस्तुत 2 रॉयल्टी क्लीयरेंस सर्टीफिकेट पत्र क्रमांक 119 तथा पत्र क्रमांक 2587 सही पाए गए है। शेष 07 रायल्टी क्लियरेंस सर्टीफिकेट कार्यालय द्वारा जारी नहीं किए गए हैं। हालांकि जिला कार्यालय के पत्र के जवाब में ठेकेदार ने उक्त रॉयल्टी क्लीयरेंस फर्जी नहीं है ऐसा बताया था। कलेक्टर के आदेश में यह भी उल्लेखित किया कि अनावेदक मेसर्स केपी अवस्थी द्वारा रेल्वे विभाग को सप्लाई किये गये खनिज की मात्रा के संबंध में समाधान कारक स्पष्टीकरण प्रस्तुत नहीं किया गया।
    ठेकेदार ने ऐसे किया घालमेल
    कलेक्टर द्वारा जारी आदेश में मेसर्स केपी अवस्थी द्वारा कुल खनिज 2,99,302.014 घन मीटर में से 23,528,891 घन मीटर की रायल्टी जो जमा है को कम करते हुए शेष प्रदाय किया गया खनिज 2,74,773.123 घन मीटर के स्वामित्व की दस गुना राशि खनिज मद में जमा करने का आदेश दिया था। इसके अलावा सात करोड़ 31 लाख रुपए की वसूल करने के आदेश दिए गए थे। लेकिन खनिज विभाग के जिम्मेदार अफसरों एवं ठेकेदार के गठजोड़ के चलते रॉयल्टी क्लीयरेंस की राशि जमा करवाने में लापरवाही बरती जा रही है।

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