9 साल बाद भी कई… प्रोजेक्ट पड़े हैं अधूरे

  • अमृत फेज 1 योजना में कछुआ चाल से हो रहा निर्माण
  • विनोद उपाध्याय
प्रोजेक्ट

अमृत योजना और अमृत काल के बारे में तो आपने एक बार नहीं कई बार सुना होगा। योजना को लेकर ऐसा माहौल बनाया गया जैसे अमृत की बरसात होने लगी है, लेकिन इसकी हकीकत तब सामने आई जब यहां के लोगों को अमृत की प्यास के साथ राह चलने में जद्दोजहद का सामना करना पड़ा। आलम यह है कि अमृत फेज 2 योजना का काम शुरू हो गया है, लेकिन फेज 1 को काम अभी भी चल रहा है। यानी 9 साल बाद भी कई प्रोजेक्ट अधूरे पड़े हैं। गौरतलब है कि भारी भरकम बजट से अमृत योजना आई तो केंद्र और राज्य के मंत्रियों तक ने बड़े जोर-शोर से इसकी लॉन्चिंग करते हुए दावा किया था कि, इसके पूरे होते ही पीने के पानी का अमृत बरसेगा। पाइप लाइनों के जरिए पेयजल के ऐसे फुब्बारे छूटेंगे कि सडक़ से बीस मीटर तक पानी आराम से पहुंच जाएगा। लेकिन आलम यह है कि अमृत योजना फेज 2 शुरू हो गया है, लेकिन फेज 1 के काम अभी भी आधे-अधूरे ही पड़े हैं।
सबसे बुुरी स्थिति सीवरेज व सेप्टेज प्रबंधन की
जानकारी के अनुसारी अमृत में जलप्रदाय के 32 प्रोजेक्ट मंजूर किए गए थे। इनकी लागत 2280.80 करोड़ रुपए थी। मौजूदा स्थिति में 1993 करोड़ रुपए खर्च कर 31 योजनाएं पूरी की जा चुकी है। डीपीआर में 11.99 लाख नल कनेक्शन देने का लक्ष्य स्खा गया था। इसके मुकाबले 14.42 लाख कनेक्शन दिए जा चुके है। अभी 287 करोड़ की लागत के एक प्रोजेक्ट पर काम चल रहा है। सबसे बुुरी स्थिति सीवरेज व सेप्टेज प्रबंधन की योजनाओं की है। केंद्र ने 3880 56 करोड़ लागत के कुल 25 प्रोजेक्ट्स मंजूर किए थे। इसमें से 2049.66 करोड़ खर्च कर 15 कार्य पूरे किए जा चुके हैं। अभी 1830 करोड़ की लागत के दस प्रोजेक्ट चल ही रहे है। गंभीर बात यह है कि 8.26 लाख घरों में सीवेज कनेक्शन देने का टारगेट रखा गया था। अब तक 4.20 लाख कनेक्शन ही दिए जा सके है। वहीं ड्रेनेज के 23 कार्यों के लिए 248.32 करोड़ रुपए सेक्शन किया गया था। केवल एक योजना अभी चल रही है। नगरीय निकायों में 129 करोड़ से पार्क बनाने के सभी कार्य हो चुके है। शहरी ट्रांसपोर्ट में भोपाल के लिए 300 सीएनजी और इंदौर के लिए 80 इलेक्ट्रिक बस खरीदी समेत कुल 261.89 करोड़ रुपए की स्वीकृति मिली थी, इसके दो ही काम बाकी है। ये अमृत योजना के वो प्रोजेक्ट हैं जिन्हें अब तक पूरा हो जाना था। लेकिन अमृत योजना-2 शुरू हो जाने के बाद भी ये अधर में लटके हुए हैं।
समय पर काम नहीं करने से गंवाई राशि
अमृत योजना में सीवरेज का 60 और जलापूर्ति का 85 प्रतिशत नेटवर्क बिछाने के लिए देश के सभी नगर निगमों से आवेदन आमंत्रित किए गए थे। इसमें मध्यप्रदेश के नगरीय निकायों ने भी आवेदन किया था। इसमें सीवरेज और जलापूर्ति का नेटवर्क तय मात्रा में बिछाने पर इंदौर को 30 और भोपाल को 15 करोड़ रुपये मिलेंगे। नगर निगम भोपाल द्वारा सीवरेज के क्षेत्र में तय लक्ष्य से 49 फीसदी तक काम करने के कारण इस श्रेणी में राशि का लाभ तक नहीं मिल पाया है। इसके लिए तय लक्ष्य 60 फीसदी था। भोपाल शहर में अभी अमृत एक के तहत 400 और अमृत दो के तहत करीब 300 किलोमीटर का नेटवर्क बिछाया गया है। जबकि 82 हजार घरों को सीवरेज नेटवर्क से जोड़ चुका है। जल कार्य विभाग के अधीक्षण यंत्री उदित गर्ग ने बताया कि जलापूर्ति के लिए शहर में करीब 4 हजार किलोमीटर की पाइप लाइन और 2.62 लाख वैध नल कनेक्शन हैं।
अभी भी 2200 करोड़ के प्रोजेक्ट चल रहे
गौरतलब है कि अमृत योजना के पहले चरण को नौ साल होने वाले हैं। इसकी अवधि खत्म होने की कगार पर है। फिर भी प्रदेश में करीब 2200 करोड़ के प्रोजेक्ट पूरे नहीं हो पाए है। इनका काम चल रहा है। यहां ध्यान देने लायक बात यह भी है कि योजना का दूसरा फेज भी शुरू हो चुका है और करोड़ों रुपए के कार्य जमीन पर उतर चुके हैं। देश के शहरों में बुनियादी इंफ्रास्ट्रक्चर विकसित करने के लिए केंद्र सरकार ने 25 जून, 2015 को अमृत योजना लॉन्च की थी। इसमें प्रमुख तौर से वॉटर सप्लाई, सीवरेज व सेप्टेज प्रबंधन, डेनेज, शहरी ट्रांसपोर्ट और ग्रीन एरिया के कार्यों को शामिल किया गया। योजना को इस महीने नौ साल पूरे हो जाएंगे। नगरीय विकास विभाग के अधिकारियों के मुताबिक अमृत के बाकी कार्यों को पूरा करने का सिलसिला अगले साल तक चलता रहेगा। पूरे हो चुके कामों का परफॉर्मेंस ऑडिट किया जा रहा है। लगातार मॉनिटरिंग भी की जा रही है। अर्बन डेवलपमेंट कंपनी और ग्राट के जरिए वित्तीय मदद मुहैया कराई जा रही है।

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