21 साल बाद भी मप्र के पेंशनरों को नहीं मिलेगा पूरा महंगाई भत्ता

महंगाई भत्ता

-छत्तीसगढ़ सरकार ने दी सहमति, महंगाई राहत 22 प्रतिशत होगी
-मप्र के साढ़े चार लाख पेंशनरों की महंगाई राहत पांच प्रतिशत बढ़ेगी
भोपाल/विनोद उपाध्याय/बिच्छू डॉट कॉम।
करीब 21 साल के इंतजार के बाद छत्तीसगढ़ सरकार ने पेंशनरों को पांच फीसदी महंगाई भत्ता देने की घोषणा कर दी है। छग सरकार की इस घोषणा से मप्र के करीब पौने पांच लाख पेंशनर्स को इसका लाभ मिलेगा। लेकिन विसंगति यह है की 21 साल बाद भी मप्र के पेंशनरों को पूरा महंगाई भत्ता नहीं मिलेगा। छग की इस घोषणा से मप्र के पेंशनर्स को 9 फीसदी महंगाई भत्ते का घाटा होगा। महंगाई राहत एक मई 2022 से सातवें वेतनमान में 22 और छठवें वेतनमान में 174 प्रतिशत होगी। हालांकि, यह वृद्धि भी कर्मचारियों को मिल रहे महंगाई भत्ते से नौ प्रतिशत कम रहेगी। प्रदेश में कर्मचारियों को 31 प्रतिशत महंगाई भत्ता मिल रहा है।
मप्र के पेंशनरों को करीब दो साल से महंगाई भत्ता नहीं मिला है। दरअसल वर्ष 2000 में मप्र से अलग होकर छत्तीसगढ़ बना। कर्मचारियों का बंटवारा 74 और 26 फीसदी के हिसाब से हुआ। तय हुआ कि जिस दिन से छग बना उसके पहले के पेंशन के मामलों में 74 फीसदी राशि मप्र और 26 फीसदी छग मिलाएगा। वहीं, मध्यप्रदेश पुनर्गठन अधिनियम की धारा 49 पेंशनर्स के महंगाई राहत बढ़ाए जाने में आड़े आ रही है। केंद्र सरकार के गृह विभाग के द्वारा जारी इस अधिनियम के तहत दोनों राज्यों की सरकार यह कहती रही है कि जब तक दोनों राज्य पेंशनर्स के महंगाई राहत बढ़ाने पर सहमत नहीं होते तब तक बढ़ी हुई महंगाई राहत नहीं दी जाएंगी। इसी के चलते 21 सालों से पेंशनर्स के महंगाई राहत के मामले छह महीने से साल भर लटकते रहे हैं।
नियमित कर्मचारियों को 31 फीसदी महंगाई भत्ता
वर्तमान में मप्र सरकार के नियमित कर्मचारियों को 31 फीसदी महंगाई भत्ता मिल रहा है। जबकि मप्र के पेंशनर्स को 17 फीसदी मंहगाई भत्ता मिल रहा है। मप्र के पेंशनर्स का महंगाई भत्ता नियमित कर्मचारियों के बराबर 31 फीसदी होना चाहिए। लेकिन पेंशनर्स 14 फीसदी पीछे चल रहे है। इसका कारण छग सरकार है। छग सरकार अपने  पेंशनर्स को अभी तक 17 फीसदी मंहगाई दे रही थी। मप्र सरकार ने पेंशनर्स का 14 फीसदी मंहगाई भत्ता बढ़ाने के लिए छग सरकार को फाइल भेजी, लेकिन उसने अपने कर्मचारियों को सहमति नहीं दी। जिससे मप्र के पेंशनर्स का महंगाई भत्ता नहीं बढ़ पा रहा था। बुधवार को छग सरकार ने पेंशनर्स का सिर्फ पांच फीसदी मंहगाई भत्ता बढ़ाया है। यह भत्ता (पांच फीसदी) मप्र के कर्मचारियों का बढ़ाया जाएगा। जिससे मप्र के कर्मचारी भी 17 फीसदी से 22 फीसदी पर पहुंच जाएंगे। जबकि मप्र के कर्मचारियों का महंगाई भत्ता पांच के बजाय 14 फीसदी बढ़ाना चाहिए था। पांच फीसदी मंहगाई भत्ता बढ़ने के बाद मप्र के पेंशनर्स छग सरकार के कारण 9 फीसदी पीछे रहेंगे। जिससे मप्र के पेंशनरों ने नाराजगी दिखाते हुए धारा 49 को समाप्त करने की मांग की है। केंद्र हो या राज्य के पेंशनर्स, सबके लिए महंगाई बराबर है, लेकिन दोनों की महंगाई राहत (डीआर) में बड़ा अंतर है। राज्य के 4 लाख 75 हजार पेंशनर्स को 17 प्रतिशत डीआर मिल रही है, जबकि केंद्र पेंशनर्स को 34 प्रतिशत। सीधे-सीधे हर महीने मिलने वाली पेंशन में 1200 से 17000 रुपए तक का नुकसान हो रहा है। मप्र में पेंशनर्स की न्यूनतम पेंशन 7750 रुपए और अधिकतम 1 लाख 10 हजार रुपए तक है।
एरियर भी दे सरकार
उधर, पेंशनर एसोसिएशन मध्य प्रदेश के वरिष्ठ उपाध्यक्ष गणेश दत्त जोशी ने कहा कि महंगाई राहत में मात्र पांच प्रतिशत की वृद्धि किया जाना पेंशनर के साथ अन्याय है। इस वृद्धि के बाद भी महंगाई भत्ते और महंगाई राहत में 11 प्रतिशत का अंतर रहेगा। पूर्व में भी जब महंगाई राहत बढ़ाई गई थी, तब भी एरियर नहीं दिया गया था। इस बार भी छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा दी गई सहमति में एरियर का कोई उल्लेख नहीं है। इधर निगम-मंडल पेंशनर संघ के अनिल वाजपेयी और अरुण वर्मा ने मांग की कि राज्य सरकार क्षेत्रीय भविष्य निधि संगठन को निर्देश दे कि वह हायर पेंशन देने के कोर्ट के आदेश को जल्द लागू करे। सेवानिवृत्त अधिकारी-कर्मचारी पेंशनर्स महासंघ के कार्यकारी प्रदेश अध्यक्ष खुर्शीद सिद्दीकी ने कहा कि छग की सहमति से मप्र के कर्मचारी संतुष्ट नहीं है। इस मसले को लेकर जल्द ही मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से मुलाकात कर धारा 49 को खत्म करने की मांग करेंगे।

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