अनलॉक होते ही ईओडब्ल्यू कालेधन मामले में करेगा जांच शुरू

ईओडब्ल्यू

कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर के प्रकोप के कारण पिछले दो महीने से ठप्प पड़ा है काम-काज

भोपाल/प्रणव बजाज/बिच्छू डॉट कॉम।
प्रदेश में कोरोना की दूसरी लहर के प्रकोप के कारण सभी जिलों में कर्फ्यू जारी है। ऐसे में सरकारी दफ्तर भी लगभग बंद जैसे हैं। ऐसी स्थिति में सरकारी जांच एजेंसियों की जांचें भी प्रभावित हुई हैं। ईओडब्ल्यू द्वारा आम चुनाव में कालेधन के इस्तेमाल को लेकर की जा रही जांच भी फिलहाल दो महीने से ठप है। अब प्रदेश में कोरोना की रफ्तार धीमी हुई है। ऐसा माना जा रहा है कि जल्द ही अनलॉक की प्रक्रिया भी शुरू होगी। अनलॉक होते ही आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ कालेधन मामले में केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) में शामिल तीन आईपीएस अफसर और एक राज्य पुलिस सेवा के अफसर के खिलाफ जांच शुरू करेगा। इस मामले में राज्य सरकार द्वारा उक्त अधिकारियों को तीन महीने पहले यानी मार्च में आरोप पत्र दिए गए थे, जिसका जवाब मिलना है। हालांकि राज्य सरकार ने फिलहाल इस मामले में आगे कार्यवाही नहीं की है।
ये है सीबीडीटी की अप्रेजल रिपोर्ट में: ज्ञात रहे कि सीबीडीटी की अप्रेजल रिपोर्ट में ईओडब्ल्यू में डीजी रहे सुशोभन बनर्जी का दो अप्रैल 2019 को प्रतीक जोशी के साथ पच्चीस लाख रुपए का नगद अवैध रूप से लेन-देन किया जाना बताया गया है। यह भ्रष्ट आचरण की श्रेणी में आता है। दूसरे आईपीएस बी मधु कुमार बाबू का सीबीडीटी की रिपोर्ट में 28 मार्च 2019 को प्रतीक जोशी के साथ पच्चीस लाख रुपए का नगद अवैध लेन-देन किया जाना बताया गया है। यही नहीं इसी दिन दूसरा साढ़े बारह करोड़ रुपए की नगद राशि अघोषित रूप से अपनी कस्टडी में रखवाकर लेन-देन किया गया। जो कि भ्रष्ट आचरण की श्रेणी में आता है। तीसरे आईपीएस अफसर हैं पुलिस सुधार शाखा में पदस्थ रहे एडीजी संजय व्ही माने। इनकी सीबीडीटी की रिपोर्ट में 24 दिसंबर 2018 को पांच लाख रुपए और 30 मार्च 2019 को तीस लाख रुपए का प्रतीक जोशी के साथ नगद लेन-देन का उल्लेख है। यह बिना हिसाब-किताब का लेन-देन भी भ्रष्ट आचरण की श्रेणी में आता है। वहीं चौथे पुलिस अफसर हैं राज्य पुलिस सेवा के अधिकारी तथा ईओडब्ल्यू के एसपी रहे अरुण मिश्रा। इनकी अप्रेजल रिपोर्ट में 31 मार्च 2019 को प्रतीक जोशी के साथ साढ़े सात करोड़ रुपए का अवैध नगद लेन-देन किया जाना पाया गया है। यह सभी अवैध लेन-देन सिविल सेवा अधिनियम के अनुसार यह भ्रष्ट आचरण हैं। ईओडब्ल्यू ने इस मामले में प्राथमिकी दर्ज कर ली है। अब इस पर इन्वेस्टिगेशन की कार्यवाही की जाना है।
अधिकारियों को देना है आरोप पत्र का जवाब
उल्लेखनीय है कि सीबीडीटी के अप्रेजल रिपोर्ट के आधार पर राज्य सरकार द्वारा अधिकारियों को आरोप पत्र दिए गए हैं। अप्रेजल रिपोर्ट में जिस राशि के लेन-देन के आगे जिस अधिकारी का नाम लिखा है, उस पर उनकी क्या सफाई है, इस मामले में उन्हें अपना पक्ष रखना है। यानी कि उक्त राशि का स्रोत बताने के लिए आरोप पत्र जारी किए गए हैं। आरोप पत्र के जवाब आने के बाद सरकार विभागीय जांच की प्रक्रिया को आगे बढ़ा सकती है। सूत्रों के मुताबिक इन चारों अधिकारियों को जवाब के लिए एक माह का वक्त दिया गया था। जिसकी समय अवधि 31 मार्च थी लेकिन कोरोना के कारण शासकीय कामकाज ठप होने से फिलहाल मामले में आगे की कार्यवाही नहीं हो सकी है इन अधिकारियों को मार्च के प्रथम सप्ताह में आरोप पत्र जारी किए गए थे सूत्रों का कहना है कि संबंधित व्यक्ति का जवाब यदि संतोषजनक मिलता है तो उनके खिलाफ आगे की कोई कार्यवाही नहीं की जाएगी और प्रकरण को समाप्त माना जाएगा।
कोर्ट का सहारा ले सकते हैं अफसर
राज्य सरकार द्वारा कालेधन मामले में आरोप पत्र जारी होने के बाद आरोपों के घेरे में आए चारों पुलिस अधिकारी कोर्ट जा सकते हैं। हालांकि फिलहाल कोरोना की वजह से न्यायालय में सीमित ही कामकाज हो रहा है। वहीं जांच एजेंसियों का भी कम ठप जैसा है। बहरहाल सीबीडीटी की रिपोर्ट के आधार पर इन अधिकारियों से लेन-देन को लेकर सवाल किए गए हैं। वहीं खास बात है कि बीजेपी ने ही पूर्व में जारी पत्र में चारों अधिकारियों के खिलाफ लेन-देन के आरोप में आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ ईओडब्ल्यू में प्रकरण दर्ज कराने को कहा था। राज्य शासन की ओर से इस संबंध में ईओडब्ल्यू को जानकारी दी गई थी। जांच एजेंसी ने इस मामले में प्राथमिकी दर्ज कर ली है। वहीं अप्रैल में कोरोना की दूसरी लहर आ गई और जांच की कार्यवाही आगे नहीं बढ़ सकी।

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