भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। लोक निर्माण विभाग के जिस इंजिनियर को लोकायुक्त द्वारा आय से अधिक सम्पत्ति के मामले में दोषी पाया गया है,उसे बचाने के लिए विभागीय मंत्री से लेकर तमाम अफसर पूरी ताकत लगा रहे हैं। खास बात यह है की इस मामले में पहले चालान पेश करने की अनुमति देने के बाद अब विभागीय मंत्री भी उक्त अफसर के पक्ष में पूरी ताकत के साथ खड़े हो गए हैं। वे अब अपनी ही अनुमति को निरस्त कराने के लिए मामले को कैबिनेट तक में ले जाने की तैयारी मे हैं।
दरअसल यह पूरा मामला है लोक निर्माण विभाग के मंत्री आनंद प्रकाश राणे का। करीब छह साल पहले 2016 में लोकायुक्त ने आय से अधिक संपत्ति के मामले में इंदौर में पदस्थ रहे यंत्री राणे को दोषी पाया था। इसके बाद उसके खिलाफ चालान पेश करने के लिए लोकायुक्त पुलिस ने पीडब्ल्यूडी विभाग से अनुमति मांगी थी, यह पता चलने के बाद राणे ने अपने रसूख का इस्तेमाल करते हुए विभाग से मंजूरी न देने का आग्रह किया गया था। इसके लिए राणे ने लोकायुक्त की जांच पर तमाम सवाल भी उठाए थे , जिसके चलते तत्कालीन मुख्य अभियंता आरके मेहरा से भी सलाह मांगी गई थी, जिस पर उनके द्वारा अपने इस चहेते अफसर के खिलाफ मामला चलाने की अनुमति न देने और फिर से लोकायुक्त से जांच कराने की सलाह लिखित में दी गई थी।
पीएस-मंत्री मंजूरी देने के पक्ष में
मुख्य अभियंता द्वारा इस मामले में नकारात्मक टीप लिखने के बाद भी विभाग के प्रमुख सचिव नीरज मंडलोई ने इस मामले को मंजूरी लायक मानते हुए अपनी नोटशीट में मंजूरी देने को कहा और फाइल विभागीय मंत्री गोपाल भार्गव को भेज दी थी। इस नोटशीट को 10 अगस्त 2020 को मंत्री भार्गव ने भी मंजूरी प्रदान कर दी थी। इससे पहले कि मंजूरी का औपचारिक आदेश निकलता, 19 अगस्त 2020 को यंत्री राणे ने मंत्री को मंजूरी न देने का आवेदन थमा दिया। इस पर विभाग ने मंत्री को विधिक राय लेने को लिखा, लेकिन मंत्री ने मुख्य अभियंता की राय व यंत्री राणे के तर्कों को मान्य कर मंजूरी 7 जनवरी 2021 को अपने स्तर पर ही अमान्य कर दी। इसके बाद मामले को प्रमुख सचिव ने विधिक सलाह के लिए विधि विभाग को भेज दिया। विधि विभाग ने कहा, एक बार मंजूरी के बाद नकारने का अधिकार विभाग को नहीं है। मंजूरी न देने के लिए यंत्री राणे ने लिखा कि लोकायुक्त ने वैध आय स्त्रोतों को नहीं जोड़ा। प्रॉपर्टी सामान की कीमत बढ़ा-चढ़ाकर लिखने के तर्क दिए हैं।
कैबिनेट से निर्णय बदलवाने की तैयारी
विधि विभाग 18 फरवरी 2021 बाद पीएस ने फाइल फिर मंत्री को भेजी। इस पर मंत्री ने लिखा पूर्व में भी कार्यपालन यंत्री संजय डेहरिया के मामले में विभागीय मंजूरी न देने के निर्णय से विपरीत विधि विभाग ने मंजूरी देने की सलाह दी थी। तब, वह प्रकरण कैबिनेट में रखा गया था। ऐसे में इस प्रकरण को भी कैबिनेट में रखा जाए।
30/05/2022
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