सिंहस्थ में भीड़ और आपदा प्रबंधन पर जोर

सिंहस्थ में भीड़
  • उज्जैन में बिछाया जा रहा पुल, सडक़ का जाल

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। 2028 में उज्जैन में होने वाले सिंहस्थ की तैयारियां शुरू हो गई हैं। सिंहस्थ में आने वाले श्रद्धालुओं को किसी प्रकार की परेशानी न हो इस पर अधिक ध्यान दिया जा रहा है। इसके लिए उज्जैन में शिप्रा नदी को स्वच्छ बनाने के लिए करोड़ों रुपए की परियोजनाएं तैयार की गई है। बताया जा रहा है कि किसी नदी को दूषित होने से बचाने के लिए यह पहली योजना होगी। जिसमें सिंहस्थ-2028 में साधु-संतों के स्नान के लिए स्वच्छ जल तो मिलेगा ही साथ ही शहर भर में पानी सप्लाई किया जा सकेगा। वहीं भीड़ और आपदा प्रबंधन के मद्देनजर पुल और सडक़ों का जाल बिछाया जा रहा है।
 सिंहस्थ में भीड़ और आपदा प्रबंधन को ध्यान में रखते हुए सरकार उज्जैन शहर में 13 नए ब्रिज बनाएगी। इनमें 8 ब्रिज क्षिप्रा नदी पर बनेगें। 5 रेलवे ओवर ब्रिज बनाए जाएंगे। सभी का निर्माण पूरा करने की मियाद 31 दिसंबर 2027 रखी गई है। यह फैसला प्रयागराज महाकुंभ की व्यवस्थाओं और भीड़ की स्थिति का अध्ययन करने के बाद लिया गया है। सीएम के साथ जापान यात्रा से लौटे मुख्यमंत्री कार्यालय के अतिरिक्त मुख्य सचिव राजेश राजौरा ने सीधे उज्जैन पहुंचकर सिंहस्थ से जुड़े 27 बड़े प्रोजेक्ट की प्रगति की 10 घंटे तक समीक्षा की। एसीएस राजौरा ने अलग-अलग विभागों के अधिकारियों को स्पष्ट किया कि वे बुनियादी इंफ्रास्ट्रक्चर से जुड़ी परियोजनाओं में भीड़ प्रबंधन के साथ ही आपदा प्रबंधन को भी सर्वोच्च प्राथमिकता में रखें। शाही स्नान वाले दिनों में यदि कोई दुर्घटना होती है, तो रेस्क्यू के लिए अधिकतम रिस्पांस टाइम 15 मिनट होना चाहिए। इसके लिए बार-बार मॉक ड्रिल करके योजना बनाएं कि राहत और बचाव कार्य इसी 15 मिनट के भीतर हो सकें।
शिप्रा को स्वच्छ बनाने पर फोकस
उज्जैन में शिप्रा नदी को स्वच्छ करने के लिए दो बड़ी परियोजनाएं चलाई जा रही हैं। जिसकी लागत 1650 करोड़ रुपए है। शिप्रा के पानी को स्वच्छ रखने के लिए कान्ह क्लोज डक्ट परियोजना बनाई गई है। इससे कान्ह नदी के गंदे पानी को शिप्रा नदी में जाने से रोका जाएगा। दूषित पानी को टनल और क्लोज डक्ट से डायवर्ट करके 30 किलोमीटर दूर गंभीर नदी में डंप किया जाएगा। वहीं, शिप्रा नदी के प्रवाह बनाए रखने के लिए सेवरखेड़ी-सिलारखेड़ी परियोजना का कार्य जारी है। इसके लिए सेवरखेड़ी के पास एक बैराज से पानी छोडक़र सिलारखेड़ी डैम में भेजा जाएगा। 51 मिलियन क्यूबिक मीटर पानी स्टोर करने वाले डैम को 25 मीटर तक बढ़ाया जा रहा है। बारिश के बाद इस पानी को शिप्रा नदी में छोड़ दिया जाएगा। जिससे नदी के पानी लगातार प्रवाह बना रहेगा। इस परियोजना को पूरी करने के लिए 2027 की डेडलाइन रखी गई है। इसका मेंटेनेंस 15 साल तक एजेंसी करेगी। प्री-कास्ट सेगमेंट्स को कास्टिंग यार्ड से परियोजना के रास्ते तक लाने और पीसीसी बेड पर रखने तथा उन्हें जोडऩे का काम जल्द ही शुरू होगा। परियोजना के टनल हिस्से में चार शाफ्ट हैं, जो कि ग्राम पालखेड़ी, चिंतामन जवासिया, बामोरा और देवराखेड़ी में स्थित हैं। शाफ्ट नंबर 01 और 02 में वर्टिकल खुदाई का काम चल रहा है, जबकि शाफ़्ट नंबर 03 और 04 में वर्टिकल खुदाई पूरी हो चुकी है और अब हॉरिजेंटल खुदाई का काम जारी है।
हर विभाग में बनेंगे सिंहस्थ उपखंड
सिंहस्थ से जुड़े कामों को प्राथमिकता से पूरा करने के लिए एसीएस ने सभी विभागों को सिंहस्थ के लिए अलग उपखंड बनाने के निर्देश दिए। ताकि प्राथमिकता वाले प्रोजेक्ट पर काम करने वाले अफसरों को रुटीन काम से अलग किया जा सके। अखाड़ों, साधू-संतों के लिए आवंटित स्थान के हिसाब से मैपिंग कराई जाएगी। पहले साधु-संतों का स्थान तय कर उन्हें विश्वास में लिया जाएगा। उनकी स्वीकृति के बाद ही अंतिम आवंटन किया जाएा। 2004 और 2016 में हुए सिंहस्थ की व्यवस्थाओं का अध्ययन करते हुए बोर्डिंग व्यवस्था इस बार पहले ही करने का लक्ष्य रखा है। बैठक में तय किया गया कि उज्जैन शहर से जहां से भी रेलवे लाइन गुजरती है, उस पूरे ट्रैक को दोनों ओर से कवर किया जाएगा। सिंहस्थ में आने वाली भीड़ के कारण शहर में हर दिन 740 टन सॉलिड वेस्ट पैदा होगा। इसके लिए 50 हजार बायो टॉयलेट का निर्माण किया जाएगा।
शाही स्नान के दिन 3 करोड़ श्रद्धालु आने का अनुमान
एसीएस राजौरा ने बताया कि शाही स्नान वाले दिन उज्जैन में 3 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं के आने का अनुमान है। इसे अभी से ध्यान में रखना जरूरी है। यह ध्यान रखा जाए कि पार्किंग स्थलों से शिप्रा नदी तक आने के लिए श्रद्धालुओं को कई किलोमीटर पैदल न चलना पड़े। क्षिप्रा पर 29 किलोमीटर लंबे नए घाट निर्माण के लिए टेंडर हो चुके हैं। पूरे उज्जैन में क्षिप्रा नदी किनारे एक पैदल पाथवे बनाया जाएगा, कानूनी व्यवस्था के लिए उज्जैन में दो नए थाने महाकाल लोक और तपोभूमि बनाने का प्रस्ताव है।

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