दो बिजली वितरण कंपनियों पर भारी पड़ रहे हैं बिजली चोर

बिजली वितरण कंपनियों
  • अरबों रुपयों की हर साल लगा देते हैं चपत  

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश की बिजली कंपनियां घाटे के बाद भी बिजली चोरी रोकने में पूरी तरह से नकारा साबित हों रही है। इसका खामियाजा ईमानदार उपभोक्ताओं को बड़े हुए बिल के रुप में उठना पड़ रहा है। इस मामले में बिजली चोर पूरी तरह से मध्य और पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी पर भारी पड़ रहे हैं। यह हम नहीं कह रहे हैं बल्कि खुद बिजली महकमे के आंकड़ों से ही हो रहा है। दरअसल, इन दोनों कंपनियों के इलाकों में सर्वाधिक बिजली चोरी होती है। इसका अधिकृत आंकड़ा 798 करोड़ यूनिट बिजली चोरी का है। जिसे लाइन लॉस के रुप में बताया जाता है। इस नुकसान की भरपाई के लिए टैरिफ में 3.46 फीसदी का इजाफा हो गया। इसकी भरपाई के लिए ही अगले माह से बिजली बिल नए टैरिफ के हिसाब से आएगा। बिजली जानकारों ने बढ़ी बिजली दरों को वापस लेने के लिए मुख्यमंत्री को पत्र लिखा है। गौरतलब है कि प्रदेश की मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी और पूर्व क्षेत्र विद्युत  वितरण कंपनी ने निर्धारित से ज्यादा घाटा कर दिया है। बिजली कंपनियों को हर साल लाइन लॉस का टारगेट दिया जाता है। तब लाइन लॉस से ज्यादा घाटा हर साल हो रहा है। इससे बिजली कंपनियों का घाटा कम नहीं हो पा रहा है। मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी को आयोग ने 16.5 फीसदी तक लाइन लॉस की अनुमति दी थी। इधर कंपनी ने 25.70 फीसदी लाइन लॉस कर दिया है। इससे 371.1 करोड़ यूनिट बिजली की हानी हो गई। वहीं पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी को आयोग ने 15.5 फीसदी तक के घाटे की मंजूरी दी थी। कंपनी ने 28.04 फीसदी लाइन लॉस किया। इससे कंपनी को 427.8 करोड़ यूनिट बिजली का नुकसान हुआ। दोनों कंपनियों के इस घाटे की वजह से लगभग 2 हजार करोड़ रुपए का नुकसान हुआ। अगर ये घाटा बिजली कंपनियां कम कर लें तो बिजली के टैरिफ को बढ़ाने की जरूरत नहीं पड़ेगी।
लक्ष्य हासिल करने में फिसड्डी
प्रदेश की मध्य और पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी डिस्ट्रीब्यूशन लॉस को कम नहीं कर पा रही हैं। इससे बिजली कंपनियां घाटे में चल रही है। आयोग ने एक बार फिर से बिजली कंपनियों को वितरण हानियां कम करने का टॉरगेट दिया है। आयोग ने 8 से 10 फीसदी तक डिस्ट्रीब्यूशन लॉस कम करने को कहा है। यह बात अलग है कि हर साल लिने वाले लक्ष्य को हासिल करने में कंपनियां फिसड्डी साबित होती हैं।
इसलिए लगता है घाटा
बिजली कंपनियों के अधिकृत आंकड़ों के मुताबिक घाटे की वजह से पूर्व क्षेत्र वितरण कंपनी 4,277.76 एमयू और मध्य क्षेत्र ने 3,711.57 एमयू अतिरिक्त मात्रा में बिजली खरीदी है। वितरण घाटा अधिक होने की वजह से बिजली कंपनियों को यह बिजली खरीदना पड़ी। वहीं, पश्चिम क्षेत्र ने 861.28 एमयू की बचत की है, क्योंकि उनका घाटा मानकों से कम है। इससे साफ होता है कि मध्य क्षेत्र को 4277.76 मिलियन यूनिट और पूर्व क्षेत्र को 3711.75 मिलियन यूनिट बिजली खरीदना पड़ी। कुल मिलाकर लगभग 800 करोड़ यूनिट ऊर्जा अतिरिक्त खरीदना पड़ी और यदि इसकी लागत की गणना की जाए 4 रुपए प्रति यूनिट की दर पर लगभग 3200 करोड़ रुपए की खरीदी हुई।

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