मध्यप्रदेश में किसान बनेंगे बिजली उत्पादक

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  • किसान और निवेशक मिलकर भी लगा सकते हैं सोलर प्लांट

विनोद उपाध्याय/बिच्छू डॉट कॉम। मप्र में सरकार किसानों को आत्मनिर्भर बनाने के दिशा में काम कर रही है। इसी कड़ी में सरकार किसानों को बिजली उत्पादक बनाने की योजना पर काम कर रही है। इसके लिए अब बिजली उत्पादन के क्षेत्र में नया और ऐतिहासिक कदम उठाने जा रही है। इससे न केवल आम जनता को महंगी बिजली से राहत मिलेगी वहीं किसानों को भी फायदा मिलेगा ,क्योंकि किसानों को खेतों के लिए लगातार बिजली चाहिए होती है। दरअसल, प्रदेश में बंजर, अनुपयोगी कृषि भूमि पर सोलर प्लांट लगाए जा रहे हैं। इससे किसानों को बिजली उत्पादक बनाया जाएगा। यह सोलर प्लांट किसान और निवेशक मिलकर भी लगा सकते हैं। इन सोलर प्लांट से उत्पादित होने वाली बिजली को सरकार खरीदेगी। इसके लिए सरकार सोलर प्लांट लगाने वालों से 25 साल का अनुबंध करेगी। केंद्र सरकार ने कुसुम ‘ए’ योजना के तहत प्रदेश को 1790 मेगावॉट के सोलर प्लांट लगाने का टॉरगेट दिया। इसके तहत 500 मेगावॉट तक के पॉवर परचेज एग्रीमेंट की तैयारी हो चुकी है।
25 साल तक सरकार खरीदेगी बिजली
प्रदेश के सभी जिलों में 2033 सोलर प्लांट इस स्कीम के तहत लगाए जाएंगे। सबसे ज्यादा 1079 सोलर प्लांट सेंट्रल जोन में लगेंगे। वैस्ट जोन में 372 और ईस्ट जोन में 582 प्लांट लगाए आएंगे। ये सोलर प्लांट 500 किलोवॉट से 2 मेगावॉट तक होगे। परियोजना से उत्पादित विद्युत, शासन द्वारा क्रय की जाएगी, जिससे कृषको को नियमित आय होगी। प्रदेश की वितरण कंपनियों द्वारा चिन्हित सबस्टेशनों से 5 किमी की परिधि में सोलर प्लांट लगेगे। बिजली कंपनियों ने प्रदेश के सभी सब स्टेशन की लिस्ट ऊर्जा विकास निगम को सौंप दी है। इसके मुताबिक निवेशक और किसान सोलर प्लांट के लिए आवेदन कर सकते है। कृषि भूमि पर लगने वाले सोलर प्लांट से उत्पादित होने वाली बिजली को 3.25 रुपए प्रति यूनिट की दर से खरीदा जाएगा। इसका अनुबंध उत्पादक के साथ सरकार और बिजली कंपनी 25 साल के लिए करेगी। यानी सरकार उत्पादकों से 25 साल तक बिजली खरीदेगी। ऊर्जा विकास निगम द्वारा निर्धारित सभी सोलर प्लाट अगर प्रदेश में लग जाते हैं, तो आधे से ज्यादा प्रदेश सोलर ऊर्जा से रोशन हो सकता है। परियोजना के संचालन और रखरखाव का अनुबंध भी मप्र पॉवर मैनेजमेंट कंपनी करेंगी। मप्र पावर जनरेटिंग कंपनी लिमिटेड एमपीपीजीसीएल) और एनटीपीसी ग्रीन एनर्जी लिमिटेड ने मध्य प्रदेश में 20 गीगावॉट या उससे अधिक की नवकरणीय ऊर्जा परियोजनाएं स्थापित करने के लिए एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए। इस महत्वपूर्ण सहयोग से मध्यप्रदेश में लगभग 80,000 करोड़ का निवेश होने की उम्मीद है। इससे सोलर एनर्जी उत्पादन और अधिक बढ़ जाएगा। सोलर एनर्जी का उत्पादन बढ़ाए जाने के लिए सरकार हर स्तर पर काम कर रही है।
बिजली की स्थिति सरप्लस वाली है
मप्र ऐसा राज्य हैं, जहां पर बिजली की स्थिति सरप्लस वाली है। यही वजह है कि दूसरे राज्यों को भी बड़ी मात्रा में बिजली की सप्लाई मप्र द्वारा की जाती है। ताप विद्युत के बाद मप्र में तेजी से सौर ऊर्जा से बिजली बन रही। अब प्रदेश सरकार इस क्षेत्र में नए प्रयोग करने जा रही है। यह प्रयोग विदेशों की तर्ज पर करने की तैयारी है, जिससे एक ही स्थान पर तीन तरह से बिजली बनाने का काम किया जाएगा। यानि की एक ही जगह पर पानी, कोयला के अलावा सौर ऊर्जा से बिजली का उत्पादन किया जाएगा। इसके लिए प्रदेश में अब हाइब्रिड कॉबों पावर प्लांट लगाने की योजना है।   अभी तक सिर्फ एक ही कैटेगरी की बिजली का पावर प्लांट होता आया है, लेकिन प्रदेश में अब हाइब्रिड पावर प्रोजेक्ट लाने की तैयारी हो गई है। यानी सीधे तौर पर कहे तो हवा, पानी और सूरज से एक साथ बिजली बनाने का रास्ता खुलेगा।
लगाए जा रहे हैं प्लांट
कुसुम ‘ए’ योजना के तहत यह प्लांट लगाए जा रहे हैं। इसकी प्रक्रिया ऊर्जा  विकास निगम ने शुरू कर दी। इसके लिए निगम के पास 1 हजार से अधिक आवेदन आ चुके हैं। पीपीए में देरी की वजह से काम अटका हुआ था। अब सरकार के निर्देश के बाद सभी पॉवर परचेज एग्रीमेंट 31 मार्च  तक करने के निर्देश हैं। अभी मप्र इस योजना के तहत बिजली उत्पादन में दूसरे स्थान पर है। कुसुम ‘ए’ योजना में मप्र को चार चरणों में अभी तक 1790 मेगावॉट की सौर विद्युत गृह स्थापना का लक्ष्य तय  किया गया है। मप्र ऊर्जा विकास निगम को नोडल एजेंसी बनाया है। मप्र ऊर्जा विकास निगम द्वारा लगभग 1001 मेगावाट के एलओए जारी हो चुके हैं। इसमें से मप्र पॉवर मैनेजमेंट कंपनी द्वारा 240.02 मेगावाट के (पीपीए) पॉवर परचेज एग्रीमेंट कर दिए हैं। इस माह के अंत तक 500 मेगावाट के पीपीए कर दिए जाएंगे। राजस्थान प्रथम और महाराष्ट्र अभी कुसुम ‘ए’  योजना में तीसरे स्थान पर है।

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