रबी फसल की बुवाई की वजह से हो रही है, डिमांड में वृद्धि
भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। सर्दी का मौसम शुरु होने के साथ ही प्रदेश में बिजली की मांग में तेजी से वृद्धि होना शुरु हो गई है। हालत यह है कि प्रदेश में इन दिनों सामान्य दिनों की अपेक्षा मांग दोगुनी हो चुकी है। इसकी वजह बताई जा रही है, प्रदेश में रबी के सीजन की फसलों की बुवाई का काम शुरू हो जाना। किसानों द्वारा दिन में सिंचाई किए जाने की वजह से रात की तुलना में दिन में तेजी से बिजली की डिमांड बढ़ रही है। इन दिनों दिन व रात की डिमांड में करीब ढाई हजार मेगावाट का अंतर आ चुका है। विभाग के आंकड़ों के मुताबिक इन दिनों दिन में 13 हजार मेगावॉट तक बिजली की मांग पहुंच चुकी है। दो दिन पहले शाम 5 बजे तक प्रदेश में बिजली की डिमांड 12800 मेगावॉट तक आ चुकी थी। इसकी तुलना में रात के समय बिजली की डिमांड 10 से 11 हजार मेगावॉट बनी हुई है। रात में यह डिमांड इसलिए और बनी हुई थी कि, प्रदेश में जगह-जगह नवरात्रि की वजह से कार्यक्रम हो रहे थे और जगह-जगह प्रतिमाएं भी स्थापित थीं। अब प्रतिमाओं का विसर्जन हो चुका है और नवरात्रि महोत्सव का भी समापन हो चुका है, जिसकी वजह से रात में बिजली की मांग में गिरावट आना शुरु हो गई है। बिजली विभाग का अनुमान है कि इस बार आगामी दो तीन माह में बिजली की मांग प्रदेश में 18 हजार मेगावॉट तक पहुंच सकती है। गौरतलब है कि इस साल के पहले ही माह जनवरी में बिजली की मांग 17170 मेगावाट तक पहुंच गई थी। यही नहीं बीते माह भी प्रदेश में इस साल दूसरी बार बिजली की मांग 14 हजार मेगावॉट तक पहुंच चुकी थी। इसकी वजह रही बारिश नहीं होने की वजह से धान, मूंग की फसलें बचाने के लिए सिंचाई किया जाना। इसकी वजह से प्रदेश में अचानक बिजली की आपूर्ति गड़बड़ा गई थी। हालात यह हो गए थे, कि प्रदेश में अघोषित बिजली की कटौती तक करनी पड़ गई थी। प्रदेश में अब अगले दो माह में चना, मटर, गेहूं, अलसी, सरसों सहित कई तरह की फसलों की बुबाई होना है। ऐसे में किसानों को बिजली की अधिक जरुरत रहने वाली है। जिसकी वजह से अभी दिन में बिजली की मांग और अधिक बढऩा तय है। अभी कई जिलों में धान की कटाई शुरू होना है। इस फसल की कटाई के बाद ही किसानों द्वारा गेहूं की फसल बोई जाएगी। तब बिजली की डिमांड और ज्यादा बढ़ेगी। उधर, गांवों में इससे पहले ही बिजली कटौती शुरू हो गई है। अब भी किसानों को सिंचाई के लिए दिन में 5- 6 घंटे ही बिजली मिल पा रही है। इस मांग की पूर्ति के लिए प्रदेश के शहरी इलाकों में रखरखाव के नाम पर बिजली की कटौती की जा रही है।
इस बार कम हो सकता है बिजली उत्पादन
इस बार प्रदेश के ताप विद्युत ग्रह और जल विद्युत ग्रहों से बिजली उत्पादन कम होने के आसार हैं। इसमें भी सर्वाधिक कमी जल विद्युत ग्रहों में आएगी। इसकी वजह है बारिश कम होने की वजह से जलाशय पूरी तरह से नहीं भर सके हैं। जिसकी वजह से जल विद्युत ग्रहों से बिजली का उत्पादन पूरी क्षमता से नहीं हो सकेगा। प्रदेश में मप्र जनरेटिंक कंपनी के जल विद्युत ग्रह से 921.58 मेगावाट और संयुक्त क्षेत्र के जल विद्युत गृह और अन्य से 2484.13 मेगावाट बिजली उत्पादन क्षमता है। अभी भी इनसे पूरी क्षमता से बिजली का उत्पादन नहीं हो पा रहा है। यही हाल ताप विद्युत ग्रहों का है।
इस बार कम हो सकता है बिजली उत्पादन
इस बार प्रदेश के ताप विद्युत ग्रह और जल विद्युत ग्रहों से बिजली उत्पादन कम होने के आसार हैं। इसमें भी सर्वाधिक कमी जल विद्युत ग्रहों में आएगी। इसकी वजह है बारिश कम होने की वजह से जलाशय पूरी तरह से नहीं भर सके हैं। जिसकी वजह से जल विद्युत ग्रहों से बिजली का उत्पादन पूरी क्षमता से नहीं हो सकेगा। प्रदेश में मप्र जनरेटिंक कंपनी के जल विद्युत ग्रह से 921.58 मेगावाट और संयुक्त क्षेत्र के जल विद्युत गृह और अन्य से 2484.13 मेगावाट बिजली उत्पादन क्षमता है। अभी भी इनसे पूरी क्षमता से बिजली का उत्पादन नहीं हो पा रहा है। यही हाल ताप विद्युत ग्रहों का है।
प्रदेश में बिजली की स्थिति
प्रदेश में ताप विद्युत ग्रहों की उत्पादन क्षमता 5400 मेगावाट है, जबकि जल विद्युत ग्रहों की 921.58 मेगावाट है। इसी तरह से संयुक्त क्षेत्र के जल विद्युत गृह और अन्य से मप्र को 2484.13 मेगावाट, केंद्रीय क्षेत्र के ताप विद्युत गृहों से 5251.74 मेगावाट, दामोदर घाटी विकास निगम के ताप विद्युत गृह 3401.5 मेगावाट, नवकरणीय ऊर्जा से 5171 मेगावाट बिजली मिल सकती है। अगर इन आंकड़ों को मिला लें तो ,प्रदेश में कुल बिजली उत्पादन क्षमता 2730 मेगावाट है, जबकि अभी बिजली की डिमांड 14 हजार मेगावाट के करीब है।