18 हजार मेगावॉट तक पहुंच सकती है बिजली की मांग

बिजली की मांग
  • प्रदेश में शुरू हुआ बिजली कटौती का खेल

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। गर्मी और कड़ाके की धूप से पूरा मप्र तप रहा है। ऐसे में बिजली की डिमांड भी बढ़ गई है। इसी बीच थर्मल पॉवर प्लांट की उत्पादन यूनिटें बंद हो रही है। इससे बिजली का उत्पादन प्रभावित हो रहा है। बिजली उत्पादन प्रभावित होने से बिजली सप्लाई पर असर पड़ सकता है। पिछले साल दिसंबर में बिजली की डिमांड प्रदेश में 17714 मेगावॉट तक पहुंच चुकी है। इससे पहले जनवरी 2023 में प्रदेश में बिजली की डिमांड 17170 मेगावॉट तक पहुंच चुकी है। बिजली कंपनियों का अनुमान है कि इस साल प्रदेश में बिजली की डिमांड 18 हजार मेगावॉट तक पहुंच सकती है। इसको देखते हुए ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली की कम डिमांड के बाद भी कटौती शुरू हो गई है।
प्रदेश में मप्र जनरेटिक कंपनी के ताप विद्युत ग्रह से 5400 मेगावाट, मप्र जनरेटिक कंपनी के जल विद्युत ग्रह से 921.58 मेगावाट, संयुक्त क्षेत्र के जल विद्युत गृह और अन्य से 2484.13 मेगावाट, केंद्रीय क्षेत्र के ताप विद्युत गृह से 5251.74 मेगावाट, दामोदर घाटी विकास निगम के ताप विद्युत गृह से 3401.5 मेगावाट और नवकरणीय ऊर्जा स्रोत से 5171 मेगावाट पा्रप्त होती है। यानी प्रदेश में कुल बिजली उत्पादन क्षमता 22730 मेगावाट है। अभी प्रदेश में बिजली की डिमांड 14 हजार लेकर से 15 हजार मेगावाट है। यानी प्रदेश में सरप्लास बिजली 8 से 9 हजार मेगावाट है। लेकिन कई यूनिटों में खराबी और बंद होने के कारण बिजली की कमी की संभावना बनी रहती है। ऐसे में बिजली कटौती की जाती है। दो दिन पहले उमरिया के बिरसिंहपुर की संजय गांधी ताप विद्युत केंद्र की पांच नंबर यूनिट बंद हो गई थी। यह यूनिट 500 मेगावॉट बिजली का उत्पादन करती है। बॉयरल ट्यूब में लीकेज होने के करण यूनिट बंद हो गई थी। इससे पहले भी यहां की यूनिटें बंद हो चुकी है। इससे बिजली का उत्पादन प्रभावित होता है।
5 से 6 घंटे तक बिजली कटौती
गौरतलब है कि गर्मी के दिनों में प्रदेश में बिजली की डिमांड 15 हजार मेगावॉट से ऊपर चली जाती है। बिजली की डिमांड ज्यादा बढ़ जाने पर बिजली सप्लाई प्रभावित होती है। इस डिमांड को पूरा करने के लिए बिजली कंपनियां बिजली कटौती करती हैं। इससे बिजली उपभोक्ताओं को परेशान होना पड़ता है। ऐसे समय थर्मल पावर प्लांट की यूनिट बंद होने से बिजली उत्पादन प्रभावित हो रहा है। राजधानी में तो पिछले कई महीने से मेंटेनेंस के नाम पर बिजली कटौती की जा रही है। बिजली का मेंटेनेंस पूरा ही नहीं हो पा रहा है। यही हाल प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों के हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में 5 से 6 घंटे तक बिजली काटी जा रही है। अगर ग्रामीण क्षेत्रों में फाल्ट हो जाए या ट्रांसफार्मर खराब हो जाए, तो बिजली सप्लाई बहाल होने में एक से दो दिन तक लग जाते हैं।

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