कंपनियों के गड़बड़झाला की मार झेल रहे बिजली उपभोक्ता

बिजली उपभोक्ता
  • मप्र में 10 से 15 फीसदी बिजली के दाम घटाने की गुंजाइश

    भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। मध्यप्रदेश में बिजली के दाम बढ़ाने की बिजली कंपनियों की मांग के खिलाफ दायर आपत्तियों पर सुनवाई पूरी हो गई है। इस दौरान यह तथ्य सामने आया है कि कंपनियों ने खर्च के गलत आंकड़े पेश कर-करके बिजली की दरें बढ़वाई है। जानकारों का कहना है कि कंपनियों के गड़बड़झाला की मार बिजली उपभोक्ता झेल रहे हैं। वर्तमान समय में जो स्थिति है उसके अनुसार मप्र में 10 से 15 फीसदी तक बिजली के दाम घटाने की संभावना है।
    दरअसल, बिजली मामलो के जानकार राजेन्द्र अग्रवाल की ओर से दर्ज करवाई गई एक अहम आपत्ति पर सुनवाई की गई। इसमें कहा गया है कि बिजली कंपनियों ने करीब 10 हजार करोड़ रुपयों का अनावश्यक खर्च दिखाया है। लिहाजा प्रदेश में बिजली के दाम बढ़ाने की बजाय 10 से 15 फीसदी तक घटाए जा सकते हैं। बता दें कि प्रदेश की बिजली कंपनियों ने वित्तीय वर्ष 2024-25 में 2046 करोड़ रुपयों का घाटा बताकर प्रदेश में बिजली के दाम 3.86 फीसदी बढ़ाने की मांग की है।
    सुनवाई पूरी
    बिजली कंपनियों की याचिका पर सुनवाई पूरी हो चुकी है। तीनों बिजली कंपनियों के कार्यक्षेत्र में 66 आपत्तियां आई हैं, जिन पर आयोग ने सुनवाई पूरी कर ली है। अब आपत्तियों के निराकरण के बाद बिजली का नया टैरिफ तय होगा। सबसे ज्यादा 37 आपत्तियां पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी के कार्यक्षेत्र से आई हैं। मध्य क्षेत्र से 15 और पूर्व क्षेत्र से 14 आपत्तियां आई हैं। मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी के कार्यक्षेत्र में आने वाले बिजली उपभोक्ताओं की आपत्तियो पर सुनवाई की गई है। इसमें घरेलू बिजली उपभोक्ताओं ने उनके मामलों के निराकरण में जबरन होने वाली देरी को कम करने की बात कही। वहीं उद्योगों के लिए बिलिंग में किए जाने वाले बदलावों को लेकर भी आपत्तियां आईं। बिजली कंपनियों ने दायर याचिका में दावा किया है कि उन्हें 2 हजार करोड़ से ज्यादा का घाटा हो रहा है। इसकी भरपाई के लिए 3.86 फीसदी टैरिफ बढ़ाए जाने की मांग की जा रही है। इधर, दायर आपत्तियों में ज्यादातर ने बिजली के दाम बढ़ाने की जगह कम करने की बात कही है।
    कंपनियों को कोई घाटा नहीं
    बिजली के जानकार और पूर्व इंजीनियर राजेंद्र अग्रवाल ने अपनी याचिका में कहा है कि बिजली कंपनियों ने गलत तरीके से गणना करके घाटा बढ़ा दिया है। सही मायने में बिजली कंपनियों को घाटा नहीं हो रहा है। अगर बिजली कंपनियां अपनी गणना सही करलें, तो बिजली का टैरिफ बढ़ाने के स्थान पर कम करने की जरूरत रहेगी। आयोग को घाटे की सही जांच करने के बाद बिजली के टैरिफ में 10 से 15 फीसदी कम करने की जरूरत है। घरेलू टैरिफ 150 से 300 को खत्म करना गलत बिजली कंपनियों ने 150 से 300 तक के टैरिफ स्लैब को खत्म करने का प्रस्ताव आयोग को दिया है। याचिकाकर्ताओं ने इस प्रस्ताव को विलोपित करने की मांग की है। दरअसल टैरिफ स्लैब 150 से 300 को खत्म करने से मध्यम वर्गीय बिजली उपभोक्ताओं को सबसे ज्यादा नुकाना होगा। उनका टैरिफ बढ़ जाएगा। वहीं उच्च वर्ग के बिजली उपभोक्ताओं को इससे फायदा होगा। वर्तमान बिजली के टैरिफ में 151 से 300 यूनिट बिजली जलाने वाले बिजली उपभोक्ताओं को 6.61 पैसे यूनिट के हिसाब से बिजली मिलती है। वहीं 300 यूनिट से ज्यादा बिजली जलाने वाले बिजली उपभोक्ताओं को 6.80 पैसे यूनिट के हिसाब से बिल देना होता है।
    दूसरे राज्यों को दे रहे सस्ती बिजली
     बिजली वितरण कंपनियां प्रदेश के ही लोगों की आंखों में धूल झोंकने का काम कर रही है। या यूं कहे कि अपने ही प्रदेश को लूटने में लगी है तो गलत नहीं होगा। दरअसल, मध्य प्रदेश की तीनों बिजली वितरण कंपनियां जो अपने आप को बिजली उत्पादन में सरप्लस स्टेट बताती है वह बाहर कम दामों में बिजली बेच रही है। जबकि अपने ही प्रदेश के उपभोक्ताओं को एक से दो रुपये प्रति यूनिट महंगी बिजली सप्लाई कर रही है। सवाल उठता है कि बिजली कंपनियां दोहरा स्टैंडर्ड आखिर क्यों अपना रही है। दरअसल, मध्य प्रदेश बिजली कंपनियों ने विद्युत नियामक आयोग में जो प्रस्ताव पिछले वित्तीय वर्ष के लिए भेजे हैं उसी में इस बात का खुलासा हुआ है। बिजली कंपनियां दोहरा स्टैंडर्ड अपनाते हुए बाहर सस्ती बिजली बेच रही है। वहीं प्रदेश के उपभोक्ताओं को प्रति यूनिट 2 रुपये तक महंगी बिजली की सप्लाई कर रही है। मध्य प्रदेश की बिजली उत्पादन में लगी कंपनी जो अपने आपको सर प्लस स्टेट बताती है वो बाहर 4.89 रुपए प्रति यूनिट और अपने ही स्टेट के उपभोक्ताओं को 5.97 रुपये प्रति यूनिट की दर से बिजली सप्लाई कर रही है। यही नहीं बिजली कंपनियों ने आगामी 2024-25 के टैरिफ प्रस्ताव में भी बाहरी राज्यों को सप्लाई की जाने वाली बिजली के लिए 4.89 रुपये प्रति यूनिट जबकि अपने राज्य के उपभोक्ताओं को 6.87 रुपये प्रति यूनिट के हिसाब से बिजली बेचने का प्रस्ताव भेजा है।
    आंकड़ों पर एक नजर
    – 2023-24 के टैरिफ में दर्ज आंकड़ों में बाहरी राज्यों को 4.89 रुपये प्रति यूनिट।
    – 2023-24 के टैरिफ में दर्ज आंकड़ों के अनुसार प्रदेश के लोगों को 5.97 रुपये प्रति यूनिट।(151 से 300 यूनिट तक)
    – 2024-25 के लिए टैरिफ प्रस्ताव में बाहरी राज्यों को 4.89 रुपये प्रति यूनिट।
    – 2024-25 के लिए टैरिफ प्रस्ताव में मध्य प्रदेश के लोगों को 6.87 रुपये प्रति यूनिट।(151 से 300 यूनिट तक)
    – 2023-24 में प्रदेश में 1.47 रुपये ज्यादा रेट में बिजली बेची गई।
    – 2024-25 के लिए टैरिफ प्रस्ताव में अपने राज्य में 1.98 रुपये ज्यादा दाम पर बिजली बेचने का प्रस्ताव।

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