- उन्हें भी शुरू होने का इंतजार
भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी द्वारा स्मार्ट मीटर लगाने में रुचि नहीं लेने की वजह से सरकार की मंशा पूरी नहीं हो पा रही है। हालत यह है कि एक माह में महज भोपाल शहर में 15 मीटर ही लग पाए हैं। यानि की दो दिन में एक मीटर लगाया जा रहा है। इसमें भी खास बात यह है कि यह मीटर अभी काम नहीं कर रहे हैं। जिससे वे भी शो पीस बनकर रह गए हैं। यह स्थिति तब है, जब शहर में 13 अक्टूबर 2024 तक कम से कम 57 हजार 102 स्मार्ट मीटर लगाए जाने का लक्ष्य तय किया गया है। इससे समझा जा सकता है कि तय लक्ष्य को हासिल करने में कितने माह लगेंगे। इसके बाद भी जिम्मेदारों पर विभाग व कंपनी के कर्ताधर्ता मौन साधे हुए हैं। इसके बाद हर माह कम से कम 54 हजार 247 स्मार्ट मीटर लगाकर 13 जून 2026 तक 11 लाख 42 हजार 40 स्मार्ट मीटर लगाए जाना है। स्मार्ट मीटर लगने के बाद उपभोक्ताओं को इसे रिचार्ज करवाना होगा। उसके बाद ही घरों में बिजली की आपूर्ति होगी। यह पूरी कवायद बिजली चोरी रोकने के लिए की जा रही है।
मिली जानकारी कके मुताबिक एक महीने में कंपनी ने कोलार क्षेत्र में सिर्फ 15 स्मार्ट मीटर लगाए हैं, वे भी सरकारी कार्यालयों में जो चालू तक नहीं हो पाए है। इसके उलट प्रदेश की पूर्व क्षेत्र वितरण कंपनी और पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी ने अपने कार्यक्षेत्र के ज्यादातर जिलों में स्मार्ट मीटर लगा दिए हैं। मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी के कार्यक्षेत्र वाले जिलों में स्मार्ट मीटर लगाए जाने की शुरुआत तक नहीं हो पा रही है। स्मार्ट मीटर लगाए जाने का काम निजी कंपनियों को दिया है।
शहर में बदले जाना हैं 2 लाख से ज्यादा स्मार्ट मीटर
भोपाल में 2 लाख 8 हजार स्मार्ट मीटर लगाए जाने है। अक्टूबर तक शहर में 57 हजार 102 स्मार्ट मीटर लगाने का टारगेट है। इसके बाद हर महीने 54 हजार स्मार्ट मीटर लगेंगे। मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी के कार्यक्षेत्र के अंतर्गत भोपाल, विदिशा, सीहोर, नर्मदापुरम, ग्वालियर, दतिया, भिंड, मुरैना, गुना और शिवपुरी में स्र्माट मीटर लगना है। साल 2026 तक इन जिलों में 11 लाख से ज्यादा स्मार्ट मीटर लगेंगे।
वितरण ट्रांसफॉर्मर में भी लगेंगे मीटर
नई व्यवस्था के तहत सभी वितरण ट्रांसफॉर्मर में भी स्मार्ट मीटर लगाए जाने है। दावा किया जा रहा है कि इससे बिजली चोरी पूरी तरह से रुक जाएगी। अभी बिजली कंपनियों का सबसे बड़ा घाटा बिजली चोरी और लाइन लॉस है। बिजली चोरी लाइन लॉस की वजह से कंपनियां हर साल घाटे में रहती हैं।