
- बढ़ाने की जगह कम होना चाहिए टैरिफ
भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश की बिजली कंपनियों के घाटे में होने का भले ही ढिंढोरा पीटा जाता रहता है, लेकिन वास्तविकता इससे अलग है। दरअसल बिजली कंपनियां घाटे की जगह मोटा मुनाफा कमा रही हैं, इसके बाद भी आंकड़ों में खेल कर मुनाफा की जगह घाटा बता कर उपभोक्ताओं की जेब काटने के लिए टैरिफ में वृद्वि करवा ली जाती है। हालत यह है कि अभी कपंनियां करीब 60 अरब रुपए के मुनाफे में हैं, लेकिन घाटा बताकर बिजली कंपनियां टेरिफ में साढ़े सात फीसदी से अधिक की वृद्वि के प्रयासों में लगी हुई हैं।
दरअसल, डबल वसूली, गलत वितरण हानि, काल्पनिक राशि की मांग और गलत व्यय बताकर बिजली कंपनियों ने आंकड़ों में घाटा दिखा दिया है। कंपनियों द्वारा विद्युत नियामक आयोग को जो प्रस्ताव दिया गया है , उसमें मौजूद टैरिफ में 7.52 फीसदी वृद्वि कराने का आग्रह किया गया है। मुनाफा की स्थिति को देखते हुए बिजली कंपनियों को चाहिए की वह टैरिफ बढ़ाने की जगह उसे 10 फीसदी तक करें। इससे ईमानदार उपभोक्ताओं को बड़ी राहत मिल जााएगी। मप्र विद्युत विनियामक आयोग में पेश की याचिका में दावा किया गया है कि बिजली कंपनियों ने जो घाटा बताया है, वह सही नहीं है। अगर आयोग मप्र पॉवर जनरेशन कंपनी द्वारा बताई जा रही राजस्व आवश्यकतस की सही तरीके से जांच की जाए, तो इसमें कई तरह की गड़बडिय़ां निकलेंगी। ऐसे में बिजली का टैरिफ बढ़ाए जाने की आवश्यकता नहीं है। बिजली के जानकार राजेंद्र अग्रवाल ने यह याचिका दायर की है। उन्होंने दायर याचिका में दावा किया है कि कंपनियों को 4 हजार करोड़ के घाटे के स्थान पर करीब 6 हजार करोड़ का फायदा है। गौरतलब है कि बिजली कंपनियों ने 4107.18 करोड़ का घाटा बताते हुए बिजली के मौजूदा टैरिफ में 7.52 फीसदी इजाफा करने की मांग की है। बिजली कंपनियों ने साल 2025-26 के लिए 58744.15 करोड़ के राजस्व की आवश्यकता बताई है। कंपनी के मुताबिक प्रचलित दरों पर 54636 करोड़ का राजस्व मिलेगा। इससे बिजली कंपनियों को 4107.18 करोड़ का नुकसान होगा। इसकी भरपाई के लिए कंपनियों ने टैरिफ बढ़ाने की मांग की है। इधर, याचिकाकर्ता ने बिजली कंपनियों द्वारा बताए गए घाटे को गलत ठहराया जा रहा है।
कंपनियों की गलती से हुआ 32 अरब का घाटा
आयोग में दायर याचिका में बिजली कंपनियों ने बिजली खरीदी के आंकड़े भी उपलब्ध कराए है। घाटे की वजह से पूर्व क्षेत्र वितरण कंपनी 4,277.76 एमयू और मध्य क्षेत्र ने 3,711.57 एमयू अतिरिक्त मात्रा में बिजली खरीदी है। वितरण घाटा अधिक होने की वजह से बिजली कंपनियों को यह बिजली खरीदना पड़ी। वहीं, पश्चिम क्षेत्र ने 861.28 एमयू की बचत की है, क्योंकि उनका घाटा मानकों से कम है। इससे साफ होता है कि मध्य क्षेत्र को 4277.76 मिलियन यूनिट और पूर्व क्षेत्र को 3711.75 मिलियन यूनिट बिजली खरीदना पड़ी। कुल मिलाकर लगभग 800 करोड़ यूनिट ऊर्जा अतिरिक्त खरीदना पड़ी और यदि इसकी लागत की गणना की जाए 4 रुपए प्रति यूनिट की दर पर लगभग 3200 करोड़ रुपए की खरीदी हुई। विशेषज्ञों के मुताबिक अगर कंपनियां अपना यह घाटा कम कर लें, तो बिजली कंपनियों को घाटा नहीं होगा और बिजली का टैरिफ बढ़ाने की जरूरत भी नहीं पड़ेगी।
निजी उत्पादकों को 325 करोड़ अधिक देने की तैयारी
प्रदेश के निजी बिजली उत्पादकों ने बिजली उत्पादन टैरिफ के नाम पर 1804 करोड़ रुपए का दावा मप्र विद्युत विनियामक आयोग में प्रस्तुत किया है। इधर, प्रदेश की बिजली कंपनियों ने निजी द्युितत उत्पादकों को 2130 करोड़ देने का प्रावधान आयोग में दायर टैरिफ याचिका में कर दिया। यानी बिजली कंपनियों ने निजी विद्युत उत्पादकों के लिए 325.42 करोड ज्यादा राशि देने की गणना कर दी। यह राशि प्रदेश के बिजली उपभोक्ताओं से वसूली जाएगी। इस तरह से घाटा बताकर बिजली कंपनियां टैरिफ में इजाफा कराना चाहती है। इस तरह के घाटे को कम कर दिया जाए, तो टैरिफ बढ़ाने के स्थान पर घटाया जा सकता है।