मध्यप्रदेश की सडक़ें बनाएंगे इलेक्ट्रिकल इंजीनियर

इलेक्ट्रिकल इंजीनियर
  • एमपीआरडी में सीजीएम के पदों की भर्ती फंसी विवादों में

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। मप्र में अब सडक़ों का निर्माण इलेक्ट्रिकल इंजीनियरों की देखरेख में होगा। यह कोई सरकार का नवाचार नहीं है, बल्कि मप्र ग्रामीण सडक़ विकास प्राधिकरण का कमाल है। दरअसल, ग्रामीण सडक़ विकास प्राधिकरण ने गांवों में सडक़ बनाने के लिए बीएचईएल, बीएसएनएल, बार्डर फोर्स, विद्युत विभाग, एनएचडीसी, एनएचपीसी, यूएडीडी के इंजीनियरों का चयन किया है। यहां तक तो ठीक है, इससे भी चौंकाने वाली बात यह है कि इन इंजीनियरों का साक्षात्कार उन अफसरों ने लिया है जो खुद फेल हो गए थे। जानकारी के अनुसार मप्र ग्रामीण सडक़ विकास प्राधिकरण द्वारा सीजीएम के आठ पदों को भरने की खातिर लिए गए साक्षात्कार की प्रक्रिया सवालों के घेरे में है। भर्ती प्रक्रिया में निमयों की अनदेखी की गई है। साक्षात्कार लेने की जिम्मेदारी ऐसे अफसर को दी गई थी, जो खुद साक्षात्कार में फेल हो गए थे। खास बात यह है कि आठ पदों में जिन अभियंताओं का चयन किया गया, उनका सडक़ निर्माण से दूर-दूर तक का वास्ता नहीं है। गांवों में सडक़ बनाने के लिए बीएचईएल, बीएसएनएल, बार्डर फोर्स, विद्युत विभाग, एनएचडीसी, एनएचपीसी, यूएडीडी के इंजीनियरों का चयन किया गया। अब इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि अफसरों ने इस पूरी प्रक्रिया में किस तरह की मनमानी की है। यही कारण है कि चयन प्रक्रिया को लेकर विरोध के स्वर उठने लगे हैं।
भर्ती निरस्त करने की मांग
मामला सामने आने के बाद अन्य आवेदकों ने इस भर्ती प्रक्रिया को निरस्त करने की मांग सरकार से की है। यह पहला मौका नहीं है, जब इस तरह की प्रक्रिया अपनाई गई है। इससे पहले भी एक बार इसी तरह की मनमर्जी की गई थी, तब प्रक्रिया निरस्त कर दी गई थी।  पंचायत ग्रामीण विकास द्वारा प्रधानमंत्री ग्रामीण सडक़ के सीजीएम के लिए रिक्त आठ पदों के लिए आवेदन पत्र बुलाए गए थे। आवेदन पत्रों की जांच के बाद 29 आवेदन सही पाए गए। उन उम्मीदवारों को साक्षात्कार के लिए बुलाया गया। नियमानुसार 5 अप्रैल से पहले चयन प्रक्रिया होनी थी, लेकिन विद्युत विभाग के ईई एफजे खान को उपकृत करने के लिए विभागीय अफसरों ने साक्षात्कार की तारीख बढ़ा दी। आठ और नौ अप्रैल को साक्षात्कार लिए गए। इसके बाद जो सूची जारी की गई, उसने सबको हैरत में डाल दिया। इस सूची में तीन नामों को छोड़ दें, तो पांच के पास सडक़ों के निर्माण को लेकर कोई अनुभव नहीं है। ऐसे में अंदाजा लगाया जा सकता है कि जिस तरह से भर्ती की गई है, उससे भविष्य में सडक़ों का हाल क्या होगा।
जो खुद फेल उन्होंने लिया साक्षात्कार
सबसे हैरानी की बात यह है कि जो स्वयं फेल हो गए थे उन्होंने सीजीएम के आठ पदों के लिए साक्षात्कार लिए। साक्षात्कार समिति के सदस्य विजय गुप्ता की भूमिका को लेकर भी सवाल खड़े हुए हैं। गुप्ता वर्तमान में प्रमुख अभियंता एमपीआरडीए है, जिनका मूल पद अधीक्षण यंत्री का है। उन्हें मुख्य महाप्रबंधक के पद पर नामांकित किया गया है, जो स्वयं कभी भी साक्षात्कार के माध्यम से चयनित होकर नहीं आए हैं। इन्हें वर्ष 2022 में मुख्य महाप्रबंधक के साक्षात्कार में अनुत्तीर्ण कर दिया गया था। किसी ऐसे अधिकारी द्वारा सीजीएम का साक्षात्कार लिया जाना, जो स्वयं उसके लिए सक्षम नहीं है, यह कहां तक न्यायसंगत है। चयन प्रक्रिया में सुरेश शेजकर का भी नाम है। शेजकर यूएडीडी में एसई के पद पर कार्यरत हैं। शेजकर की गिनती विवादित अफसरों में होती है। प्रदेश के इतिहास में शेजकर ऐसे अफसर हैं, जिन्हें ईएनसी के पद से डिमोट करते हुए चीफ इंजीनियर बनाया गया था। इसके बाद यूएडीडी में चले गए।  इस भर्ती में सुनील वर्मा सीई बीआरओ, प्रशांत पाठक सीनियर डीजीएम बीएचईएल, पीके गुप्ता ईई आरईएस, ओपी दंसोरा ईई आरईएस, एमएल डाबर एसई आरईएस, एफजे खान ईई विद्युत मंडल, सुरेश शेजकर एसई यूएडीडी, कुमार मनोज सीई बीएसएनएल, अनुराग सेठ सीई एनएचडीसी, कृष्णपाल सिंह एसई एनएचएआई, पराग सक्सेना सीई एनएचपीसी का चयन किया गया है। यही नहीं साक्षात्कार एवं चयन प्रक्रिया में शासन के नियमानुसार साक्षात्कार में चार विभागीय एवं न्यूनतम तीन बाहरी तकनीकी विशेषज्ञों को साक्षात्कार समिति में सम्मिलित किया जाना अनिवार्य था। आठ और नौ अप्रैल को हुए साक्षात्कार में चार विभागीय एवं मात्र दो बाहरी विशेषज्ञ थे, जिसमें लोक निर्माण विभाग से आए विशेषज्ञ बोरासिया दस अभ्यर्थियों के साक्षात्कार पश्चात आवश्यक कार्य से चले गए। शेष ग्यारह अभ्यर्थियों के साक्षात्कार में मात्र एक बाहरी विशेषज्ञ उपस्थित थे। साक्षात्कार विशेषज्ञों को बुलाने में विलंब किया गया। जिससे रेलवे, एनएचएआई, सीपीडब्ल्यूडी और एमपीआरडीसी के विशेषज्ञ साक्षात्कार में उपस्थित नहीं हो पाए और समिति द्वारा मनमाने ढंग से चयन किया गया। इससे साफ है कि विजय गुप्ता प्रमुख अभियंता और मुख्य कार्यपालन अधिकारी दीपक आर्य, एमपीआरडीए द्वारा अक्षम लोगों को मौका देकर सक्षम अधिकारियों को उनके अधिकारों से वंचित रखा गया है।

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