- मोदी की गारंटी बनाम राहुल के दांव…
- गौरव चौहान
लोकसभा चुनाव के घमासान के साथ ही वादों की झड़ी लगनी शुरू हो चुकी है। भाजपा के अपने टारगेट सेट हैं, कांग्रेस की अपनी उम्मीदें परवान चढाऩे की कोशिश की जा रही है। इस समय सियासत में दो ही रणनीतियों की जोर दिख रहा है, पहली है मोदी की गारंटी जहां पर एक चेहरे के सहारे एंटी इनकमबेंसी को भी मात देनी है और विकास की प्रतिबद्धता भी दिखानी है। दूसरी रणनीति है राहुल के दांव यानी रोटी-कपड़ा और मकान वाली पॉलिटिक्स की जहां पर जमीनी मुद्दों पर ज्यादा फोकस किया जा रहा है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने इसी रोटी-कपड़ा-मकान वाली पॉलिटिक्स पर आगे बढ़ाने का फैसला किया है। प्रदेश में रोजगार की समस्या काफी पुरानी है, आजादी के बाद से ही जितनी भी सरकारें बनी हैं, सभी ने युवाओं को सुनहरा सपना दिखाया है- रोजगार देने का, देश के भविष्य को संवारने का। लेकिन इस सपने को हकीकत का अमलीजामा कम बार ही पहनाया गया है। अब 2024 के लोकसभा चुनाव में इसी सपने को पूरा करने के लिए अधिकार वाला दांव चला गया है।
मप्र की 29 लोकसभा सीटों का जीतने का टारगेट लेकर भाजपा ने मैदानी मोर्चा संभाल लिया है। पार्टी के सभी प्रत्याशी और नेता चुनावी रण में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की गारंटी को ही चुनाव प्रचार का मूल मंत्र बनाए हुए हैं। वहीं देशभर में जातिगत जनगणना का मुद्दा जोर-शोर से उठा रही कांग्रेस प्रदेश में इस मुद्दे पर उतना फोकस नहीं करेंगी। इसके बजाए महंगाई, बेरोजगारी और भ्रष्टाचार जैसे मुद्दों पर जनता से वोट मांगेगी। दरअसल, कांग्रेस का जो मेनिफेस्टो आने वाला है, उसमें देश की सबसे पुरानी पार्टी रोजगार की गारंटी का ऐलान कर सकती है। वहीं महंगाई को भी पार्टी जोर शोर से हवा देगी।
26 सीटों पर चुनावी तस्वीर साफ
भाजपा ने प्रदेश की सभी 29 सीटों पर प्रत्याशी घोषित कर दिए हंै। जबकि इंडिया गठबंधन ने अभी तक 26 (कांग्रेस 25 और सपा 1)सीटों पर ही प्रत्याशी घोषित किए हंै। भाजपा में चुनावी कैंपेन को लेकर बैठकों का दौर जारी है, तो काग्रेस में प्रदेश उध्यक्ष जीतू पटवारी के दौरे भी शुरू हो चुके हैं। प्रदेश की 26 सीटों पर चुनावी तस्वीर अब पूरी तरह साफ हो चुकी है। भाजपा के सामने इस बार अपने पिछले प्रदर्शन को दोहराने की चुनौती है तो कांग्रेस कमबैक चाहती है। 2019 के लोकसभा चुनाव में प्रदेश में चली नरेन्द्र मोदी की सुनामी में उसके कई दिग्गज चुनाव मैदान में खेत रहे थे और उसे महज एक सीट पर संतोष करना पड़ा था। इस बार भी भाजपा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नाम को लेकर ही चुनाव मैदान में उतरी है। इस बार का चुनावी नारा-मोदी की गारंटी ही होगा।
विधानसभा के चुनावों में भी भाजपा इसी नारे के साथ मैदान में थी और उसे मध्यप्रदेश, राजस्थान समेत छत्तीसगढ़ में बेहतर सफलता मिली थी। वहीं कांग्रेस बेरोजगारी और महंगाई जैसे मुद्दों पर जनता के बीच जाएगी। पार्टी के नेता राहुल गांधी हालांकि अपनी हर सियासी सभा में जातिगत जनगणना का मुद्दा उठाते रहे हैं पर प्रदेश में यह मुद्दा कितना प्रभावी होगा, इसे लेकर कांग्रेस नेताओं को ही संशय है। विधानसभा में भी राहुल गांधी ने जातिगत जनगणना का मुद्दा उठाया था, पर प्रदेश में यह प्रभावी नहीं रहा था।
भाजपा का जोर
मिशन 29 के लिए मप्र में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी एक बार फिर भाजपा का सबसे बड़ा चेहरा है। किसी भी काम को लेकर जनता के मन का विश्वास जीतने के लिए भाजपा इस स्लोगन का प्रयोग करेगी- ये मोदी की गारंटी है। वह बात भाजपा घर-घर तक पहुंचाएगी। इसके साथ ही धारा 370 हटाने का मामला हो या हर घर जल पहुंचाने की बात। इन्हें मोदी की गारंटी में शामिल किया जाएगा। वहीं अयोध्या में राम मंदिर के नाम पर भाजपा चार दशक से चुनाव लड़ती रही है। अब अयोध्या में भगवान श्रीराम का भव्य मंदिर बन चुका है। 22 जनवरी को प्रभु श्रीराम के दर्शन भी शुरू हो गए हंै। मंदिर निर्माण में पार्टी के योगदान को भी वह फिर से घर-घर पहुंचाएगी। महिलाओं से जुड़ी उज्वला योजना, लाड़ली लक्ष्मी योजना समेत महिलाओं से जुड़े अन्य योजनाओं को भी चुनाव प्रचार के दौरान घर-घर पहुंचाया जाएगा। किसानों से जुड़ी योजनाओं के प्रचार-प्रसार पर उसका फोकस होगा, ताकि उसका लाभ मिल सके। देश का बढ़ाता गौरव, इसके अलावा प्रधानमंत्री के नेतृत्व में देश की बढ़ती ताकत, चंद्रयान का सफल परीक्षण और विदेशों में भारत की बढ़ रही साख को भी वह मतदाताओं के बीच ले जाएगी।
कांग्रेस के मुद्दे
कांग्रेस ने इस बार युवाओं को केंद्र में रखकर बेरोजगारी पर फोकस करते हुए बेरोजगारी को बड़ा मुद्दा बनाने का फैसला किया है। सरकार द्वारा हर साल बेरोजगारों को सरकारी नौकरी देने का मामला, भर्ती परीक्षाओं में कथित धांधली के मुद्दे को लेकर जनता के बीच जाएगी। वहीं काग्रेस नेता अपनी हर सभा में जातिगत जनगणना का मुद्दा उठा रहे हैं। वे जिसकी जितनी संख्या उसको उतना हक की मांग कर रहे हैं। कांग्रेस का यह दांव प्रदेश में कितना बल दिखाएगा यह वक्त बताएगा। महगाई, पेट्रोल-डीजल और रसोई गैस की बढ़ती कीमतों को भी प्रमुख मुद्दा बनाएगी। इसका असर निम्न और मध्यम वर्ग पर व्यापक पड़ता है। लिहाजा वह महंगाई को किचन से जोडक़र इसे मतदाताओं के बीच ले जाएगी। किसानों को एमएसपी समेत अन्य मुद्दों के साथ वह जनता के बीच जाएगी।