- सरकार करेगी पांच अरब से अधिक की राशि खर्च
भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। अब तक बड़े शहरों में तो सरकार से लेकर शासन तक जल स्रोतों को साफ व स्वच्छ रखने की कवायद में लगी रहती है। यह बात अलग है कि इसके बाद भी बड़े शहरों के जल स्रोत साफ व स्वच्छ नहीं रह पाते हैं, लेकिन अब प्रदेश की मोहन सरकार ने ग्रामीण इलाकों के जल स्रोतों को साफ व स्वच्छ रखने का बीड़ा उठाया है। इसके तहत प्रदेश के 353 छोटे शहरों में 533 करोड़ रुपए खर्च कर गंदे पानी को साफ करने के लिए सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट बनाए जाएंगे। इससे ग्रामीण इलाकों के नागरिकों के स्वास्थ्य और जीवन की गुणवत्ता को बेहतर बनाने में मदद मिल सकेगी। दरअसल इस नई व्यवस्था से छोटे नगरों में घरों से निकला गंदा पानी और सीवेज सीधे जल स्रोतों में जाकर मिलता है, जिस पर रोक लग सकेगी। इससे रहवासी जलजनित बीमारियों से भी मुक्ति मिल जाएगी। इस प्रोजेक्ट पर काम उज्जैन के उन्हेल से शुरु किया जा चुका है। इसी तरह से चार अन्य शहरों में भी काम कराने के लिए वर्कऑर्डर जारी किए जा चुके हैं।
तीन तरह की तकनीकों पर फोकस
गंदे पानी के उपचार के लिए तीन तरह की तकनीकों पर काम करने का तय किया है। जिसके तहत पहली तकनीक है एसटीपी। इसके तहत उन नगरों में काम किया जाएगा, जहां पर अधिक लिक्विड वेस्ट निकलता है वहां सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट बनाए जाएंगे। पूरे लिक्विड वेस्ट को पाइपलाइन के माध्यम से इन एसटीपी तक लाया जाएगा। इसमें ट्रीट कर उपचारित पानी को छोड़ा जाएगा। दूसरी तकनीक है, डीवाट्स तकनीक। इसकि तहत डी सेंट्रलाइज्ड वेस्ट वाटर ट्रीटमेंट सिस्टम छोटी जगहों के लिए उपयुक्त है। इसमें नगर के पास ही अपशिष्ट का उपचार, पुन: उपयोग और निपटान किया जाता है। उनका मकसद स्वास्थ्य और पर्यावरणीय खतरों को काफी हद तक कम कर सार्वजनिक स्वास्थ्य और प्राकृतिक पर्यावरण की रक्षा करना है। इसी तरह से तीसरी तकनीक है, एसबीआर तकनीक । इसके तहत एनएरोबिक डाइजेस्टर और मैकेनिकले बायोलोजिकल ट्रीटमेंट से लिक्विड वेस्ट को साफ किया जाता है। ऑक्सीजन भी छोड़ी जाती है। जिससे गंदगी अलग हो जाती है और साफ पानी को छोड़ दिया जाता है।
सभी चयनित नगरों की डीपीआर बनी
नगरीय विकास एवं आवास विभाग ने इस काम के लिए प्रदेश एक लाख से कम आबादी वाले 353 नगरीय निकायों को चुना गया है। अधिकारियों के अनुसार सभी नगरों के कामों की डीपीआर तैयार हो गई है। 52 नगरों के लिए भी टेंडर की प्रक्रिया भी जारी है। प्रोजेक्ट में शामिल सभी शहरों के लिए अगले छह माह में वर्क ऑर्डर जारी करने का लक्ष्य तय किया गया है। इसके बाद यह सभी प्लांट एक से डेढ़ साल में यह तैयार हो जाएंगे। जिसमें अलग-अलग तकनीकों से लिक्विड वेस्ट को ट्रीट किया जाएगा।