चहेते मुख्य अभियंता को ईएनसी बनाने की कवायद

  • मौजूदा ईएनसी को संविदा नियुक्ति देकर होगा खेला
प्रदेश

विनोद उपाध्याय
प्रदेश में कुछ कुर्सियां ऐसी होती हैं, जिन पर बैठने के लिए शह-मात का खेल खेला जाता है। ऐसी ही एक कुर्सी है लोक निर्माण विभाग के प्रमुख अभियंता या ईएनसी की। वर्तमान समय में इस कुर्सी पर आरके मेहरा पदस्थ हैं और वेे 31 अक्टूबर को रिटायर होने वाले हैं। ऐसे में उनकी जगह चहेते मुख्य अभियंता एससी वर्मा को ईएनसी बनाने की कवायद चल रही है। इसी प्रारंभिक प्रक्रिया में बाधा खड़ी होने के बाद अब मौजूदा ईएनसी को कुछ माह की संविदा नियुक्ति देकर कुछ माह बाद वरिष्ठता को दरकिनार कर संशोधन के जरिए चहेते को सीनियर बनाकर प्रमुख अभियंता बनाने का खेला रचा जा रहा है। पीडब्ल्यूडी के प्रमुख अभियंता पद से आरके मेहरा  31 अक्टूबर को सेवानिवृत्त होने जा रहे हैं।  मप्र के पीडब्ल्यूडी में चहेते को ईएनसी बनाने वरिष्ठता के साथ छेड़छाड़ का मामला सामने आया है। हालांकि दो मुख्य अभियंताओं की आपत्ति के बाद गत दिवस होने वाली रिव्यू डीपीसी टल गई है। अब यह डीपीसी 28 अक्टूबर को होगी। इसके बाद सबसे वरिष्ठ मुख्य अभियंता को प्रमुख अभियंता ईएनसी बनाने का आदेश जारी होगा। संभावना यह भी है कि मौजूदा ईएनसी आरके मेहरा को तीन या छह महीने के लिए संविदा नियुक्ति देकर कुछ समय के लिए इसे टाला जाए। इसके बाद मुफीद समय आने पर अपने चहेते मुख्य अभियंता को ईएनसी को कुर्सी दे दी जाए।
नियमों का उल्लंघन करने की तैयारी
जानकारी के अनुसार 24 अक्टूबर को भोपाल स्थित लोक सेवा आयोग के क्षेत्रीय कार्यालय में अधीक्षण यंत्री एससी वर्मा की वरिष्ठता में संशोधन के लिए लोक सेवा आयोग के सदस्य नरेंद्र कुमार कोष्टी की अध्यक्षता में पुनर्विचार विभागीय पदोन्नति समिति रिव्यू डीपीसी की बैठक रखी गई थी। इस बैठक में वर्मा को वरिष्ठता प्रदान की जाती, किंतु भनक लगते ही दो इंजीनियर ने आपत्ति लगा दी।
बताते हैं कि अचानक इस तरह की कार्रवाई के लिए उच्च स्तर से मिले संकेत के बाद 24 अक्टूबर को आनन-फानन में बैठक बुलाने का निर्णय लिया गया। इसके पहले 23 अक्टूबर को मंत्रालय में उप सचिव नियाज खान ने रिव्यू डीपीसी कराने का आदेश जारी कर दिया। सूत्रों के मुताबिक, प्रभारी चीफ इंजीनियर वीके आरक एवं एससी वर्मा मूल विचारण क्षेत्र में नहीं थे। नियम अनुसार आरक्षित अनुसूचित जनजाति के पद भरने के लिए विचारण क्षेत्र बढ़ाया गया है। पर, विचारण क्षेत्र में वरिष्ठता में फेरबदल नहीं किया जा सकता है। उज्जैन चीफ इंजीनियर योगेंद्र बगोले इन अधिकारियों से वरिष्ठता में सबसे आगे है। बताते हैं कि यदि रिव्यू डीपीसी में निर्णय हो जाता तो वर्मा की सीआर क प्लस होने से वरिष्ठता क्रम में राणा से भी ऊपर हो जाते। जबकि काफी समय पहले पीडब्ल्यूडी के प्रमुख सचिव प्रमोद अग्रवाल ने वर्मा का सीआर नीचे करके कर दिया था। उस वक्त उनके खिलाफ कई शिकायतें पाई गई थी।
वरिष्ठों को किया जा रहा दरकिनार
दरअसल, मौजूदा ईएनसी मेहरा इसी महीने सेवानिवृत हो रहे हैं। इसके बाद किसी मुख्य अभियंता को ईएनसी की जवाबदारी दी जाना है। वरिष्ठता क्रम में सबसे ऊपर केपीएस राणा, एआर सिंह, वीके आरक आदि लोगों का नाम है। किंतु वरिष्ठता क्रम में काफी नीचे जबलपुर के प्रभारी मुख्य अभियंता एससी वर्मा का नाम है। वर्मा को वरिष्ठता से हटकर क्रम में सबसे ऊपर करने को लेकर वर्ष 2012 में हुई डीपीसी को अमान्य कर रिव्यू डीपीसी रखी गई थी। इसी बीच जानकारी होते ही राजधानी परिक्षेत्र के मुख्य अभियंता संजय मस्के और मुख्य अभियंता बीपी बौरासी ने रिव्यू डीपीसी पर आपत्ति लगा दी। इसके बाद पूरा मामला उलझ गया। दो मुख्य अभियंताओं की आपत्ति को देखते हुए रिव्यू डीपीसी कमेटी ने डीपीसी को टाल दिया। इसके बाद रिव्यू डीपीसी के लिए 28 अक्टूबर की तारीख तय की गई है। जानकारी के अनुसार, ईएनसी बनने की होड़ में सभी नियम कायदों को दरकिनार कर चहेतों को उपकृत करने की कोशिश चल रही है। सूत्र बताते हैं कि इससे पहले इसी तरह से ग्वालियर परिक्षेत्र के मुख्य अभियंता आरक को नियम विरुद्ध वरिष्ठता दी गई थी। उनको ऊपर लाने के लिए जीएडी में फाइल भेजी गई है। जबकि ऐसे रिव्यु करने का कोई प्रावधान नहीं है।
मेहरा को मिल सकती है संविदा नियुक्ति
बताया जाता है कि अगले ईएनसी को लेकर जिस तरह की खींचतान मची हुई है, उस कारण पीडब्ल्यूडी के प्रमुख अभियंता पद से 31 अक्टूबर को सेवानिवृत्त होने जा रहे आरके मेहरा को संविदा नियुक्ति दिए जाने का प्रस्ताव मंत्रालय स्तर पर तैयार हो गया है। मंत्री राकेश सिंह भी इस पर सहमत है, लेकिन संविदा नियुक्ति मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की मंजूरी मिलने पर ही दी जा सकती है। उधर, अधीक्षण यंत्री एससी वर्मा को वरिष्ठता देने के लिए डीपीसी की बैठक बुलाई गई थी, लेकिन आखिरी वक्त पर इसे स्थगित कर दिया गया। पीडब्ल्यूडी विभाग में ईएनसी के पांच पद स्वीकृत हैं, लेकिन इन पदों में से चार खाली और एक पर मुखिया के तौर पर आरके मेहरा पदस्थ है। मेहरा का रिटायरमेंट 31 अक्टूबर को होना है। संभावना यह लगाई जा रही है कि सरकार उन्हें एक साल की संविदा नियुक्ति देकर उन्हें आगे भी ईएनसी बनाए रखेगी। इसके पहले भी विभाग में संविदा नियुक्ति दी जाती रही है। वहीं चीफ इंजीनियर के 18 पद मंजूर होने के बाद भी विभाग में रेगुलर एक भी चीफ इंजीनियर नहीं है, बल्कि प्रभारी के तौर पर अधीक्षण यंत्रियों को काम सौंप रखा है। इसी कड़ी में विभाग में ईएनसी बनने के लिए मारामारी मची हुई है। सीनियरटी की लड़ाई में दो बार अधीक्षण यंत्री की वरिष्ठता निर्धारित की जा चुकी है। 24 अक्टूबर को डीपीसी की बैठक बुलाई गई थी, जिसमें जबलपुर में पदस्थ प्रभारी चीफ इंजीनियर एससी वर्मा की वरिष्ठता निर्धारित की जानी थी, लेकिन्न ऐन वक्त पर डीपीसी की बैठक टल गई। यह वरिष्ठता 2012 में अधीक्षण यंत्री बने अधिकारियों के बीच तय होगी। वर्तमान में वरिष्ठता के हिसाब से शालिगराम बघेल, केपीएस राणा, विभाग में उप सचिव एआर सिंह, एसएल सूर्यवंशी, आरएल वर्मा, व्हीके आरख, गोपाल सिंह आदि के बीच तय की जानी है। यदि मेहरा को संविदा नियुक्ति नहीं मिल सकी तो प्रभारी ईएनसी इन्हीं अधिकारियों में से बनाया जाएगा। इस दौड़ में शालिगराम बघेल सबसे ऊपर बताए जा रहे हैं।

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