कांग्रेस में तनाव खरीद फरोख्त से बचाने की कवायद

कांग्रेस

गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। भले ही अभी प्रदेश में विधानसभा चुनाव के परिणाम आना बाकी है, लेकिन कांग्रेस में अभी से अपने जीत दर्ज करने वाले प्रत्याशियों को लेकर टेंशन बना हुआ है। इसकी वजह है उसे डर सता रहा है कि, कहीं विधायकों की संख्या बल बहुमत के आसपास रही तो भाजपा उसके विधायकों की खरीद फरोख्त न कर ले। कांग्रेस की इस आशंका की वजह है, 2020 में हुआ दलबदल, जिसकी वजह से कमलनाथ सरकार को सत्ता से बाहर होना पड़ा था। इसी आशंका के चलते कांग्रेस के रणनीतिकारों ने अभी से कवायद करना शुरु कर दी है। इसके तहत कांग्रेस अपने हर प्रत्याशी पर निगरानी रखने जिला प्रभारियों को तैनात करने जा रही है। यह प्रभारी संबधित जिलों में पार्टी विधायकों के सतत संपर्क में रहेंगे और उन पर निगरानी का भी काम करेगें। इसके अलावा पार्टी ने उन विधायकों पर खासतौर पर कड़ी निगरानी करने की योजना बनाई है, जो राज्यसभा चुनाव के समय क्रास वोटिंग कर चुके हैं। पार्टी को डर है कि कहीं यह क्रॉस वोटिंग करने वाले विधायक फिर से चुनाव जीतकर खरीद फरोख्त का शिकार न हो जाएं। पार्टी सूत्रों के मुताबिक प्रदेश कांग्रेस कार्यालय ने इसके लिए अपने प्रभारियों को निर्देश भी जारी कर दिए हैं। इस संभावित खतरे से बचने के लिए कांग्रेस द्वारा अपने सभी प्रत्याशियों को मतगणना प्रशिक्षण के लिए भोपाल बुलाया गया है। इस दौरान कुछ प्रत्याशियों से कमलनाथ सहित बड़े नेता अलग से भी चर्चा करेंगे। इधर पार्टी नेतृत्व ने संगठन के वरिष्ठ पदाधिकारियों को भी प्रत्याशियों के लगातार संपर्क में रहने को कहा है। फिलहाल कांग्रेस संगठन ने इस मसले गंभीरता से लिया है। यही वजह है कि इस तरह के किसी भी राजनीतिक खतरे से निपटने की पूरी तैयारी अभी से की जा रही है।  दरअसल 2018 के चुनाव में पार्टी डेढ़ दशक बाद सत्ता तक पुहंची थी, लेकिन इस बीच हुए दलबदल की वजह से कांग्रेस सरकार को 15 माह के अल्प  कार्यकाल के बाद सत्ता से बाहर होना पड़ गया था। उस समय मौजूदा केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थक विधायकों ने पाला बदलकर कमलनाथ सरकार को सत्ता से बाहर होने पर मजबूर कर दिया था। कांग्रेस इस बार ऐसी किसी भी तरह की स्थिति से बचने के लिए परिणाम आने से पहले ही सजग हो गई है। कांग्रेस को भरोसा है कि 3 दिसम्बर की मतगणना के बाद पार्टी बहुमत के साथ सरकार बना रही है। पार्टी वर्ष 2020 की स्थिति को दोहराना नहीं चाहती। इसलिए उसने अभी से अपने सभी प्रत्याशियों पर अभी से नजर रखने की रणनीति पर काम शुरु कर दिया है। यही वजह है कि पार्टी प्रत्याशियों की हो रही बैठक के बाद 28 नवंबर को एक बड़ी बैठक भोपाल बुलाई गई है। इसमें जिला प्रभारियों, जिलाध्यक्षों सहित दूसरे नेताओं को भी बुलाया गया है। आज हो रही बैठक में विशेषज्ञों द्वारा बताया जाएगा कि किस तरह से मतगणना के दौरान ध्यान देना है। सूत्रों का तो यहां तक कहना है कि इस दौरान प्रत्याशियों को शपथ दिलाई जाएगी कि वे कांग्रेस का साथ नहीं छोड़ेंगे। इसके बाद जिला प्रभारी अपने-अपने दायित्व वाले जिलों में जाकर डेरा डालेंगे और प्रत्येक प्रत्याशी पर नजर रखेंगे कि उनसे भाजपा के कौन लोग मिलने की कोशिश कर रहे हैं या उनसे संपर्क बनाने की कोशिशें की जा रही है।
वरिष्ठों के साथ बनेगी रणनीति
जानकारों की माने तो 28 नवम्बर को पार्टी की अहम बैठक होगी। इसके बाद वरिष्ठ विधायकों के साथ अलग से रणनीति बनाई जाएगी। इसमें वरिष्ठ नेता भी मौजूद रहेंगे। सूत्रों की माने तो यह नेता मतगणना के बाद किस तरह के कदम उठाए जाएं, इस पर चर्चा करेंगे। बताया गया है कि पीसीसी चीफ कमलनाथ अपने खास लोगों की एक टीम के जरिए भोपाल से भी सभी प्रत्याशियों की गतिविधियों पर नजर रखने का काम करेगी।
दलबदल के बाद हुई थी क्रास वोटिंग
पार्टी में हुई बगावत के बाद हुए राष्ट्रपति के निर्वाचन के दौरान कांग्रेस के 96 विधायकों में से 79 ने ही पार्टी समर्थित प्रत्याशी के पक्ष में मतदान किया था , जिसकी वजह से कांग्रेस समर्थित प्रत्याशी यशवंत सिन्हा को 79 वोट ही मिले थे, जबकि भाजपा के 127 विधायकों के मुकाबले 146 वोट द्रौपदी मुर्मू को मिले थे। इस चुनाव में पांच वोट निरस्त हुए थे। प्राप्त वोटों के अनुसार राष्ट्रपति चुनाव में मुर्मू को कांग्रेस सहित अन्य दलों के भी वोट मिले थे। ऐसे में कांग्रेस के 17 विधायकों द्वारा क्रॉस वोटिंग की बात सामने आयी थी। इसके बाद से कांग्रेस को अपने ही कुछ विधायकों पर संदेह है। खास बात यह है कि इनमें से ज्यादातर फिर से चुनाव लड़ रहे हैं। यही वजह है कि कांग्रेस को चुनाव परिणाम से पहले ही अपने विधायकों की बाड़े-बंदी की तैयारी  शुरू कर दी है।
दो चरण में होगी  बैठक
इधर प्रदेश आज हो रही बैठक दो चरणों में बुलाई गई है। पहले चरण में रीवा, शहडोल और ग्वालियर चंबल सहित अन्य संभागों के प्रत्याशियों की बैठक होगी , जबकि दूसरे चरण में शेष रहे गए प्रत्याशियों की बैठक होगी। बैठक में प्रत्याशियों को मतगणना के दौरान पूरी तरह से सजग रहने एवं किसी भी तरह की विषम परिस्थितियां उत्पन्न होने पर पीसीसी को जानकारी देने एवं विशिष्ट नेताओं के साथ जिला निर्वाचन अधिकारी के सामने अपना पक्ष कैसे रखा जाए, इसकी जानकारी दी जाएगी। बताया गया है कि कांग्रेस के पास मतदान के उपरांत जो फीडबैंक आया है, उसमें दो दर्जन ऐसी सीटें बताई जा रही है, जहां पर कांग्रेस को कड़ा संघर्य करना पड़ा है। ऐसे में मतगणना के दौरान वहां किस तरह की सक्रियता दिखानी है, इस बारे में संबंधित प्रत्याशियों को आवश्यक दिशा निर्देश दिए जाएंगे।

Related Articles