शिक्षा विभाग की बेस्ट फाइव योजना युवाओं के लिए बनी मुसीबत

शिक्षा विभाग
  • सेना नहीं मानता भर्ती योग्य तो आईटीआई ने भी कई ट्रेड के लिए माना अयोग्य  …

भोपाल/रवि खरे/बिच्छू डॉट कॉम। मध्य प्रदेश का शिक्षा विभाग भी अजब गजब है, खुद की इमेज बनाए रखने के लिए वह कुछ भी कर सकता है। ऐसे ही एक कारनामे की वजह से प्रदेश के युवाओं का भविष्य भी विभाग द्वारा दांव पर लगाया जा चुका है। इसकी वजह से करीब प्रदेश के आधे पढ़े लिखे युवाओं को न केवल सेना में भर्ती होने से वंचित होना पड़ रहा है , बल्कि वे आईटीआई की कई तरह के टे्रड में भी प्रवेश नहीं ले पा रहे हैं। इसकी वजह है विभाग की बेस्ट फाइव योजना। इस योजना को स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा करीब पांच  साल पहले 2017 में उस समय शुरू किया गया था, जब परीक्षा परिणाम बेहद खराब रहा था। उस समय करीब पचास फीसदी छात्र फेल हो गए थे। अपनी छवि बचाने के लिए तब अफसरों ने मिलकर यह योजना शुरू कर दी थी, जिसके तहत परीक्षार्थी सभी छह विषय की परीक्षा में तो शामिल होंगे, लेकिन सर्वाधिक पांच अंक वाले विषयों के नंबर जोड़कर परीक्षा परिणाम घोषित किया जाएगा। इसमें सबसे कम अंक आने वाले विषय को परीक्षा परिणाम में शामिल नहीं किया जाएगा। इससे विद्यार्थियों ने अंग्रेजी, गणित व विज्ञान जैसे बेहद अहम  विषयों को पढ़ना बंद कर दिया। यह बात अलग है की मंडल की परीक्षा में बेस्ट आफ फाइव को लागू किए जाने के बाद परीक्षा परिणाम बेहतर हुआ है, लेकिन छात्रों का भविष्य दांव पर जरूर लग गया है। यह योजना दसवीं की परीक्षा में लागू की गई है। इस योजना का परिणाम यह सामने आ रहा है की बीते सालों में दसवीं की गणित व अंग्रेजी में सबसे ज्यादा विद्यार्थी फेल हुए है। इसके परिणाम स्वरुप छात्र सेना में भर्ती के लिए योग्य नहीं रह गए हैं। इसकी वजह से सेना में भर्ती होकर देश के लिए कुछ कर गुजरने का सपना देखने वाली आधी युवा पीढ़ी को आर्मी में भर्ती के लिए अयोग्य बना दिया है। यह वो युवा पीढ़ी है जो दसवीं की परीक्षा में अच्छे नंबर लाने के बाद भी आर्मी में भर्ती नहीं हो पा रही है। यही नहीं इसकी वजह से प्रदेश सरकार द्वारा संचालित आईटीआई के कई अहम पाठ्यक्रमों में भी प्रवेश नहीं मिल पा रहा है।
यह वजह बन रही अयोग्ता की वजह
दरअसल सेना में भर्ती व आईटीआई के कई बेहद महत्वपूर्ण पाठ्यक्रमों के लिए विज्ञान, गणित एवं हिंदी जैसे विषयों में उत्तीर्ण होना अनिवार्य होता है। मंडल की नई बेस्ट आफ फाइव प्रणाली के तहत छह विषयों में यदि विद्यार्थी इन विषयों में पा नहीं होता है तो वह आयोग्य मान लिया जाता है। बेस्ट आफ फाइव योजना की वजह से छात्र जिस विषय में कमजोर रहता है, वह उस विषय की पढ़ाई नहीं करता है। ऐसे विषयों में गणित, अंग्रेजी व विज्ञान विषय शामिल है। इसकी वजह से इन मुख्य विषयों का परीक्षा में महत्व कम हो गया है।
इस साल सवा तीन लाख छात्र हुए फेल
मप्र माध्यमिक शिक्षा मंडल की दसवीं के परिणाम वर्ष 2022 में बेस्ट फाइव से दसवीं की गणित व अंग्रेजी में सवा तीन लाख विद्यार्थी फेल हुए है। दसवीं की गणित में 9 लाख 19 हजार विद्यार्थी शामिल हुए। इसमें 3 लाख 20 हजार विद्यार्थी फेल हो गए। वहीं अंग्रेजी में 9 लाख 17 हजार विद्यार्थी शामिल हुए। इसमें 3 लाख 32 हजार विद्यार्थी फेल हो गए है। पास प्रतिशत 63.74 फीसदी रहा है। विज्ञान में 9 लाख 18 हजार विद्यार्थी शामिल हुए। इसमें 6 लाख 53 हजार विद्यार्थी पास हुए है। इसके पूर्व के सालों के परीक्ष परिणाम देखें तो वर्ष 2018 में सामान्य अंग्रेजी के पेपर में 7 लाख हजार 458 विद्यार्थी शामिल हुए थे। विज्ञान विषय में 8 लाख 8 हजार 611 विद्यार्थी शामिल हुए। इसमें करीब दो लाख विद्यार्थी फेल हो गए थे। इसी तरह से वर्ष 2019 के दसवीं परिणाम में बेस्ट फाइव के कारण दसवीं की गणित में करीब चार लाख व अंग्रेजी में तीन लाख विद्यार्थी फेल हुए। दसवीं की गणित में 8 लाख 54 हजार विद्यार्थी शामिल हुए है। इसमें 3 लाख 88 हजार विद्यार्थी फेल हो गए। वहीं अंग्रेजी में 7 लाख 55 हजार विद्यार्थी शामिल हुए। इसमें 2 लाख 93 हजार विद्यार्थी फेल हो गए थे।

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