शराब घोटाले में ईडी की एंट्री, जानकारी तलब

शराब घोटाले

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। दिल्ली और छत्तीसगढ़ के बाद अब मप्र में भी आबकारी घोटाला सामने आ चुका है। अब इस मामले में ईडी की भी इंट्री हो चुकी है। इस घोटाले का अनुमान 72 से 100 करोड़ रुपए के बीच संभावित है। हालांकि सूत्रों का कहना है कि इस घोटाले की राशि 200 करोड़ तक जा सकती है। इस मामले में ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) ने 6 मई को प्राथमिकी दर्ज कर आबकारी आयुक्त से 5 बिंदुओं पर जानकारी मांगी थी, जो भेज दी गई है। हालांकि, ईडी ने उसे अधूरी बताते हुए दोबारा पूरी जानकारी भेजने को कहा है। दरअसल, अफसरों और ठेकेदारों के गठजोड़ से यह घोटाला किया गया। शराब कारोबारियों ने बैंक में 10 हजार रुपए जमा कराए और षड्यंत्र पूर्वक उसे 10 लाख रुपए कर वेयरहाउस से देसी और विदेशी शराब उठा ली। इससे जमकर मुनाफा हुआ। कुल 194 चालानों में घोटाला किया गया, जिससे सरकार को 1त्न इनकम टैक्स, 8त्न परिवहन शुल्क की राशि का नुकसान हुआ। यह नुकसान करीब 97.97 करोड़ तक है। आबकारी आयुक्त ने ईडी को जो जानकारी भेजी है, उसमें सबसे बड़ी गड़बड़ी 2015 से 2018 के बीच इंदौर जिले में की गई है।
पांच बिंदुओं पर मांगी जानकारी
– फर्जी चालान कांड में शामिल ठेकेदारों की जानकारी।
– अब तक ठेकेदारों से वसूल की गई राशि का विवरण।
– इंदौर चालान कांड में सम्मिलित ठेकेदारों के बैंक खातों की जानकारी।
– इस संबंध में की जा रही जांच की वर्तमान स्थिति।
– प्रकरण के संबंध में विभागीय जांच समिति का प्रतिवेदन।
– सरकारी जांच में दोषियों पर आपराधिक केस दर्ज करने की सिफारिश
– सरकार ने फर्जी चालान घोटाले की जांच के लिए आईएएस स्नेहलता श्रीवास्तव के नेतृत्व में विभागीय जांच समिति बनाई। उन्होंने प्रमुख सचिव वाणिज्यिक कर को जो रिपोर्ट सौंपी, उसमें दोषियों पर एफआईआर की अनुशंसा की थी।
– जांच रिपोर्ट में कहा गया है कि इंदौर में कूटरचित चालानों के जरिये शासन को 42 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ।
– इस मामले में याचिका क्रमांक 10781/2022 दायर की गई थी, जिसमें हाई कोर्ट ने अपने अंतिम निर्णय में कहा था कि इस पूरे कांड में विभागीय अधिकारियों के ठेकेदारों के साथ फर्जी चालान कांड में संलिप्तता से इनकार नहीं किया जा सकता।
– जांच अधिकारी ने सरकार को 26 दिसंबर 2023 को भेजे पत्र में कहा था कि मामले में किसी भी प्रकार की जांच की जरूरत नहीं है। अब इस मामले में कोर्ट के आदेश के अनुसार आपराधिक प्रकरण दर्ज किया जाना ही उचित होगा।
– इस मामले में विभाग का कहना है कि आबकारी आयुक्त के द्वारा कार्यवाही की जा रही है। जांच एजेंसी ने जिन बिंदुओं पर जानकारी मांगी थी, वह भिजवा दी गई है।

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