- 12 साल बाद भी पेपरलैस नहीं हुए सरकारी ऑफिस
भोपाल/विनोद उपाध्याय/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश सरकार द्वारा लोगों को बेहतर और पारदर्शी रूप से योजनाओं का लाभ पहुंचाने व पेपर लैस कार्य की दिशा में सरकारी विभागों में ई-आॅफिस प्रणाली लागू की गई है। लेकिन स्थिति यह है कि प्रदेश में ई-आॅफिस सिस्टम में भी फाइलें मैन्युअली दौड़ रही हैं। यानी प्रदेश में ई-ऑफिस का सिस्टम फेल हो गया है। गौरतलब है कि ई ऑफिस को राज्य मंत्रालय से लेकर जिलों और तहसील कार्यालयों तक लागू करने की कोशिश की गई, लेकिन सारे मंसूबे फिलहाल फेल नजर आ रहे हैं। ऐसे में सरकार ने 1 जुलाई 2022 से राज्य मंत्रालय में मैन्युअल फाइलों को ट्रैक करने एफएमएमएस एप्लीकेशन बंद करने का फैसला किया है। इसे बंद कर सिर्फ ई-आॅफिस ट्रैकिंग सिस्टम से ही मैन्युअल फाइल्स भी ट्रैक की जाएंगी।
गौरतलब है कि सरकार के बार-बार ताकीद करने के बाद भी नए सिस्टम का क्रियान्वयन नहीं किया गया। इस पर सरकार ने नाराजगी जताई है। इसी कड़ी में 29 जून को फिर से विशेष ट्रेनिंग दी गई, ताकि 1 जुलाई से ई-आॅफिस के ट्रैकिंग सिस्टम को अपनाकर लागू किया जा सके। इसके अलावा जिलों के मैन्युअल फाइल सिस्टम की स्थिति भी ठीक नहीं है। खास तौर पर आचार संहिता लागू होने के बाद ई-आॅफिस की बजाए मैन्युअल फाइलिंग बढ़ गई है। इसलिए भी सख्ती करने की तैयारी है।
अब भी नहीं हुआ पेपरलेस सिस्टम
प्रदेश के सरकारी विभागों में पेपरलेस सिस्टम लागू करने के जितने भी प्रयास हुए हैं वे असफल रहे हैं। अक्टूबर 2019 तक सभी विभागाध्यक्ष कार्यालयों में लागू होना था, लेकिन ऐसा नहीं हो सका। आधे से ज्यादा कार्यालयों में अब तक लागू नहीं किया गया। वहीं मंत्रालय स्तर पर भी ई-ऑफिस पूरी तरह सफल नहीं हो पाया।
सीएम सचिवालय, जीएडी, स्कूल शिक्षा, आईटी सहित कुछ विभाग जरूर ई-ऑफिस का ज्यादा इस्तेमाल कर रहे हैं, लेकिन बाकी विभागों में मैन्युअल फाइलिंग ही ज्यादा है। मंत्रालय में डाक को लेकर भी एक सेंट्रलाइज सिस्टम बना दिया है। वहां ई-फाइलिंग हो जाती है, फिर भी मैन्युअल डाक पहुंचती है। इसे लेकर भी दिक्कतें हैं। पीएस व सचिव स्तर पर सुविधा के हिसाब से ई-फाइलिंग हैं। वहीं जिलों व संभाग से आने वाली फाइलों को भी ई-फार्मेट में ही भेजना तय किया गया था। इसके अलावा मैन्युअल फाइलिंग खत्म करने की डेडलाइन तय की गई, लेकिन ई-फार्मेट के साथ हर फाइल की अभी मैन्युअल फाइलिंग भी हो रही है। इससे जिलों व संभाग स्तर पर सरकारी कार्यालयों में भी ई-ऑफिस सिस्टम अधूरा है। इसमें ट्रेकिंग सिस्टम इसलिए असरदार नहीं हो पाया है।
12 साल से हो रहे प्रयास
दिलचस्प ये कि प्रदेश में ई ऑफिस का पेपरलेस सिस्टम लागू करने के प्रयास करीब 12 साल से हो रहे हैं, लेकिन अब तक यह पूरी तरह साकार नहीं हो सका। सबसे पहले 2007-08 में पेपरलेस वर्किंग के लिए ई-ऑफिस का सिस्टम लागू करने के प्रयास हुए थे। तब भी सीएम शिवराज सिंह चौहान ही थे। इसके बाद 2017 में शिवराज ने ही वापस इसे लागू करने के कदम उठाए। इसके बाद 2018 में विधानसभा चुनाव आ गए, तो यह सिस्टम ठप हो गया। फिर कांग्रेस की कमलनाथ सरकार आई, तो 2019 के मध्य में वापस इसे गंभीरता से लागू करने के कदम उठे। पूरी गाइडलाइन तक जारी की गई, लेकिन मामला परवान नहीं चढ़ सका। बाद में सत्ता परिवर्तन हुआ, तो फिर शिवराज सरकार आ गई। इस बार फिर शिवराज सरकार ने मई 2020 और फिर जनवरी 2021 में इसे लागू करने सख्ती दिखाई, लेकिन अब भी यह पूरी तरह लागू नहीं हो पाया है। 07 मार्च व 28 मार्च 2022 को ई-ऑफिस सिस्टम से ही मैनुअल फाइल ट्रैकिंग सिस्टम को लागू करना तय किया। 26 अप्रैल 2022 को मैन्युअल फाइल ट्रैकिंग के लिए एफएमएमएस एप्लीकेशन बंद करने के निर्देश दिया गया। 23 जून 2022 को एफएमएमएस एप्लीकेशन बंद न करने पर नाराजगी जताई। 01 जुलाई 2022 से एफएमएमएस एप्लीकेशन बंद करके केवल ई-आॅफिस एप्लीकेशन से ही फाइल ट्रैकिंग होगी।
मंत्रालय में ई-फाइलिंग का काम आधा-अधूरा
गौरतलब है कि सरकार ने ई-ऑफिस सिस्टम सबसे पहले राज्य मंत्रालय में लागू किया था। इसके तहत मैन्युअल फाइल को धीरे-धीरे बंद कर ई-फॉर्मेट की फाइलिंग करनी थी। लेकिन यह पूरी तरह नहीं अपनाया गया। कुछ विभाग ही 80 प्रतिशत तक ई-फाइलिंग कर रहे हैं। बाकी विभाग महज दस से बीस फीसदी तक ही ई-फाइलिंग हो रही है। पुरानी एफएमएमएस एप्लीकेशन बंद की जा रही है। इसकी ट्रेनिंग भी दी गई।