
- बोवनी के बाद फसलों को जब पानी की जरुरत है तब पानी नहीं गिर रहा, फसलें खराब होने के बन रहे आसार…
भोपाल/राजीव चतुर्वेदी/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश में मानसून के अचानक चले जाने से अन्नदाताओं के चेहरे पर चिंता की लकीरें साफ देखी जा रही है। बारिश नहीं होने से सोयाबीन के पौधे खराब होने की कगार पर है। यही नहीं दूर-दूर तक फिलहाल बारिश के आसार ही नजर आ रहे हैं। वहीं बाहर धूप तो अंदर उमस परेशान कर रही है।
मानसूनी बादलों के रूठने के बाद शहर में मौसम का मिजाज दिन-ब-दिन बदल रहा है। कभी शाम को बादल छा जाते हैं तो कभी तेज धूप तपा रही है। ऐसे में सबसे ज्यादा असर लाखों एकड़ में बोई गई फसल पर पड़ रहा है। किसानों की माने तो कुछ लोगों ने बारिश के पहले बोवनी कर ली थी तो कुछ ने बाद में बोवनी की है। पौधे भी आना शुरू गए है। कहीं दस तो कहीं पंद्रह दिन के पौधे निकल आए हैं। कृषि वैज्ञानिकों की माने तो प्रदेश भर के जिलों में एक जैसी स्थिति है। यदि चार-पांच दिन में बारिश नहीं हुई तो फसलों को नुकसान होने की संभावना बढ़ जाएगी। जुलाई महीने की शुरूआत हो चुकी है लेकिन बारिश के फिलहाल दूर-दूर तक कोई आसार दिखाई नहीं दे रहे। ऐसे में अन्नदाताओं के चेहरे पर चिंता की लकीरें पड़ना लाजमी है।
खेतों की नमी हो रही खत्म
किसानों को बोवनी करने के बाद भी एक पखवाड़े से ज्यादा का वक्त हो गया है लेकिन बारिश नहीं होने से जमीन की नमी लगातार खत्म हो रही है। ऐसे में यदि दो-चार दिन में पानी नहीं गिरता है तो सोयाबीन सहित दूसरी फसलें तो लगभग खत्म ही हो जाएंगी। यही वजह है कि गांवों में किसान अच्छी बारिश की मिन्नतें कर रहे हैं। उनका कहना है कि जून में जो बारिश हुई है वो इतनी ज्यादा नहीं हुई कि उससे जलस्रोत भर गए हों। यदि थोड़ा बहुत पानी कहीं भरा होता तो किसान सिंचाई कर लेते। लेकिन जून के शुरूआती दिनों में भी इतनी बारिश नहीं हुई। यही वजह है कि जल स्रोत भी खाली है।
किसानों को सता रहा नुकसान का डर
प्रदेश के अन्नदाताओं की बारिश नहीं होने की वजह से चिंता बढ़ गई है। किसानों का मानना है कि यदि दो-चार दिन में पानी नहीं बरसता है तो किसानों की उम्मीदों पर पानी फिर जाएगा। बड़ी मुश्किल से इस बार बोवनी का मौका मिला है। हालांकि बोवनी देर से होने के कारण कम दिनों की उपज वाला बीज बोया है लेकिन जिस तरह से गर्मी पड़ रही है बीज से पौधे तो निकल आए लेकिन वह जल्द खत्म होने लगेंगे। ऐसे में किसान की चिंता बढ़ गई है। ऐसा लग रहा है कि किसानों की मेहनत पर कहीं पानी ना फिर जाए। उल्लेखनीय है कि लंबे समय से चल रहे कोरोना संकट के चलते पहले ही व्यापार में मंदी छाई हुई है। वहीं इस साल सोयाबीन का बीज भी महंगा है। ऐसे में यदि जल्द बारिश नहीं हुई तो किसानों को फिर दोहरी मार झेलनी पड़ सकती है।
धान की फसल पर मंडराने लगा संकट
प्रदेश में पिछले वर्षों में धान का उत्पादन लगातार बढ़ने की वजह से धान की फसल की तरफ किसानों का रुझान बढ़ा है। इस बार समय से पहले हुई बारिश के चलते किसानों ने धान की रोपाई तो कर दी लेकिन अब जब पानी की जरूरत है तो बारिश नहीं हो रही है। इन हालातों में किसानों के माथे पर चिंता की लकीरें खिंच गई हैं। राजधानी भोपाल से सटे खजूरी कला गांव के एक किसान ने बताया कि उन्होंने फिलहाल 15 एकड़ में धान की रोपाई कर दी है। अब पानी नहीं मिलने से बुआई रोक दी है क्योंकि पानी नहीं मिलने से फसल सूखने के आसार बन गए।