मनमानी दर वृद्धि से अफसरों ने दो साल में लगाया खजाने को एक अरब का चूना

लोक निर्माण विभाग

भोपाल/हरीश फतेहचंदानी/बिच्छू डॉट कॉम। लोक निर्माण विभाग के अफसरों ने एसओआर में मनमाने तरीके से वृद्धि कर ठेकेदारों को तय राशि से एक अरब रुपए से अधिक की राशि का भुगतान कर दिया। खास बात यह है कि इस तरह का भुगतान प्रदेश में बीते दो सालों से किया जा रहा था। यह भुगतान प्रदेश में ब्रिज और आरओबी बनाने वाली कंपनियों को किया गया है। इस मामले की शिकायत हुई तो अफसरों ने बड़ी हुई दरों को एक फिर संशोधित कर कम कर दिया। लोक निर्माण विभाग के अफसरों ने एसओआर में फेरबदल कर ठेकेदारों को बढ़ी हुई दरों से भुगतान भी कर दिया। बाद में गोपनीय शिकायत हुई तो आनन-फानन में दरें वापस संशोधित कर पुरानी दरों को ही तय कर दिया। इस बीच ठेकेदारों को तय रेट से लगभग 100 करोड़ रुपए ज्यादा का भुगतान हो चुका है। उल्लेखनीय है कि प्रदेश में निर्माण कार्य का पेमेंट तय करने के लिए पीडब्ल्यूडी के इंजीनियर इन चीफ (ईएनसी) की अध्यक्षता में एसओआर बनाया जाता है। ब्रिज निर्माण के लिए विभाग द्वारा 29 अगस्त 17 को नया एसओआर लागू किया गया था। इसमें पुराने एसओआर की तुलना में महंगाई को देखते हुए दरों में वृद्धि की गई थी। इसके बाद इंजीनियरों को लगा की ब्रिज के नींव खुदाई की दरें काफी अधिक हो गई हैं लिहाजा, सात माह बाद 14 मार्च 18 को एसओआर में संशोधन कर दरों को वापस कम कर दिया गया। इसका पता जब कंपनियों के संचालकों को चला तो उनके द्वारा इंजीनियरों पर दबाव बनाया गया, जिसके चलते एक बार फिर  21 अगस्त 18 को भुगतान की गणना का तरीका बदल दिया गया। इसके लिए ईएनसी ने अपने क्लेरीफिकेशन में जो गणना बताई, उससे खुदाई की दरों में 20 गुना तक की वृद्धि हो गई। खास बात यह है कि इसके बाद लोक निर्माण विभाग ने कई कामों का ठेकेदारों को नई दरों के हिसाब से भुगतान भी कर दिया।
 इस तरह किया गया दर से 20 गुना अधिक भुगतान
जानकारी के मुताबिक एसओआर के 12.11 क्लॉज में चिकनी और रेतीली मिट्टी की खुदाई की दरों के मुताबिक बेस से तीन मीटर खुदाई करने पर रेतीली मिट्टी का रेट 267 और चिकनी मिट्टी का रेट 388 रुपए प्रति क्यूबिक मीटर है। इसी तरह 20 से 30 मीटर गहराई पर यह दर क्रमश: 951 और 2005 रुपए हो जाता है। यानी 25 मीटर की गहराई में इतने ही क्यूबिक मीटर की खुदाई पर 10209 रुपए ठेकेदार को मिलेंगे। यह रेट भी ज्यादा होने से मार्च 2018 में गणना का तरीका बदला गया। इस गणना के हिसाब से खुदाई की लागत 1842 रुपए आ रही थी। लेकिन 29 अगस्त 2018 में दिए गए क्लेरीफिकेशन में लागत बढ़कर 21635 रुपए हो गई। यानी 10 गुना से भी अधिक हो गई। इसी तरह से चिकनी मिट्टी की दर रेट 20 गुना से ज्यादा हो गई। इसके लिए ईएनसी ने जिस 21 अगस्त 18 के ऑर्डर में दरों की गणना के तरीके को बदलकर अधिक भुगतान तय किया, उसे एसओआर के लागू होने की तारीख 29 अगस्त 17 से लागू कर दिया। जब पूरी गड़बड़ी का खुलासा हुआ तो फिर संशोधन को वापस ले लिया गया।
इस तरह से हुआ खुलासा
लोकनिर्माण विभाग में यह खेल बीते दो साल तक चलता रहा। इस बीच अचानक इस मामले की सरकार से बेहद गोपनीय तरीके से शिकायत हुई तो दर वृद्धि की सिफारिश करने वाले इंजीनियरों ने ही इसे गलत मान लिया। इसके बाद आनन-फानन में दर वृद्धि के आदेश को निरस्त कर दिया गया। इस बीच पीडब्ल्यूडी, आरडीसी, आरआरडीए सहित कई निर्माण का काम करने वाली एजेंसियों ने करीब 3 हजार करोड़ रुपए से अधिक के टेंडर जारी कर दिए। अब इसकी वजह से कंपनियों द्वारा इसी आधार पर पीडब्ल्यूडी से पेमेंट की मांग की जाने लगी है। इस बीच लोकनिर्माण विभाग ने नर्मदा ब्रिज, चंबल नदी पर अटारघाट ओर मुरैना में अम्बाह पिन हट ब्रिज के बिलों को पास कर दिया।
खुदाई की लागत होती है 15 फीसदी तक
विभाग के एक पूर्व सुप्रीटेंडेंट इंजीनियर के मुताबिक ब्रिज निर्माण की लागत में लगभग 10 से 15 फीसदी हिस्सा खुदाई का रहता है। जो बड़े ब्रिज नदियों पर बनते हैं उनके फाउंडेशन की गहराई 20 से 40 मीटर के बीच होती है। वहां अब गलती की वजह से खुदाई के लिए 10 से 30 गुना अधिक भुगतान करना होगा। इसकी वजह से  100 करोड़ के ब्रिज की खुदाई पर दो करोड़ की जगह 20 करोड़ रुपए का अधिक भुगतान करना होगा। यानी 100 करोड़ रुपए का ब्रिज 120 करोड़ रुपए का हो गया।

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