- नदियों के संरक्षण के लिए प्रदेश सरकार बना रही प्लान
भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। मप्र की जीवनदायिनी नर्मदा के साथ ही अन्य नदियों मेें तेजी से क्षरण हो रहा है। इससे नदियों में कटाव बढ़ा है। इस कारण नदियों का स्वरूप बिगड़ रहा है। इसको देखते हुए प्रदेश सरकार नदियों के संरक्षण के लिए प्लान बना रही है। इसके तहत नदियों के किनारों और उनकी स्थिति का आंकलन करने के लिए ड्रोन से निगरानी और सर्वे कराया जाएगा।
जानकारी के अनुसार, केंद्रीय गाइडलाइन के आधार पर राज्य सरकार एक्शन प्लान तैयार कर रही है। इसके तहत कटाव रोकना, आपदा प्रबंधन और फसलों को बचाने सहित अन्य पहलुओं पर ठोस काम होंगे। पंचायतों को भी जिम्मेदारी दी जाएगी। किनारों के सटीक आकलन के लिए ड्रोन से निगरानी और सर्वे होगा। 15वें वित्त आयोग की अनुशंसा पर नेशनल डिजास्टर मिटिगेशन फंड के तहत परियोजना तैयार की जानी है। 18 से ज्यादा सेक्टर तय करके काम किया जाएगा। राज्य आपदा प्राधिकरण ने सभी जिलों के कलेक्टर्स से प्रस्ताव मंगाए हैं। छह से ज्यादा संबंधित विभाग भी भागीदारी करेंगे।
इस तरह का प्लान तैयार
नदियों के संरक्षण के लिए सरकार जो प्लान बना रही है उसके अनुसार, सबसे पहले पंचायतों को किनारों को लेकर सर्वे करने सहित अन्य काम करने होंगे। आपदा प्रबंधन को लेकर सुझाव लिए जाएंगे। नगरीय निकाय, वन, पर्यटन और अन्य विभागों के संयुक्त प्रयास से प्लान बनेगा। नदियों की कनेक्टिविटी को बेहतर किया जाएगा। बहाव को प्राकृतिक रखने के इंतजाम रहेंगे। जो नदियां सूख रही हैं या गर्मी में सूख जाती हैं, उनके लिए भी प्लान बनेगा। सहायक नदियों को भी पुर्नजीवित किया जाएगा। जहां-जहां अवरुद्ध हैं, उन्हें चिह्नित करके काम होगा। अवैध और कृत्रिम संरचनाओं को हटाया जाएगा। प्रदेश में 207 छोटी-बड़ी नदियां हैं। 1312 किमी लंबी नर्मदा प्रदेश की सबसे बड़ी नदी है। 1022 किमी नर्मदा का प्रवाह मप्र में है। 583 किमी लंबी माही प्रदेश की छोटी नदी है। 158 किमी माही मप्र में बहती है। प्रदेश में 41 नदियां नर्मदा की सहायक नदियां हैं। एक्शन प्लान के तहत पानी के बहाव को प्राकृतिक तरीके से नियंत्रित कर ओवरफ्लो कम करना है। किनारों पर आपदा की स्थिति को नियंत्रित करना और पौधरोपण को बढ़ाना है। आपदा को लेकर पूर्व चेतावनी प्रणाली को हाईटेक सिस्टम पर शिफ्ट करना है। नदी के मुहानों या किनारों पर ब्रेकवाटर का निर्माण करना है। किनारों पर वनस्पति प्रबंधन करना है। सीवेज ट्रीटमेंट, जल प्रबंधन और स्वच्छता को बढ़ावा देना है। रियल टाइम सिस्टम अपडेट कर डाटाबेस बनेगा, ताकि आपदा प्रबंधन सटीक हो।
नदियों की धारा की निगरानी में सुविधा होगी
विभाग का मानना है कि बाढ़ के पहले और बाद में नदियों की धारा की निगरानी से नदियों की प्रकृति के अध्ययन में सुविधा होगी। नदियां बाढ़ अवधि में अपनी धारा कितना बदली, कहां-कहां तटबंधों पर दबाव पैदा हुआ, कहां तटबंधों पर अत्यधिक दबाव उत्पन्न हुआ, इन सबकी जानकारी सहज मिल जाएगी। ड्रोन अध्ययन से यह सहजता से पता चलेगा कि कौन-कौन से ऐसे स्थल हैं जहां हर साल दबाव उत्पन्न हो रहा है। या फिर कहां नदियों की धारा हर साल दबाव पैदा करती हैं। इसके अलावा यह भी सहजता से देखा जा सकेगा कि कहां-कहां नदियां अपनी धारा बदल रही है।