- कई दावेदार हुए सक्रिय
- विनोद उपाध्याय
केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के लोकसभा सदस्य निर्वाचित होने की वजह से रिक्त हुई राज्यसभा की सीट भाजपा के किस नेता के हिस्से आएगी, इसको लेकर संशय बरकरार है। चुनाव आयोग ने बीते रोज ही राज्यसभा निर्वाचन की तारीखों का ऐलान किया है। प्रदेश में जिस एक सीट के लिए निर्वाचन होना है, उस पर भाजपा की जीत पहले से ही पक्की है। यही वजह है कि अब इस सीट के दावेदार नेता पूरी तरह से सक्रिय हो गए हैं। इस सीट के दावेदारों में पूर्व संासद केपी सिंह का नाम सर्वाधिक चर्चा में है, जबकि कई ऐसे नेताओं के नाम भी चर्चा में बने हुए हैं, जो आठ माह पहले हुए विधानसभा चुनाव में हार का सामना कर चुके हैं। विधानसभा चुनाव के बाद इस बार प्रदेश में सियासी तस्वीर बदल चुकी है, इस बीच सबसे बड़ा सवाल यही है कि पार्टी उच्च सदन के लिए किसे मौका देगी। दरअसल लोकसभा चुनाव के समय पार्टी ने तत्कालीन लोकसभा सांसद केपी यादव का टिकट काटकर सिंधिया को प्रत्याशी बनाया था। चुनाव प्रचार के समय केंद्रीय मंत्री अमित शाह ने गुना संसदीय सीट पर एक आम सभा में सार्वजनिक मंच से केपी यादव को दिल्ली बुलाने का वादा तक कर दिया था। इसके बाद भी यादव के नाम को लेकर संशय बना हुआ है। इसकी वजह है इस एक सीट के लिए अनार सौ बीमार की स्थिति बनना है। ऐसे में शाह के वादे को लेकर भी खूब चर्चा की जा रही है। विधानसभा में भाजपा के विधायकों की संख्या के हिसाब से इस सीट पर पार्टी प्रत्याशी की जीत तो पहले से ही तय है। प्रदेश में विधानसभा की 230 सीट है। 2023 के विधानसभा चुनाव में भाजपा 163 और कांग्रेस ने 66 सीटें जीती। कांग्रेस के तीन विधायक भाजपा में शामिल होने से कम हो गए है। मध्य प्रदेश में अप्रैल माह में राज्यसभा की पांच सीट खाली हुई थी, जिसके लिए फरवरी में मतदान कराया गया था। इसमें भाजपा के चार और कांग्रेस का एक राज्यसभा सदस्य निर्वाचित हुआ था। पार्टी के जानकारों का कहना है कि एक सीट के लिए अब जातीय समीकरण ध्यान रखकर ही निर्णय लिया जाएगा। दलित, ओबीसी और महिला वर्ग से पिछली बार सदस्य चुने गए हैं।इनमें एल मुरुगन, उमेश नाथ महाराज, बंशीलाल गुर्जर और माया नारोलिया के नाम शामिल है। इसलिए माना जा रहा है कि इस बार जातीय और सियासी समीकरण के हिसाब से ठाकुर अथवा ब्राह्मण नेता को मौका दिया जा सकता है। लेकिन केंद्रीय मंत्री शाह के वायदे पर अगर अमल होता है तो एक बार फिर ओबीसी प्रत्याशी को मौका मिल सकता है। फिलहाल प्रत्याशी के नाम को लेकर विचार मंथन जारी है।
यह है चुनाव कार्यक्रम
भारतीय निर्वाचन आयोग ने राज्यसभा के लिए चुनाव घोषित कर दिया है। कार्यक्रम के मुताबिक मतगणना 3 सितंबर को होगी। 6 सितंबर से पहले ही पूरी चुनावी प्रक्रिया पूरी कर ली जाएगी। चुनाव के लिए 14 अगस्त को नोटिफिकेशन जारी किया जाएगा। 21 अगस्त तक नामांकन होगा। 22 अगस्त को छटनी होगी। 26 अगस्त तक नामों की वापसी होगी। 3 सितंबर को मतदान सुबह 9 से शाम 4 बजे तक होगा। इसके बाद एक घंटे में मतगणना हो जाएगी।
नरोत्तम-पवैया भी दौड़ में
इस एक मात्र सीट के लिए पूर्व मंत्री डॉ नरोत्तम मिश्रा, जयभान सिंह पवैया के साथ केपी यादव के नाम जोर-शोर से चल रहे हैं। इनके अलावा और भी कुछ नेता हाईकमान के सामने अपनी दावेदारी कर रहे हैं। विधानसभा चुनाव के दौरान नरोत्तम अपनी पारंपरिक सीट दतिया से चुनाव हार गए थे। उसके बाद से उनका पुर्नवास नहीं हो पाया लेकिन, पार्टी ने ऑपरेशन लोटस सहित कई मौकों पर उन पर भरोसा जता चुकी है। केंद्रीय मंत्री शाह से उनकी करीबी रिश्ते भी उच्च सदन के लिए उनकी राह आसान बना सकते हैं। पवैया महाराष्ट्र में सह प्रभारी हैं। वहां सक्रिय हैं। भाजपा को वहां पर मजबूत चेहरे की जरूरत है। ऐसे में पवैया का कद बढ़ाया जा सकता है। इसके अलावा चंबल क्षेत्र में मजबूत पकड़ रखने वाले मुकेश चतुर्वेदी, लाल सिंह आर्य और विदिशा से पूर्व सांसद रमाकांत भार्गव का भी नाम चर्चा में बना हुआ है। कहा तो यह भी जा रहा है कि अगर इन नामों में से किसी एक पर सहमति नहीं बनती है तो फिर संघ पृष्ठभूमि से जुड़े किसी जमीनी पदाधिकारी का नाम बढ़ाकर भी पार्टी चौंका सकती ह