
– नगरीय प्रशासन विभाग ने चार महीने में चुंगी मद से कटौती कर बिजली कंपनियों को चुकाए 200 करोड़
भोपाल/राजीव चतुर्वेदी/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेशभर के कई नगरीय निकायों में बिजली विभाग के बकाया बिल की राशि अटकी हुई है। वहीं निकायों की मंशा इस बकाया राशि के भुगतान की दिखाई नहीं देती। यही वजह है कि हर महीने बोझ बढ़ता ही जा रहा है। ऐसे में राशि जमा कराने के लिए बिजली कंपनियों का दबाव भी है। यही वजह है कि नगरीय प्रशासन संचालनालय ने निगम को मिलने वाली चुंगी क्षतिपूर्ति से राशि काटकर सीधे विद्युत वितरण कंपनियों के खाते में जमा करना शुरू कर दिया है। नगरीय प्रशासन संचालनालय ने इस साल की शुरुआत से ही राजधानी भोपाल समेत कई निकायों को मिलने वाली चुंगी क्षतिपूर्ति राशि में से कटौती करना शुरू किया है। यही नहीं संचालनालय ने बिजली कंपनियों को पचास करोड़ का पेमेंट कर भी दिया है। जिसमें इंदौर नगर निगम का 18.59 करोड़ रुपए और भोपाल नगर निगम का 8.66 करोड़ रुपए शामिल है।
बीएमसी में गड़बड़ाने लगी आर्थिक स्थिति
बीएमसी को मिलने वाली चुंगी क्षतिपूर्ति की करोड़ों की राशि नगरीय प्रशासन संचालनालय द्वारा कटौती कर सीधे बिजली कंपनियों को दिए जाने से नगर निगम की आर्थिक स्थिति गड़बड़ाने लगी है। दरअसल नगर निगम हर महीने अपने कर्मचारियों के वेतन भत्तों पर ही बत्तीस करोड़ खर्च करता है। कर्मचारियों को वेतन चुंगी क्षतिपूर्ति की राशि से ही दिया जाता है। ऐसी ही व्यवस्था अन्य निकायों में भी है। उल्लेखनीय है कि चुंगी क्षतिपूर्ति से जनवरी में करीब 6.8 करोड़ रुपए की कटौती की गई थी। उसके बाद अगले दो महीने भी इतनी ही राशि काटी गई।
ऐसे मिलती रही चुंगी क्षतिपूर्ति की राशि
उल्लेखनीय है कि नगर निगम को समझने 28 करोड़ रुपए चुंगी क्षतिपूर्ति के रूप में मिलता था। फिर कांग्रेस के शासनकाल में महज 18 करोड़ दिया जाने लगा। लेकिन जब भाजपा दोबारा सत्ता में लौटी तो नगर निगम को 24 करोड़ रुपए मिलने लगे। वहीं अब कटौती होने की वजह से बीएमसी को करीब 17 करोड़ रुपए ही मिल पाएगा। बहरहाल नगरीय प्रशासन संचालनालय ने निकायों की चुंगी क्षतिपूर्ति राशि में जनवरी और फरवरी में 50-50 करोड़ और फिर अप्रैल में भी इतनी ही राशि काटकर बिजली कंपनी कंपनियों को दी है। यानी तीन महीने में 150 करोड़ का भुगतान हो चुका है। मई की क्षतिपूर्ति से पचास करोड़ की राशि कटौती की गई है।
प्रमुख सचिव की निकायों को चेतावनी
नगरीय विकास एवं आवास विभाग के प्रमुख सचिव नीतेश व्यास ने सभी निकायों को चेतावनी दी है कि यदि इसके बावजूद यह जानकारी मिलती है कि निकायों द्वारा समय पर भुगतान नहीं किया जा रहा है तो ऐसे निकायों के लिए राज्य स्तर पर अनुदान की कटौती कर सीधे बिजली वितरण कंपनियों को भुगतान कर दिया जाएगा। ऐसी कटौती के बाद संबंधित नगरीय निकाय स्वयं जिम्मेदार होंगे। इस संबंध में विभाग ने सभी निगमायुक्त, सभी संभागीय संयुक्त संचालक, सभी मुख्य नगरपालिका अधिकारी और नगर परिषद को पत्र लिखकर निर्देश दिए हैं कि हर महीने बिजली बिलों का भुगतान निर्धारित अवधि में करें। साथ ही बकाया राशि का निपटान भी बिजली वितरण कंपनियों की विभिन्न योजनाओं का लाभ लेते हुए किया जाए।