लगातार स्मरण पत्र के बाद भी नहीं खुले दिव्यांग छात्रावास

दिव्यांग छात्रावास
  • कलेक्टरों की बड़ी लापरवाही …

भोपाल/रवि खरे/बिच्छू डॉट कॉम। देश और प्रदेश में एक तरफ जहां सरकारें दिव्यांगों के लिए कई योजनाएं चला रही हैं, वहीं स्थिति यह है कि मप्र के कई जिलों में आज तक दिव्यांग छात्रावास नहीं खुल पाए हैं। जबकि इसके लिए राज्य शिक्षा केंद्र ने कलेक्टरों को कई स्मरण पत्र भेज चुका है। 13 जिलों के कलेक्टरों की लापरवाही के कारण छात्रावास के लिए दी गई  ढाई करोड़ की राशि भी लेप्स हो गई है।
राज्य शिक्षा केंद्र के अनुसार प्रदेश के आगर मालवा, अनूपपुर अशोकनगर, बड़वानी, दमोह, राजगढ़, शिवपुरी, श्योपुर, सीधी सिंगरौली और उमरिया में परियोजना समन्वयक ने आधा दर्जन स्मरण पत्र जारी होने के बाद भी छात्रावासों का संचालन नहीं किया। शिक्षा विभाग का कहना है कि जिन जिलों में राशि स्वीकृत होने के बाद भी छात्रावास नहीं खोले गए। केंद्र मुख्यालय का कहना है कि कलेक्टरों के पास जिलों में काम का अधिक भार रहता है। समन्वयकों को इस विषय में कलेक्टरों के समक्ष पूरा पक्ष रखना चाहिए था। छात्रावास खुलने में कहां दिक्कत आ रही है। जब तक कलेक्टरों के संज्ञान में यह बात नहीं आती तो कैसे उसका समाधान होगा।
ढाई करोड़ की राशि भी लेप्स
गौरतलब है कि प्रदेश में कोरोना के बाद चिल्ड्रन विथ स्पेशल नीड (सीडब्ल्यूएसएन यानी विशेष आवश्यकता वाले दिव्यांग बच्चों के छात्रावास संचालन )के लिए राज्य मद स्वीकृत हुआ था। कलेक्टरों की लापरवाही के कारण उस धनराशि से करीब 13 जिलों ने हॉस्टल ही नहीं खोले। इस कारण ढाई करोड़ की राशि भी लेप्स हो गई है। जबकि राज्य शिक्षा केंद्र ने इस मामले में कई पत्र भी संबंधित जिलों को लिखे गए। अब सामाजिक न्याय विभाग के अधीन आयुक्त नि:शक्तजन कार्यालय भी कार्रवाई की तैयारी कर रहा है। मामले में सबसे बड़ी लापरवाही जिला परियोजना समन्वयक यानी डीपीसी की सामने आई है। केंद्र इस बात से चिंतित है कि कलेक्टरों को जो पत्र लिखे गए। उसकी एक प्रति जिला परियोजना समन्वयक को भी भेजी गई है। इसके बाद भी समयावधि निकल चुकी है, लेकिन 13 जिलों ने कहीं भी छात्रावासों का संचालन नहीं किया है।  राज्य शिक्षा केंद्र के संचालक धनराजू एस. का कहना है कि जिन जिलों ने छात्रावास नहीं खोले। वहां पत्र भी लिखा गया था। निश्चित तौर पर बच्चों का भविष्य तो बर्बाद हुआ ही है। हम पुन: स्मरण पत्र लिखकर कलेक्टरों से जवाब मांग रहे हैं। जो डीपीसी दोषी होंगे, उन पर कार्रवाई होगी।
मुख्यमंत्री ने राज्य मद से दी थी स्वीकृत
बता दें कि कोरोना की पहली लहर में ही प्रदेश में समस्त छात्रावास बंद कर दिए गए थे राज्य शिक्षा केंद्र को झटका तब लगा था, जब दूसरी लहर के दौरान भारत सरकार ने दिव्यांग छात्रावासों के लिए आने वाली राशि को बंद कर दिया था। तब दिव्यांग बच्चों का भविष्य बनाने के लिए नया रास्ता निकाला गया था। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को जब प्रदेश के हालात बताए गए तो उन्होंने राज्य मद से राशि स्वीकृत की थी। दो साल कोरोना में बंद छात्रावासों को मौजूदा सत्र में राज्य मद से खोलने की प्लानिंग की गई थी। जनवरी से मार्च माह तक छात्रावास खोले जाने थे। राज्य के मद से प्रति छात्रावास को 18 लाख की राशि स्वीकृत हुई। नि:शक्तजन कार्यालय आयुक्त संदीप रजक का कहना है कि यह पूरा मामला उनके संज्ञान में है। यह बड़ी लापरवाही है। रिपोर्ट मांगी जा रही है। जिन जिलों में छात्रावास नही खोले वहां परियोजना समन्वयकों पर दिव्यांगजन अधिनियम के तहत कार्रवाई होगी।

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