फिसड्डी साबित हो रहे दिग्गज मंत्रियों के प्रभार वाले जिले

जल गंगा संवर्धन अभियान
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भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश में इन दिनों सरकार द्वारा  जल गंगा संवर्धन अभियान चलाया जहा रहा है। इस अभियान को सरकार की मंशानुसार सफलता नहीं मिल पा रही है। इसकी वजह है, वे जिले जो प्रदेश सरकार के दिग्गज मंत्रियों के प्रभार में हैं, लेकिन उन जिलों में काम तेजी से नहीं हो रहा है। अभियान के शुरुआती बीस दिनों की जो रिपोर्ट भोपाल आयी है उसमें दोनों उप मुख्यमंत्री सहित करीब 14 मंत्रियों के प्रभार वाले जिले फिसड्डी साबित हो रहे हैं। इसकी वजह से उन्हें पहले दस स्थानों तक में जगह नहीं मिल सकी है। इस मामले में मंत्री प्रहलाद पटेल के प्रभार वाले रीवा, उदय प्रताप सिंह के प्रभार वाले बालाघाट, चेतन काश्यप, करण सिंह वर्मा आदि के प्रभार वाले जिलों में काम फिर भी ठीक हुआ है, जिसकी वजह से उनके प्रभार वाले जिले पहले स्थान में जगह पाने में सफल रहे हैं। इस मामले में तीन जिलों में अच्छा काम अब तक हुआ है, जिसकी वजह से उन्हें पहले तीन स्थानों पर जगह मिली है।  अहम बात यह है कि यह जिले न केवल छोटे हैं, बल्कि दो जिले तो दूर दराज के हैं। उल्लेखनीय है कि यह अभियान प्रदेश में 30 मार्च से शुरू हुआ है , जो 30 जून तक चलना है। इस अभियान को शुरू करने से पहले इसके लक्ष्य भी तय कर दिए गए थे। इसके साथ ही यह भी तय कर दिया गया था कि इस अभियान की निगरानी हर जिले में उसके प्रभारी मंत्री द्वारा की जाएगी।  
मिलेगा नगद इनाम  
अहम बात यह है कि इस अभियान को सफल बनाने के लिए सरकार द्वारा पहले ही संबंधित जिलों के कलेक्टरों और जिला पंचायत के सीईओ को नगद इनाम देने का भी प्रावधान किया गया  है। इसके अलावा संबंधित अन्य अफसरों को भी इसी तरह का इनाम दिया जाना है। इसके तहत कलेक्टर को पहला पुरस्कार डेढ़ लाख रुपए, दूसरा 1.25 लाख रुपए व तीसरा पुरस्कार 1 लाख रुपए दिया जाएगा। जिला पंचायत सीईओ को पहला पुरस्कार 1 लाख, दूसरा 75 हजार, तीसरा 50 हजार रुपए मिलेगा।
अभियान के तहत यह किए जाने हैं काम
इभियान के तहत किए जाने वाले कामों में  तालाबों, कुओं, बावडिय़ों का गहरीकरण, इनके आसपास से अतिक्रमण हटाना, इन्हें राजस्व रिकार्ड में दर्ज करने के साथ ही नहरों को ठीक करना, नदी किनारे पौधरोपण की तैयारी करना। इसके तहत 50 हजार खेत तालाब, 1 लाख कूप रिचार्ज, 1000 अमृत सरोवर व 1.62 लाख जल दूत बनाने के अलावा बीते साल के अधूरे कामों को पूरा करना है।
यह लक्ष्य निर्धारित
इसके लिए जो लक्ष्य तय किए गए हैं, उसके मुताबिक नर्मदा परिक्रमा और उज्जैन पंचकोशीय पथ की मैपिंग करना, नल-जल योजना की जियो टैगिंग, सभी औद्योगिक इकाईयों, जिलों के शासकीय भवनों में रेनवाटर हार्वेस्टिंग को अमल में लाना।
कई क्षेत्र में अच्छा काम लेकिन फिर भी पिछड़े : अभियान की ग्रेडिंगवार निगरानी की जा रही है, जिसमें प्रदेश के शाजापुर, बड़वानी, आगर-मालवा, बैतूल, सीहोर, इंदौर, बुरहानपुर, दतिया, धार, पन्ना, ग्वालियर, भोपाल, खंडवा, शिवपुरी, डिंडौरी व शहडोल जिले में कई श्रेणियों में अच्छे काम हुए हैं। लेकिन ओवरऑल रैकिंग में यह जिले पिछड़ गए हैं।
यह जिले शीर्ष पर
जो जिले इस अभियान में पहले तीन स्थानों पर बने हुए हैं उनमें, राजगढ़, सिवनी और सिंगरौली शामिल है। राजगढ़ में 18 अमृत सरोवर बनाने का लक्ष्य दिया गया था ,जिसमेें से सभी का काम जारी है और अब उनमें महज 25 फीसदी काम ही रह गया है। इसी तरह से सिवनी में भी सभी पर काम तेजी से चल रहा है जबकि सिंगरौली में 12 अमृत सरोवरों में से 11 का काम चल रहा है।

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