प्रशासन व सरकार की कार्यप्रणाली पर खड़े किए गंभीर सवाल
हरीश फतेहचंदानी/ बिच्छू डॉट कॉम। भले ही प्रदेश में भाजपा की दो दशकों से सरकार है, लेकिन अब भी हालात में बदलाव नजर नहीं आ रहा है, यही वजह है कि प्रशासन को बहुसंख्यक समाज की धार्मिक भावनाओं की चिंता नहीं रहती है, या माने तो प्रशासन अपनी नाकामी छिपाने के लिए उनकी भावनाओं को आहत करने में भी पीछे नहीं रहता है। अब ऐसे ही एक मामले में भाजपा के वरिष्ठ हिंदूवादी नेता और पूर्व मंत्री जयभान सिंह पवैया ने सवाल उठाते हुए अपनी ही सरकार को कटघरे में खड़ा किया है। यही नहीं राजनैतिक नियुक्तियां भी असंतोष की बड़ी वजह बनती जा रहीं हैं, जिसे अब पवैया ने हवा दे दिया है।
दरअसल देश के कुछ राज्यों में रामनवमी के दिन हुई हिंसा के बाद भोपाल प्रशासन ने शहर के काजी कैंप रूट पर हनुमान जयंती पर निकलने वाली शोभायात्रा की इजाजत नहीं दी है। जिससे हिंदू संगठनों में गहरी नाराजगी व्याप्त है। इसके विरोध स्वरूप सालों से निकलने वाली इस शोभायात्रा को ही निरस्त कर दिया गया है। इससे आहत पवैया ने नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि अगर हिंदू शोभायात्रा को अल्पसंख्यक बस्ती से इजाजत नहीं मिली तो मोहर्रम और ताजियों को भी हिंदू बस्तियों से जाने की इजाजत नहीं मिलनी चाहिए। उनके द्वारा इस मामले में किए गए ट्वीट में लिखा गया है कि किसी भी राज्य का प्रशासन यदि हनुमान जयंती की शोभा यात्राओं को अल्पसंख्यक बस्तियों से जाने की इजाजत नहीं दे रहा है तो फिर वह यह भी तय करे कि मोहर्रम और ताजियों के जुलूस हिंदू बस्तियों या बाजारोंं से निकालने की इजाजत नहीं दी जाएगी। कानून और नियमों की कसौटी दोहरी नहीं हो सकती। दरअसल, ओल्ड भोपाल में बीते 15 साल से शोभा यात्रा निकली जा रही है। यह यात्रा श्री शिव बाबा धार्मिक सांस्कृतिक सेवा समिति के द्वारा निकाली जाती है, जो खेड़ापति हनुमान मंदिर छोला से डीआईजी बंगला चौराहा, काजी कैंप, सिंधी कॉलोनी चौराहे से होते हुए हनुमान मंदिर, उदासीन अखाड़ा पुतली घर पर जाकर समाप्त होती है, लेकिन इस बार काजी कैंप रूट पर पुलिस ने यात्रा की अनुमति देने से इनकार कर दिया है। जिससे बीजेपी नेता जयभान सिंह पवैया ने ट्वीट कर नाराजगी जताई है। वहीं शिव बाबा धार्मिक सांस्कृतिक सेवा समिति के अध्यक्ष मुकुल राठौर ने कहा कि पुलिस ने इंटेलिजेंस की रिपोर्ट का हवाला देते हुए यात्रा की अनुमति देने से इनकार किया है। जबकि पिछले कई सालों से हम जुलूस निकालते आ रहे हैं। मुकुल राठौर ने कहा कि हम हिंदुस्तान में रह रहे है, न कि पाकिस्तान में। अनुमति मिलनी चाहिए। इस ट्वीट के बाद से ही प्रदेश की राजनीति में उबाल आ गया है। नेता प्रतिपक्ष डॉ. गोविन्द सिंह ने तत्काल प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि पवैया जी आपकी बात सरकार नहीं मान रही तो फिर ऐसी सरकार को गिराने के लिए कांग्रेस का साथ दो। नेता प्रतिपक्ष डॉ. सिंह ने पवैया के ट्वीट पर कहा कि यदि सरकार आपकी बात नहीं मान रही है, तो ऐसे में आपको कांग्रेस पार्टी का साथ देना चाहिए। नेता प्रतिपक्ष ने तो यहां तक कहा कि पवैया जी ने जो मुद्दा उठाया है, वह सही है, क्योंकि सच्चाई कभी-कभी जुबान पर आ ही जाती है। राजनीति में पवैया ऐसे नेता हैं जो सही बात बोलने से कभी भी हिचकने से पीछे नहीं रहते।
यहां भी होनी हैं नियुक्तियां
प्रदेश में अभी प्राधिकरण में जबलपुर, इंदौर, ग्वालियर सहित विंध्य में पद खाली हैं। इसके साथ आयोग में महिला, युवा और पिछड़ा वर्ग भी खाली हैं, जिनमे नियुक्तियां होनी हैं। अभी कई और निगम, मंडल खाली हैं जिनमें नियुक्तियां की जानी हैं। कुछ बीजेपी नेताओं ने हाल ही में दिल्ली जाकर हाईकमान से सियासी नियुक्तियों में देरी को लेकर शिकायत भी की थी। नेताओं की शिकायत की कि रिटायर्ड आईएएस अफसरों और अधिकारियों के पुनर्वास में सरकार देर नहीं करती लेकिन पार्टी का डंडा व झंडा लेकर चलने वालों पर पार्टी कोई ध्यान नहीं दे रही। रिटाययर्ड आईएएस अशोक शाह और केसरी के पुनर्वास पर हाईकमान से शिकायत की गई है। अशोक शाह हाल ही में रिटायर हुए और उसके तुरंत बाद उन्हें गुणवत्ता परिषद में डीजी के पद पर नियुक्ति दे दी। इसी तरह एक अन्य अधिकारी केसरी को रिटायरमेंट के बाद पुनर्वास देते हुए दिल्ली में मीडिया सलाहकार पद पर नियुक्ति दे दी गई।
कई नेताओं में है नाराजगी
शासन प्रशासन से इन दिनों कई पार्टी नेताओं में जमकर नाराजगी चल रही है। इसकी वजह है प्रशासन की कार्यशैली। प्रदेश में सरकार पार्टी की है, जिसकी वजह से अब भाजपा नेताओं में सरकार को लेकर भी असंतोष खदबदा रहा है। सरकार में अफसरशाही बेहद हावी है। नेताओं की सरकार में पूछपरख नहीं हो रही है और दलबदल कर भाजपा में आने वाले नेताओं की वजह से मूल रुप से भाजपाई नेताओं की पूछ परख तो कई क्षेत्रों में समाप्त ही हो चुकी है साथ ही ऐसे इलाकों में बड़े नेताओं को भी अपनी प्रतिष्ठा बचाने के लिए संघर्ष करना पड़ा रहा है। यही वजह है कि अब उपेक्षित नेताओं को कार्यकर्ता और आम आदमी की भावनाएं समझ आने लगी हैं।
नियुक्तियां भी हैं एक वजह
बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा की नसीहत के बाद शिवराज सरकार ने निगम व मंडल के साथ ही सत्ता और संगठन में खाली पदों पर नियुक्तियां फिर से शुरू कर दी हैं। इन नियुक्तियों को लेकर विवाद बढऩे लगा है। शनिवार को सरकार ने एक दर्जन अध्यक्ष, उपाध्यक्ष को कैबिनेट और राज्यमंत्री का दर्जा दिया इसके बाद लगातार नियुक्तियों का दौर जारी है। इससे इंतजार कर रहे पुराने नेताओं में निराशा बढ़ गई। कुल मिलाकर 65 लोगों की नियुक्तियां हो चुकी हैं। पहले की सूचियों में 25 प्रतिशत से ज्यादा नियुक्तियां दूसरे दलों से आये नेताओं की गई हैं। पहले की गईं नियुक्तियों से सत्ता संगठन के प्रति उन नेताओं में नाराजगी दिखाई दी थी, जिन्हें नियुक्तियां नहीं मिलीं। हालांकि ऐसे नेताओं को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और वीडी शर्मा सहित संगठन के लोगों ने आश्वासन दिया था कि पुराने नेताओं को पार्टी में तवज्जो दी जाएगी।