गैर-राप्रसे अफसरों के… साथ भेदभाव!

  • 100 से ज्यादा अधिकारियों को आईएएस अवॉर्ड का इंतजार
  • विनोद उपाध्याय
गैर-राप्रसे अफसरों

कई सालों के अंतराल के बाद 2015 में जब चार गैर राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों संजय गुप्ता, डॉ मंजू शर्मा, डॉ. श्रीकांत पांडे और शमीम उद्दीन को आईएएस अवॉर्ड हुआ था, तक कहा गया था कि अब हर साल नॉन डिप्टी कलेक्टर्स का भी आईएएस अवार्ड होगा। लेकिन मामला वहीं अटक गया है। प्रदेश के गैर राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों को बीते 10 साल से प्रमोट नहीं किया जा रहा है। इस कारण करीब 200 से अधिक अधिकारी आईएएस बनने का सपना लिए ही रिटायर हो गए। साथ ही 100 से ज्यादा अधिकारी इस कतार में हैं। दरअसल, कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग के मापदंडों के मुताबिक आईएएस संवर्ग के 439 में से 22 पदों पर इन अधिकारियों को प्रमोट किया जाना चाहिए। 2015 में इस नियम के तहत 4 अधिकारियों को आईएएस अवॉर्ड दिया गया था। उसके बाद से प्रक्रिया बंद है। जबकि दूसरे राज्य गैर राज्य प्रशासनिक अधिकारियों को हर साल प्रमोशन दे रहे हैं।
प्रदेश में आईएएस संवर्ग के 439 पद हैं। इनमें से 66 फीसदी यानी 293 पद सीधी भर्ती से और 146 पद प्रमोशन से भरे जाते हैं। इनमें से 15 फीसदी यानि 22 पर्दो पर गैर राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों को प्रमोट किया जाना चाहिए। लेकिन मप्र में सभी पदों पर राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों को ही प्रमोशन दिया जा रहा है। जबकि मप्र के अलावा गुजरात, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल, उड़ीसा, राजस्थान, छत्तीसगढ़ में अधिकारियों को प्रमोशन मिल रहा है।
2015 से कोई प्रस्ताव केंद्र को नहीं भेजा गया
राजपत्रित अधिकारियों के लिए डिप्टी कलेक्टरों की तरह आईएएस अवार्ड देने के लिए सेवा आयु का निर्धारण है। जिन अधिकारियों ने 10 वर्ष की सेवा पूर्ण कर ली है, अधिकारियों की गोपनीय चरित्रावली अच्छी है, न्यायालयीन प्रकरण नहीं है। ऐसे अधिकारियों की सूची शासन तैयार करता है और प्रस्ताव दिल्ली भेजा जाता है। विभिन्न विभागों में वर्ष 2015 से अभी तक लगभग 200 राजपत्रित अधिकारी रिटायर्ड हो चुके हैं। रिटायर्ड डिप्टी डायरेक्टर कृषि विभाग अमर सिंह परमार का कहना है कि मैं आईएएस अवार्ड की प्रतीक्षा में रिटायर्ड हो गया हूं, जबकि सभी राज्यों में राजपत्रित अधिकारियों को आईएएस अवार्ड देने की प्रक्रिया निरंतर चल रही है। राज्य शासन से मांग भी की गई, लेकिन भारत सरकार को प्रस्ताव नहीं भेजा गया।  मप्र राजपत्रित अधिकारी संघ के प्रांताध्यक्ष डीके यादव का कहना है कि आईएएस अवार्ड के लिए 2015 से कोई प्रस्ताव केंद्र को नहीं भेजा गया है। पूर्व और मौजूदा मुख्यमंत्री से व्यक्तिगत मुलाकात की गई, लेकिन इस बार भी प्रस्ताव प्रेषित नहीं किया गया।
ऐसे होता है प्रमोशन
सामान्य प्रशासन विभाग सभी विभागों से उत्कृष्ट श्रेणी के अधिकारियों के नाम मांगता है। मुख्य सचिव की अध्यक्षता में कमेटी खाली पदों की तुलना में चार गुना प्लस 4 नाम तय करती है। इन नामों को संघ लोक सेवा आयोग को भेजा जाता है। यूपीएससी मेंबर की अध्यक्षता में कमेटी प्रमोशन पर फैसला करती है। इस कमेटी में प्रदेश के मुख्य सचिव, वरिष्ठतम आईएएस और केंद्र के सरकार के दो अधिकारी शामिल होते हैं।
प्रमोशन में यहां फंस रहा पेंच
विभागों से उत्कृष्ट श्रेणी के अधिकारियों की सूची मांगने का काम सामान्य प्रशासन विभाग की शाखा (1) करती है। आईएएस अवॉर्ड का इंतजार कर रहे अधिकारियों का कहना है कि इस शाखा के प्रमुख पदों पर जब से राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारी पदस्थ हुए हैं। तब से गैर-राप्रसे के नाम ही नहीं मांगे जा रहे हैं।
एक दशक से नहीं मिला आईएएस अवॉर्ड
मप्र में निर्धारित कोटे के अनुसार राजपत्रित अधिकारियों को एक दशक से आईएएस अवार्ड नहीं मिल पाया है, जबकि डिप्टी कलेक्टरों के समान इन्हें भी इस अवार्ड से नवाजने का नियम है। जनवरी, 2024 में भारत सरकार के कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग ने मप्र शासन को पत्र लिखा था, उसके बाद भी राज्य से प्रस्ताव दिल्ली प्रेषित नहीं किया गया है। आईएएस अवार्ड देने का जो नियम है, उसके अनुसार प्रतिवर्ष भारत सरकार का कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग सभी राज्य सरकारों को एक पत्र लिखकर प्रस्ताव मांगता है। भारत सरकार ने 2 जनवरी, 2024 को मप्र सरकार को पत्र लिखा था। इसमें उल्लेख था कि 30 जनवरी तक प्रस्ताव भेजा जाए, लेकिन अब तक भारत सरकार को प्रस्ताव नहीं भेजा गया। नॉन डिप्टी कलेक्टर्स यानी राजपत्रित अधिकारियों का कहना है कि आईएएस अवार्ड के लिए उपलब्ध पदों की संख्या 20 है। जिन पर करीब दस वर्ष से किसी भी अधिकारी को लाभ नहीं मिल पाया है। राजपत्रित अधिकारियों का कहना है कि वर्ष 2015 से अवार्ड की प्रक्रिया ठप पड़ी है। इस वर्ष भी मप्र सरकार ने भारत शासन के कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग को प्रस्ताव नहीं भेजा है, जबकि नियमानुसार प्रतिवर्ष जनवरी से मार्च के बीच यह प्रस्ताव कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग को पहुंच जाना चाहिए, ताकि सभी दस्तावेजों का परीक्षण कर नॉन डिप्टी कलेक्टर्स को आईएएस अवार्ड से नवाजा जा सके। आईएएस अवार्ड की चाहत रखने वाले हर साल राजपत्रित अधिकारी रिटायर्ड हो रहे हैं।

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