माधवी के दौरे से राज्यसभा के दावेदारों में निराशा

माधवी

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। हैदराबाद की लोकसभा सीट से असद्दुदीन औबेसी के खिलाफ चुनाव लडक़र देशभर में चर्चित हुई माधवी लता अब मप्र के दौरे को लेकर चर्चा में बनी हुई हैं। इसकी वजह है प्रदेश में रिक्त हुई राज्यसभा की सीट। दरअसल इस सीट पर प्रदेश के कई नेताओं की नजर लगी हुई है। ऐसे में माधवी ने जिस तरह से प्रदेश के दौरे पर कई प्रमुख नेताओं से मुलाकात की है, उसे राज्यसभा सीट से जोडक़र देखा जा रहा है। उनकी बढ़ती संभावनाओं की वजह से प्रदेश के उन नेताओं में निराशा दिखने लगी है, जो खुद को राज्यसभा के दावेदार के रुप में पेश कर रहे थे। इस समय राज्यसभा के दावेदारों में एक और महिला नेता का नाम उभर कर सामने आया है, वह है स्मृति स्मृति ईरानी का। वे भी इस बार अमेठी से चुनाव हार चुकी हैं। इस तरह की संभावनाओं से कोई इंकार नहीं कर रहा है। इसकी वजह है, पूर्व में भी कई दूसरे राज्यों के नेताओं को प्रदेश की सीटों पर राज्य सभा में भेजा जाना।
माधवी लता हाल ही में प्रदेश के दौरे पर आयीं, तो उन्होंने महाकाल के दर्शन किए और उसके बाद भोपाल आ गईं। इस दौरान उन्होंने विधानसभा अध्यक्ष नरेन्द्र सिंह तोमर और विधायक रामेश्वर शर्मा से मुलाकात की। उनका मुख्यमंत्री मोहन यादव से भी मिलने का कार्यक्रम था, लेकिन उनके प्रदेश से बाहर होने की वजह से मुलाकात नहीं हो सकी। वे हाल ही में भाजपा की फायर ब्रांड हिन्दुत्ववादी महिला नेता के रुप में तेजी से उभरी हैं। वैसे भी इन दिनों पार्टी में ऐसी महिला नेताओं की दोनों सदनों में कमी महसूस की जा रही है। उधर, इसी तरह की संभावनाएं स्मृति ईरानी को लेकर भी बनी हुई है। वे पूर्व में भी अमेठी से चुनाव हारने के बाद राज्यसभा भेजी जा चुकी हैं और उसके बाद उन्हें केन्द्र में मंत्री भी बनाया गया था। इस बार भी चुनाव हारने के बाद माना जा रहा है कि उन्हें भी राज्यसभा में भेजकर मंत्रिमंडल में शामिल किया जा सकता है। इसकी वजह है उच्च सदन में सोनिया गांधी का और निचले सदन यानि की लोकसभा में राहुल गांधी का नेता विपक्ष बनना।
कई अन्य दावेदार
केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के लोकसभा चुनाव जीतने के बाद रिकत हुई एक मात्र राज्य सभा सीट के लिए वैसे तो प्रदेश के कई प्रमुख नेता दावेदार बने हुए हैं, लेकिन उनमें जो नमा विशेष रुप से चर्चा में हैं, उनमें पूर्व गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा, जय भान सिंह पवैया, केपी यादव और रमाकांत भार्गव के नाम शामिल हैं।

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