- टिकट से वंचित नेता भी डाल रहे डेरा
भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश की सबसे चर्चित सीटों में सर्वाधिक चर्चा मुरैना जिले की दिमनी सीट की हो रही है। यह ऐसी सीट है, जिसकी प्रदेश में ही नहीं बल्कि दिल्ली तक में चर्चा है। इसकी वजह है, इस सीट पर भाजपा द्वारा केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को प्रत्याशी बनाया जाना। इस सीट पर फिलहाल कांग्रेस का विधायक है।
केंद्रीय मंत्री, स्टार प्रचारक और प्रदेश चुनाव अभियान समिति का अध्यक्ष होने की वजह से तोमर अपने क्षेत्र में भले ही समय नहीं दे पाए हैं, लेकिन इसके बाद भी उनकी सीट भाजपा नेताओं का केंद्र बनी रही है। इस क्षेत्र में ऐसा कोई गांव नहीं था, जहां पर किसी न किसी बाहरी नेता की तैनाती नहीं की गई हो। इनमें वे नेता तो थे ही जिनकी संगठन ने तैनाती की थी, लेकिन अधिकांश वे नेता भी यहां डटे रहे, जिनका इस इलाके व संगठन से से कोई वास्ता नहीं था। इनमें वे नेता खासतौर पर शामिल रहे, जिनके इलाके में पार्टी ने उनके विरोधियों को टिकट दिया है। इसी तरह से कुछ नेता तो सिर्फ तोमर के सामने अपने नंबर बढ़ाने के लिए डेरा डाले रहे हैं। इनमें मप्र तो ठीक दूसरे प्रदेश तक के नेता भी शामिल थे। दरअसल कई भाजपा नेताओं को लग रहा है कि प्रदेश में अगर भाजपा जीतती है तो फिर तोमर मुख्यमंत्री बन सकते हैं। दरअसल प्रदेशभर से दिमनी पहुंचे अधिकतर नेताओं में वे लोग सर्वाधिक थे, जिनका टिकट या तो काट दिया गया या फिर उनकी दावेदारी की अनदेखी की गई है। अगर ऐसे में वे अपने इलाके में भले ही पार्टी का प्रचार करते तो भी पार्टी में उनके विरोधी नेता उन पर भीतरघात का आरोप लगा सकते हैं, ऐसे में इस स्थिति से बचने के लिए नेताओं ने दिमनी का रुख कर लिया था। खंडवा विधायक देवेंद्र वर्मा 3 दिन तक दिमनी में प्रचार के लिए डेरा डाले रहे। गौरतलब है कि इस बार वर्मा का टिकट काटकर कंचन तनवे को प्रत्याशी बनाया गया है। इसी तरह से करैरा से पूर्व विधायक जसमंत जाटव का टिकट काटकर इस बार रमेश खटीक को दिया है। जसमंत भी दिमनी विस में प्रचार करने जा चुके हैं। इसके अलावा ग्वालियर, मुरैना, सबलगढ़, अंबाह के भी ऐसे नेता दिमनी में प्रचार में जुटे रहे।
जातिगत समीकरण साधने के प्रयास
दिमनी में जातिगत समीकरण साधने के लिए भी बाहरी राज्यों से नेताओं को बुलाया गया था। इनमें खासतौर पर दिल्ली और उत्तरप्रदेश के राजनेता शामिल रहे हैं। दरअसल इस बार दिमनी में बेहद रोचक मुकाबला बना हुआ है। इसकी वजह बने हैं, बसपा प्रत्याशी गिर्राज दंडोतिया। दरअसल यह क्षेत्र क्षत्रिय और ब्राह्म्ण बाहुल है। यहां पर जातिगत आधार पर ही मतदान होता है। कांग्रेस व भाजपा के प्रत्याशी क्षत्रिय हैं। इसकी वजह से ही अलग-अलग जाति के मतदाताओं को साधने के लिए दूसरे राज्यों के विधायक, पूर्व विधायकों व सामाजिक संगठनों के नेताओं को दिमनी बुलाया गया था। यही नहीं सीट पर प्रचार की मॉनिटरिंग के लिए संघ पदाधिकारी संदीप मेहता भी पूरे समय तैनात रहे। तोमर व भदौरिया जाति के वोटों को भाजपा के पक्ष में करने के लिए कानपुर के पूर्व विधायक रघुनंदन सिंह भदौरिया को भी मैछान में उतारा गया। इसी तरह से गुर्जर वोटों को साधने के लिए दिल्ली के विधायक रामवीर सिंह बिधूड़ी व गाजियाबाद के एमएलए नंदकिशोर गुर्जर को भी तैनात किया गया था। इसी तरह से जाटव वोट को साधने के लिए उप्र के बिजनौर के विधायक को भी बुलाया गया था। इतना ही नहीं सामाजिक संगठनों के कई नेताओं की भी ड्यूटी दिमनी में लगाई गई थी।