भाजपा के मजबूत गढ़ों को ढहाने की रणनीति
भोपाल/विनोद उपाध्याय/बिच्छू डॉट कॉम। कांग्रेस की नजर इस बार प्रदेश की उन 66 विधानसभा सीटों पर है , जहां पर लगातार भाजपा को जीत मिलती आ रही है। इन सीटों के भाजपाई गढ़ों को ढहाने की रणनीति बनाने का जिम्मा कमलनाथ ने प्रदेश की राजनीति में चाणक्य कहे जाने वाले पार्टी के ही वरिष्ठ नेता और पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह को सौंपी थी। इसके बाद 17 फरवरी से दिग्विजय सिंह लगातार इन सीटों का दौरा कर पूरी मैदानी हकीकत को पता करने में लगे हुए थे। वे अब पूरी सीटों का दौरा कर उन तमाम कारणों को पता कर चुके हैं, जिसकी वजह से कांग्रेस को जीत नहीं मिल पा रही थी। जल्द ही इसकी एक रिपोर्ट तैयार की जाएगी। जिसके आधार पर ही पार्टी आगे कदम उठाएगी। इन सीटों का भ्रमण करने के बाद मिली जानकारी के आधार पर सिंह अब बेहतर परिणाम के प्रति आशान्वित नजर आ रहे हैं। इन दौरों के दौरान उनके द्वारा मंडलम, सेक्टर और बूथ स्तर तक के पदाधिकारियों के साथ न केवल बैठक की गई , बल्कि उनसे अलग-अलग संवाद भी किया गया। इसकी वजह से कार्यकर्ताओं को खुलकर अपनी बात रखने का मौका मिला , जिसकी वजह से कार्यकर्ताओं का आक्रोश समाप्त हुआ है।
खास बात यह है कि इस दौरान सिंह ने इतमिनान से सभी की बातों को सुना और कई मौकों पर नेताओं व कार्यकर्ताओं को डांटने डपटने से भी पीछे नहीं रहे। यही नहीं इस दौरान उनके द्वारा कई जगहों पर तो बेहद मजबूत नेता का पता चलने पर उन्हें अभी से चुनावी तैयारियां करने तक का इशारा कर दिया गया। सिंह का दावा है कि अब भाजपा के गढ़ दरक रहे हैं। हमारे कार्यकर्ता उत्साहित हैं, जनता मौजूदा सरकार से परेशान है और हर कीमत पर बदलाव चाहती है। सिंह ने कहा कि आज हम जिन्हें कमजोर सीट मान रहे हैं, वो कभी कांग्रेस का गढ़ हुआ करती थीं। उनका कहना है कि हमने अब कमजोर सीटों पर बदलाव की बयार देखी है। प्रथम चरण के दौरे में साफ नजर आ रहा है कि हमारे कार्यकर्ता उत्साहित हैं, जनता मौजूदा सरकार से परेशान है और हर कीमत पर बदलाव चाहती है। सिंह ने माना कि स्थानीय बड़े नेताओं के कारण कार्यकर्ताओं के बीच संवाद में कमी आई, जिससे पार्टी को नुकसान हुआ। दिग्विजय सिंह ने लगभग हर बैठक में महिला नेत्रियों और महिला कार्यकर्ताओं का सम्मान किया। इस दौरान वे खुद कार्यकर्ताओं के बीच बैठे और नेत्रियों को मंच पर बैठाया। उन्होंने नेताओं को अपने इस अंदाज से सीख दी कि पहले वो कार्यकर्ता हैं बाद में नेता। उन्होंने कार्यकर्ताओं को संपर्क, संवाद, समन्वय, सामंजस्य व सकारात्मक सोच जैसे सफलता के पांच सूत्र दिए। उन्होंने कहा इन सूत्रों को अमल में लाते हैं तो पार्टी को कोई हरा नहीं सकता।
कई नेताओं की उतारी लू
बीते दो दिनों में दिग्विजय सिंह ने इंदौर की तीन विधानसभा सीटों के लिए अलग -अलग मीटिंग की। मना करने के बावजूद इन तीनों मीटिंगों में टिकट के दावेदार सिंह के सामने शक्ति प्रदर्शन करने में पीछे नही रहे। इसी तरह की स्थिति कई अन्य जिलों में रही। इस दौरान नेता एक दूसरे की बुराई करने में भी पीेछ नही रहे। सिंह ने ऐसे नेताओं को कार्यकर्ताओं के बीच ही उनकी हकीकत बताते हुए लताड़ भी लगाई। खास कर उन नेताओं को दो टूक जवाब दे दिया जो पिछला चुनाव हार कर घर बैठ गए थे।
इंदौर में दो नेताओं का कर दिया टिकट तय
पूर्व सीएम सिंह ने विधानसभा 2 में चिंटू चौकसे को तैयारी का इशारा दे दिया, वहीं क्षेत्र क्रमांक 3 में पिछला चुनाव हार चुके अश्विन जोशी के दावे को सिरे से खारिज करते हुए स्व महेश जोशी के बेटे दीपक को चुनावी तैयारी के लिए इशारा कर दिया। दरअसल बीते चुनाव में महेश जोशी अपने पुत्र के दीपक के लिए टिकट चाहते थे। परिवार में बनी सहमति के बाद उनके भतीजे अश्विन जोशी को टिकट दिया गया था , लेकिन वे कैलाश विजयवर्गीय के पुत्र आकाश से चुनाव हार गए। एक बार फिर टिकट की अभिलाषा लेकर जोशी सिंह से मिलने पहुंचे। सिंह ने जोशी को तमाम कार्यकर्ताओं के बीच उनका दावा खारिज कर दिया।