पूर्व आईएएस अंजू बघेल सहित नौ अफसरों की बढ़ी मुश्किलें…

अंजू बघेल

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। चुनावी साल में भ्रष्टाचार के मामलों में राज्य सरकार भी सक्रिय नजर आने लगी है, यही वजह है कि प्रदेश में जिन अफसरों व कर्मचारियों के भ्रष्टाचार क मामलों में लंबे समय से अभियोजन स्वीकृति नहीं मिल रही थी , उनमें अब स्वीकृति प्रदान की जाने लगी है। बीते दो माह में ऐसे नौ मामलों में अभियोजन की स्वीकृतियां प्रदान की गई हैं। बीते माह एक ऐसे ही मामले में अभियोजन स्वीकृति दी गई है। यह मामला है पूर्व आईएएस अफसर अंजू सिंह बघेल का। उनके खिलाफ आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो ने सितम्बर 2017 में आर्थिक अपराध का एक प्रकरण दर्ज किया था।
अब इस मामले में शासन ने अभियोजन स्वीकृति प्रदान कर दी है। इसके बाद से ही आर्थिक अपराध शाखा द्वारा बघेल के विरुद्ध न्यायालय में आरोप पत्र पेश करने की तैयारी शुरु कर दी गई है। गौरतलब है कि राज्य शासन ने बीते दो माह में 8 अन्य मामलों में भी ईओडब्ल्यू को अभियोजन स्वीकृतियां प्रदान की हैं। गौरतलब है कि भारतीय प्रशासनिक सेवा की पूर्व अफसर अंजू सिंह बघेल ने कटनी कलेक्टर रहते आदिवासी की 7.6 हेक्टेयर जमीन अपने बेटे अभिवेन्द्र सिंह के नाम स्थानांतरित कर दी थी। इस मामले में ईओडब्ल्यू ने सितंबर 2017 में श्रीमती बघेल के विरुद्ध धारा 420, 120बी, 409, भादवि एवं 13 (1), 13 (2) पीसी एक्ट 1988 सहपठित धारा 7 सी भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम संशोधित अधिनियम 2018 के तहत प्रकरण दर्ज किया था। मामले की जांच में आरोप सिद्ध होने पर आर्थिक अपराध शाखा ने उनके खिलाफ  न्यायालय में आरोप पत्र प्रस्तुत करने हेतु राज्य शासन से अभियोजन स्वीकृति मांगी थी। इस मामले में लंबे इंतजार के बाद राज्य शासन ने गत 8 मई को  न्यायालय में चालान पेश करने की अनुमति प्रदान कर दी है।  उधर,  उज्जैन जिले के महिदपुर में पदस्थ पटवारी महेन्द्र राव के खिलाफ ईओडब्ल्यू ने वर्ष 2022 में प्रकरण दर्ज किया था। 12 मई 2023 को कलेक्टर उज्जैन ने और मण्डला जिले की ग्राम पंचायत जैदेपुर की तत्कालीन सरपंच श्रीमती अनारकली कुशराम के खिलाफ ईओडब्ल्यू ने वर्ष 2021 में प्रकरण दर्ज किया था, जिसमें मुख्य कार्यपालन अधिकारी, जिला पंचायत मण्डला द्वारा बीते माह 10 मई को अभियोजन स्वीकृति प्रदान कर दी गई है।
इन मामलों में भी मिली अनुमति
राज्य शासन द्वारा बीते दो माह में जिन भ्रष्ट अफसरों के मामलों में अभियोजन स्वीकृति प्रदान की गई है उनमें सेवानिवृत्त तहसीलदार ओपी पगारे और जी आर रघुवंशी के खिलाफ वर्ष 2012 में धारा 420, 120 बी भादंवि एवं 13(1), 13 (2) 1988 भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत प्रकरण दर्ज किया था। इस मामले में 27 जून को प्रमुख सचिव, राजस्व विभाग द्वारा अभियोजन की स्वीकृति प्रदान दी गई है।  अखिलेश पगारे, सहायक वर्ग -2 तत्कालीन पदस्थापना शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय, सिनगर, जिला खरगोन आरोपी के विरुद्ध वर्ष 2021 में धारा 7, 7 क भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 एवं 120 बी भादंवि में प्रकरण दर्ज हुआ था। जिला शिक्षा अधिकारी खरगोन ने हाल ही में 14 जून को, देवास जिले की हाटपिपलिया नगर परिषद में पदस्थ बाबू सचिन के विरुद्ध ईओडब्ल्यू ने वर्ष 2021 में प्रकरण दर्ज किया था। इसी साल 12 मार्च को मुख्य नगर पालिका अधिकारी द्वारा अभियोजन स्वीकृति दी गई है। इसी तरह से राजस्व निरीक्षक दिनेश चन्द्र शर्मा,के विरुद्ध ईओडब्ल्यू ने वर्ष 2015 में प्रकरण दर्ज किया। प्रमुख सचिव, राजस्व विभाग ने बीते माह 12 मई को और सुल्तानिया जनाना अस्पताल, भोपाल के तत्कालीन अधीक्षक नीरज बेदी के विरुद्ध ईओडब्ल्यू ने वर्ष 2015 में धारा 420, 409, 120 बी भादंवि एवं 13 (1), 13 (2) पीसी एक्ट 1988 सहपठित धारा 7 सी भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम संशोधित अधिनियम 2018 में प्रकरण दर्ज किया था।

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