- केंद्रीय करों से मप्र को मार्च तक 6,500 करोड़ अतिरिक्त मिलेंगे
- गौरव चौहान
मप्र के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने प्रदेश में विकास का जो अभियान शुरू किया है उसको केंद्रीय अंतरिम बजट से रफ्तार मिलेगी। मध्य प्रदेश को वित्तीय वर्ष 2023-24 समाप्त होने के पहले केंद्रीय करों के हिस्से में साढ़े छह हजार करोड़ रुपये अतिरिक्त मिलेंगे। केंद्र सरकार ने अंतरिम बजट में इसका प्रविधान किया है। अभी केंद्रीय करों से 80,184 करोड़ रुपये मिलने का अनुमान था। इस राशि से मध्य प्रदेश सरकार को अपना वित्तीय प्रबंधन करने में काफी सहयोग मिलेगा। वहीं, वित्तीय वर्ष 2024-25 में 15 हजार करोड़ रुपये अधिक मिल सकते हैं। मप्र सरकार को यह राशि चालू वित्त वर्ष के समाप्त होने से पूर्व यानी 31 मार्च से पहले मिल जाएगी। इसकी पहली किस्त इसी महीने और दूसरी किस्त मार्च में मिलेगी। अभी केंद्रीय करों में मन को 80 हजार 184 करोड़ रुपए मिलने का अनुमान था, जो अब बढ़कर 86 हजार 500 करोड़ रुपए हो जाएगी। केंद्र सरकार राज्यों को केंद्रीय करों में हिस्से की राशि किस्तों के रूप में हर महीने की 10 तारीख को देती है।
दरअसल, जीएसटी सहित अन्य केंद्रीय करों से भारत सरकार का राजस्व बढ़ा है। इसका लाभ मध्य प्रदेश को भी मिल रहा है। 15वें वित्त आयोग द्वारा निर्धारित अनुपात में प्रदेश को राशि मिल रही है। वित्त विभाग के अधिकारियों का कहना है कि भारत सरकार ने अंतरिम बजट में प्रदेश को साढ़े छह हजार करोड़ रुपये अतिरिक्त देने का प्रविधान रखा है। वहीं, आगामी वित्तीय वर्ष में 15 हजार करोड़ रुपये बढकऱ मिल सकते हैं। इससे प्रदेश को काफी लाभ होगा। केंद्रीय सहायता में भी वृद्धि संभावित है। यह वित्तीय वर्ष 2023-24 के लिए 44,113 करोड़ रुपये अनुमानित है। हालांकि, यह वित्तीय वर्ष 2022-23 की तुलना में एक प्रतिशत कम थी लेकिन वर्ष 2024-25 में इसमें वृद्धि हो सकती है क्योंकि केंद्र सरकार ने मनरेगा सहित कई योजनाओं के लिए वर्तमान वित्तीय वर्ष की तुलना में अधिक राशि का प्रविधान रखा है।
आर्थिक गलियारे का मिलेगा लाभ
विभागीय अधिकारियों का कहना है कि ऐतिहासिक और सांस्कृतिक स्थलों के विकास के लिए राज्यों को प्रोत्साहन दिए जाने की योजना का लाभ भी मध्य प्रदेश को मिलेगा। प्रदेश में कई लोक विकसित किए जा रहे हैं। उज्जैन में श्री महाकाल महालोक बनाया गया है, जिससे उज्जैन आने वाले पर्यटकों की संख्या में काफी वृद्धि हुई है। इसका लाभ अन्य पर्यटन स्थलों को भी मिला और आर्थिक गतिविधियां बढ़ी हैं। रोजगार के नए अवसर भी सृजित हुए हैं। वित्त अधिकारियों का कहना है कि आगामी वित्त वर्ष 2024-25 के लिए अनुमानित बजट में केंद्रीय करों में मप्र को 15 हजार करोड़ रुपए अधिक मिलने का अनुमान है। इस तरह आगामी वित्त वर्ष में अनुमानित बजट में केंद्रीय करों का हिस्सा बढकऱ 95 हजार करोड़ से अधिक हो जाएगा। वित्त विभाग के अधिकारियों का कहना है कि केंद्र सरकार ने केंद्रीय करों में मप्र का हिस्सा वर्ष 2023-24 में 80 हजार 184 करोड़ रुपए प्रस्तावित किया था। पुनरीक्षित बजट में इसे बढ़ाकर 86 हजार 500 करोड़ रुपए कर दिया गया है। इसका लाभ यह होगा कि प्रदेश में अभी जो योजनाएं चल रही हैं, उनके लिए द्वितीय अनुपूरक बजट में अधिक राशि दी जा सकेगी। इसका उपयोग सरकार आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा देने के अलावा विकास परियोजनाओं को गति देने में करेगी। दरअसल, जीएसटी सहित अन्य केंद्रीय करों से भारत सरकार का राजस्व बढ़ा है। इसका लाभ मप्र को भी मिल रहा है। 15वें वित्त आयोग द्वारा निर्धारित अनुपात में मप्र समेत अन्य राज्यों को राशि मिल रही है। हालांकि पिछले वित्त वर्ष के मुकाबले चालू वित्त वर्ष में केंद्रीय करों के हिस्से में मप्र को 4 हजार करोड़ रुपए कम दिए गए हैं। पिछले वित्त वर्ष में मप्र को केंद्रीय करों के हिस्से में 10 हजार 435 करोड़ रुपए अधिक मिले थे। इसके मुकाबले वर्तमान वित्त वर्ष में मप्र में केंद्रीय करों के हिस्से में 6.5 हजार करोड़ अधिक मिलेंगे।
बिना ब्याज का ऋण भी मिलेगा
भारत सरकार ने पूंजीगत कार्यों को बढ़ावा देने के लिए 50 वर्ष की अवधि के लिए बिना ब्याज का ऋण देने की योजना को जारी रखने का निर्णय लिया है। अभी प्रदेश के लिए 7,850 करोड़ रुपये स्वीकृत हुए हैं। एक किस्त मिल चुकी है। इसका उपयोगिता प्रमाण पत्र भेज दिया गया है और दूसरी किस्त वित्तीय वर्ष समाप्त होने के पहले मिल जाएगी। नए वित्तीय वर्ष में भी सरकार इस व्यवस्था का लाभ उठाएगी। इसके लिए अंतरिम बजट में प्रविधान रखा गया है। प्रधानमंत्री जनमन योजना के माध्यम से भी विशेष पिछड़ी जनजातियों (बैगा, भारिया और सहरिया) के लिए आवास बनाने राशि मिलेगी। तीन वर्ष में सभी को आवास उपलब्ध कराने का लक्ष्य रखा गया है। प्रदेश में ऐसे परिवारों की संख्या एक लाख 20 हजार के आसपास है। इन्हें आवास बनाने के लिए दो लाख रुपये, शौचालय के लिए 15 हजार रुपये और मजदूरी की राशि अलग से मिलेगी। ऐसे ही ऐतिहासिक और सांस्कृतिक स्थलों के विकास के लिए राज्यों को प्रोत्साहन राशि दिए जाने की योजना का लाभ मध्य प्रदेश को मिलेगा। प्रदेश में एक दर्जन लोक विकसित किए जा रहे है। उज्जैन में श्री महाकाल लोक बनाया गया है, जिससे उज्जैन आने वाले पर्यटकों की संख्या काफी बढ़ी है। इसका लाभ अन्य पर्यटन स्थलों को भी मिला और आर्थिक गतिविधियां भी बढ़ी है।
रेल बजट में प्रदेश को मिलेंगे 15,143 करोड़
वहीं रेल बजट 2024-25 में मध्य प्रदेश को 15,143 करोड़ रुपये का आवंटन हुआ है। बजट में आधुनिकीकरण, संरक्षा एवं यात्री सुविधाओं पर ध्यान दिया गया है। रेलमंत्री अश्विनी वैष्णव ने वर्चुअल माध्यम से बताया कि 10 वर्षों में रेलवे के विकास के लिए रणनीति में बदलाव कर आधिकारिक निवेश पर बल दिया गया है। इससे रेलवे पर क्षमता वृद्धि, आधुनिकीकरण, संरक्षा और यात्री सुविधाओं की ओर अधिक ध्यान दिया गया है। वर्ष 2024-25 में रेलवे को 2.52 लाख करोड़ रुपये के बजट का प्रावधान किया गया है जो अभी तक का सर्वाधिक है। रेलवे में 3 बड़े कॉरिडोर का निर्माण किया जाएगा। जिनमें एनर्जी, मिनरल और सीमेंट कॉरिडोर, हाई ट्रैफिक डेंसिटी कॉरिडोर और पोर्ट कनेक्टिविटी कॉरिडोर बनाया जाएगा। इन कॉरिडोर के बनने से देश में आर्थिक विकास को बल मिलेगा। इसके साथ ही 40 हजार कोच को वंदे भारत के मानक के अनुरूप तैयार किया जाएगा। रेल मंत्री ने मध्य प्रदेश के बारे में जानकारी प्रदान करते हुए बताया कि मध्य प्रदेश बहुत बड़ा प्रदेश है। वर्ष 2009-14 तक मध्य प्रदेश को औसत बजट मात्र 632 करोड़ रुपए प्रतिवर्ष मिलता था, जिसे प्रधानमंत्री के नेतृत्व में वर्ष 2024-25 के बजट में 15,143 करोड़ रुपए किया गया है। यह अभी तक का सर्वाधिक बजट आवंटन है। अश्विनी वैष्णव ने बताया कि मध्य प्रदेश में रेल कार्य बहुत तेजी से हो रहे हैं। प्रदेश में 77 हजार करोड़ रुपये के निवेश से बहुत तेजी से कार्य किया जा रहा है। 100 प्रतिशत रेल लाइनों को विद्युतीकरण हो गया है। 80 रेलवे स्टेशनों को अमृत स्टेशन योजना के तहत पुनर्विकसित किया जा रहा है।मध्य प्रदेश में रेलवे ट्रैक पर 972 फ्लाईओवर और रोड अंडर ब्रिज का निर्माण किया गया है। इसके साथ ही स्थानीय उत्पादों को बढावा देने के लिए एक स्टेशन-एक उत्पाद के 69 स्टॉल संचालित हो रहे हैं। रेलमंत्री ने बताया कि स्टेशनों पर बहुत अधिक भीड़ रहती है तो स्थानीय उत्पादों को अच्छा प्रतिसाद मिल रहा है और स्टॉल संचालकों की आमदनी में बढ़ोतरी हो रही है।