दिल्ली में अटके विभाग…मंत्रियों व अफसरों में कयासों का दौर

अटके विभाग
  • सीएम द्वारा सूची बनाकर आलाकमान को भेजी जा चुकी

गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। डॉ. मोहन यादव कैबिनेट का 12 दिन चले विचार मंथन के बाद आखिरकार 25 दिसंबर को विस्तार हो गया था, लेकिन इसके चार दिन बाद भी उनके विभागों का वितरण नहीं हो सका है। इसकी वजह से मंत्रियों के अलावा अफसरों में कयासों का दौर चल रहा है। मुख्यमंत्री द्वारा शपथ ग्रहण के बाद ही मंत्रियों के विभागों की सूची बनाकर दिल्ली भेज दी गई थी। इसके बाद से ही आलाकमान की हरी झंडी का इंतजार बना हुआ है। शपथ ग्रहण के बाद माना जा रहा था कि एक दो दिन में मंत्रियों को विभाग बांट दिए जाएंगे, लेकिन मामला अब भी अटका हुआ है। भाजपा आलाकमान के लंबे मंथन के बाद जातीय और क्षेत्रीय समीकरण साधते हुए डॉ. मोहन यादव सरकार के मंत्रिमंडल का विस्तार तो कर दिया गया, लेकिन अब विभागों का इंतजार समाप्त नहीं हो रहा है। दरअसल मुख्यमंत्री के अलावा दो डिप्टी सीएम को 13 दिसंबर को शपथ दिलाई गई थी, उसके बाद 25 दिसंबर को 28 मंत्रियों ने शपथ ली थी। मंत्रियों के शपथ लेने के दूसरे दिन मुख्यमंत्री द्वारा पहली कैबिनेट बैठक भी कर ली गई है।  इसमें सीएम ने सभी नए मंत्रियों के पसंदीदा कामकाज को लेकर सूची तैयार की है।
फिलहाल विभागों के अभाव में मंत्री भी खाली बैठे हैं। वे सिर्फ मेल मुलाकातों में ही समय व्यतीत कर रहे हैं। कहा जा रहा है कि विभागों के वितरण में सबसे बड़ा पेंच सिंधिया समर्थक मंत्रियों के विभागों को लेकर  फंसा हुआ है। दरअसल इन मंत्रियों द्वारा अपने पुराने विभागों के लिए दबाव बनाया हुआ है। गौरतलब है कि पिछली सरकार में श्रीमंत समर्थक मंत्रियों के पास बड़े और मलाईदार विभाग थे, जिनमें ग्रामीण विकास और पंचायत, परिवहन , राजस्व और जल संसाधन शामिल हैं। इसके अलावा दूसरा बड़ा पेंच गृह विभाग को लेकर भी फंसने की खबरें आ रही है। मंत्रियों को विभाग नहीं मिलने की वजह से सरकारी कामकाज भी प्रभावित हो रहा है। अहम बात यह है कि दोनों उप मुख्यमंत्री भी बिना विभाग के ही बने हुए हैं। उधर, अफसरों में भी असमंजस की स्थिति बनी हुई है।  
होगी बड़ी प्रशासनिक सर्जरी
सूत्रों का कहना है कि एक दो दिन में मंत्रियों के विभाग का बंटवारा हो सकता है। इसके बाद प्रदेश में बड़े स्तर पर प्रशासनिक सर्जरी की जानी है। इसमें मंत्रालय से लेकर मैदानी स्तर तक फेरबदल की बात कही जा रही है। अभी मुख्यमंत्री ने सिर्फ कुछ अधिकारियों को ट्रांसफर किए हैं। मुख्यमंत्री अब अपने अनुसार अधिकारियों की जमावट करेंगे। इसके अलावा उन अफसरों के भी तबादले किए जाने हैं, जिनका कार्यकाल लोकसभा चुनाव से पहले एक ही स्थान पर पदस्थ हुए तीन साल का होने वाला है।
राजेंद्र शुक्ला ने लिया नरोत्तम मिश्रा का चेंबर
मंत्रियों के नाम का ऐलान होने के बाद उप मुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ला ने पूर्व गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा का चेंबर का आवंटन करा लिया है। पूर्व गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा का चैंबर वीबी-दो की तीसरी मंजिल पर स्थित है। वहीं, मंत्री गोविंद सिंह राजपूत ने अपना पूर्व का चेंबर ही अपने पास आवंटित करा लिया है।
पहली बार मंत्री बनने वालों में उत्सुकता
बताया जा रहा है कि जो विधायक पहली बार मंत्री बनाए गए हैं, उनमें अधिक उत्सुकता है। इनमें राव उदय प्रताप सिंह, एदल सिंह कंसाना, संपत्तिया उइके, राकेश शुक्ला राकेश सिंह, नागर सिंह चौहान , राधा सिंह,प्रतिमा बागड़ी, दिलीप अहिरवार, नरेन्द्र शिवाजी पटेल , दिलीप जायसवाल ,गौतम टेटवाल, लखन पटेल, कृष्णा गौर, धर्मेंद्र लोधी ,नारायण सिंह पवार आदि शामिल हैं।
नए मंत्रियों को बंगले देने कवायद
डॉ. मोहन सरकार के कई मंत्रियों को बड़े बंगले की जरूरत है। अभी कई पुराने मंत्री और चुनाव हारे मंत्रियों ने अपने बंगले खाली नहीं किए हैं। अब इन मंत्रियों से बंगले खाली कराना बड़ी चुनौती है। इसको लेकर गृह विभाग ने बड़े बंगलों की सूची बनाकर मुख्यमंत्री कार्यालय को भेज दी है। अभी उप मुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ला, उप मुख्यमंत्री जगदीश देवड़ा, मंत्री तुलसी सिलावट, मंत्री विजय शाह, मंत्री गोविंद राजपूत, मंत्री विश्वास सारंग, मंत्री इंदर सिंह परमार, मंत्री प्रद्युम्न  सिंह तोमर और नए मंत्रियों में कृष्णा गौर के पास बंगला है।
किन विभागों पर है नजर
मंत्रिमंडल के गठन के बाद अब मंत्रियों की गृह विभाग, नगरीय प्रशासन, राजस्व, वित्त, पीडब्ल्यूडी, महिला बाल विकास विभाग, पीएचई, जल संसाधन, कृषि, बिजली, जनसंपर्क और परिवहन जैसे प्रमुख व मलाईदार विभागों पर नजर है। कैलाश विजयवर्गीय पहले भी नगरीय प्रशासन विभाग संभाल चुके हैं। सिंधिया खेमे के गोविंद राजपूत राजस्व और परिवहन विभाग देख चुके हैं। प्रद्युम्न सिंह तोमर शिवराज सरकार में बिजली मंत्री रहे हैं। सिलावट के पास भी जल संसाधन विभाग रह चुका है। वहीं, राकेश सिंह, प्रहलाद पटेल और उदय राव प्रताप सिंह पहली बार के विधायक हैं और पहली बार में ही कैबिनेट मंत्री बनाए गए हैं। ऐसे में इन्हें भी अपनी वरिष्ठता के चलते प्रमुख विभाग मिलने की आस है।

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