समान प्रकृति वाले विभाग मर्ज होंगे अथवा हो सकते हैं बंद

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भोपाल/गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। राज्य सरकार की मंशानुसार एक समान एक प्रकृति और अनुपयोगी विभागों को एक दूसरे में मर्ज करने अथवा उन्हें बंद किए जाने को लेकर कई विभागों ने प्रस्ताव दिए हैं। इसकी कवायद तीन साल पहले से चल रही है विधानसभा चुनाव आने के दौरान तब इसकी कार्यवाही रुक गई थी। हालांकि उसके बाद वरिष्ठ अफसरों द्वारा इस पर कोई कार्रवाई नहीं की गई। जिन विभागों को बंद या फिर मर्ज किया जा सकता है उनमें जनशक्ति निवारण विभाग और सीएम हेल्पलाइन में एक तरह की शिकायतें दर्ज होती हैं। वहीं स्वास्थ्य, आयुष, गैस राहत और चिकित्सा शिक्षा विभाग एक किए जा सकते हैं। इसी तरह ऊर्जा विभाग के साथ ही नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा और उद्योग के साथ नवीन एवं नवकरणी ऊर्जा, तो खेती के लिए कृषि विभाग है, लेकिन पशुपालन, डेयरी का काम भी किसानों से जुड़ा है। सहकारिता भी इसी सेक्टर के लिए है। स्कूल शिक्षा और आदिम जाति कल्याण विभाग दोनों ही स्कूल संचालित करते हैं। जबकि संविदा और अध्यापक वर्ग की नियुक्ति का अधिकार नगरीय निकायों के पास है। ऐसे में इन विभागों में कार्यों में एकरूपता है।  
2005 में गठित आयोग ने की थी अनुशंसा
उल्लेखनीय है कि अनुपयोगी और एक समान विभागों को मर्ज करने की अनुशंसा कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री वीरप्पा मोइली की अध्यक्षता में गठित द्वितीय प्रशासनिक आयोग ने की है। बता दें कि इस आयोग का गठन 31 अगस्त 2005 में हुआ था। दरअसल आयोग ने माना कि एक समान कार्य वाले कई विभागों के होने से प्रशासनिक खर्च बढ़ता है और वित्तीय प्रबंधन प्रणालियों का सुदृढ़ीकरण प्रभावित होता है।
नौकरशाही में सुधार के लिए भी की सिफारिशें
यही नहीं आयोग ने नौकरशाही में सुधार के लिए भी कई महत्वपूर्ण सिफारिशें की हैं। जिनमें कहा गया है कि 14 वर्षों की सेवा के बाद की जाने वाली समीक्षा मुख्यत: लोक सेवकों को उनके मजबूत और कमजोर पहलुओं से अवगत कराने के उद्देश्य से होनी चाहिए। जबकि बीस वर्षों की सेवा के बाद की जाने वाली समीक्षा के पीछे उद्देश्य यह है कि पता चल सके कि सरकारी कर्मचारी या लोकसेवक आगे सेवा में रहने योग्य है अथवा नहीं। खास बात यह है कि आयोग की अनुशंसा पर राज्य सरकार ने वर्ष 2018 में सामान्य प्रशासन विभाग के माध्यम से सभी विभागों को निर्देश जारी किए थे। उच्च स्तरीय समीक्षा बैठक में दो दर्जन से अधिक विभागों ने एक ही प्रकृति और समान कार्य वाले विभागों को मर्ज करने की सहमति भेजी थी। हालांकि जीएडी के पीएस ने फिलहाल इस बात की किसी भी जानकारी से अनभिज्ञता जताई है।
खर्चों में आएगी कमी
यदि विभागों को बंद अथवा मर्ज किया जाता है तो विभाग के बढ़ते खर्च में कमी आएगी, क्योंकि बजट का 25 फीसदी से अधिक हिस्सा कर्मचारियों के वेतन भत्ते सहित अन्य कार्यों में खर्च होता है। इसके साथ ही स्थापना व्यय भी कम होगा।

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