मध्यप्रदेश में पांच माह में पूरी होंगी 1200 घोषणाएं

शिवराज सिंह चौहान
  • 30 अप्रैल तक विभागों को देनी है वर्तमान स्थिति की जानकारी

भोपाल/अपूर्व चतुर्वेदी/बिच्छू डॉट कॉम। चुनावी मैदान में उतरने से पहले सरकार की कोशिश है की चौथी पारी में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा की गई घोषणाओं को अमलीजामा पहना दिया जाए। इसके लिए मुख्यमंत्री सचिवालय ने सभी विभागों से पेंडिंग घोषणाओं की रिपोर्ट मांगी है। विभागों को यह रिपोर्ट 30 अप्रैल तक हर हाल में देनी है। सूत्रों का कहना है की सरकार सितंबर तक सारी घोषणाएं पूरी करने की रणनीति पर काम कर रही है। यानी चौथी पारी में मुख्यमंत्री द्वारा घोषित की गई 1188 घोषणाएं लंबित हैं, उन्हें 5 माह में पूरा करना है। मुख्यमंत्री द्वारा समय-समय पर जनहित में घोषणाएं की जाती हैं। कलेक्टर के माध्यम से इनकी जानकारी संबंधित विभागों को आवश्यक कार्रवाई करने के लिए भेजी जाती है। मुख्यमंत्री कार्यालय और सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा इनकी समीक्षा भी होती है। इसमें यह बात सामने आई है कि 2383 घोषणाओं में से 48 प्रतिशत का ही निराकरण हुआ है। यानी 1188 घोषणाओं के क्रियान्वयन की दिशा में कोई कदम नहीं उठाया गया। इसे देखते हुए सभी अपर मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव और सचिवों को निर्देश दिए गए हैं कि वे लंबित घोषणाओं की स्वयं समीक्षा करें। ऐसी योजनाएं, जिनके लिए में बजट की कोई कमी नहीं है, उन्हें चिन्हित कर व्यक्तिगत रुचि लेकर क्रियान्वयन सुनिश्चित कराएं। जो घोषणा बजट की कमी या एक से अधिक विभागों से जुड़ी होने के कारण लंबित है, उनके संबंध में वित्त और संबंधित विभाग के अधिकारियों के साथ बैठक करके समाधान निकाला जाए। यदि किसी विभाग को ऐसा लगता है कि घोषणा उनसे संबंधित नहीं है तो, दूसरे विभाग को अंतरित करने का अनुरोध किया जाए।
नगरीय प्रशासन में सबसे अधिक लंबित
चौथी बार मुख्यमंत्री बनने के बाद से 3 वर्षों के दौरान शिवराज सिंह चौहान ने जो घोषणाएं की है उनमें सूचीबद्ध 2383 घोषणाओं में से जो 1188 घोषणाएं अभी तक अधर में हैं उनमें से सबसे अधिक घोषणाएं नगरीय विकास एवं आवास विभाग में लंबित हैं। इस विभाग में 215 घोषणाएं लंबित हैं। वहीं पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग में 127, लोक निर्माण विभाग में 108, स्कूल शिक्षा विभाग में 79, राजस्व विभाग में 60, संस्कृति विभाग में 41, जनजातीय कार्य विभाग में 41, उच्च शिक्षा विभाग में 40, सामान्य प्रशासन विभाग में 39, खेल एवं युवा कल्याण विभाग में 34, गृह विभाग में 34, धार्मिक न्यास एवं धर्मस्व विभाग में 28, जल संसाधन विभाग में 27, पर्यटन विभाग में 23, उद्योग विभाग में 22, सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम विभाग में 20, नर्मदा घाटी विकास में 18, किसान कल्याण एवं कृषि  में 18, तकनीकी शिक्षा एवं कौशल विकास में 17, चिकित्सा शिक्षा में 16, ऊर्जा में 16, सहकारिता में 15, महिला एवं बाल विकास में 14, लोक स्वास्थ्य यांत्रिकीं में 12, अनुसूचित जनजाति कल्याण में 10, वन 10, खाद्य नागरिक आपूर्ति पशुपालन एवं डेयरी में 9, लोक सेवा प्रबंधन में 9, आयुष में 5, वाणिज्यिक कर में 5, वित्त में 4, विमुक्त घुमक्कड़ जनजाति कल्याण में  4, खनिज में 2 घोषणाएं लंबित हैं।  सामान्य प्रशासन विभाग ने सभी विभागों से रिक्त पदों की भर्ती के लिए की जा कार्रवाई की जानकारी मांगी है। इसमें विभागों को बताना है कि किस संवर्ग के कितने पदों पर भर्ती हो चुकी है और कितने के लिए प्रक्रिया चल रही है।
श्रेणीवार होगा निराकरण
चौथे कार्यकाल में अभी की स्थिति में सीएम शिवराज की 1188 घोषणाएं बाकी हैं। अब सीएम के सामने इन्हें पूरा कराने की चुनौती है। दीर्घकालीन योजनाओं पर भी जितना काम संभव होगा, किया जाएगा। लंबित घोषणाओं का श्रेणीवार निराकरण किया जाएगा। वो घोषणाएं, जिनमें बजट की कोई दिक्कत नहीं है। इन्हें विभागाध्यक्ष और संबंधित अधिकारियों को प्राथमिकता पर लेकर समीक्षा करनी होगी। निराकरण पर फोकस होगा। वे घोषणाएं, जो बजट या अंतर विभागीय महे से लंबित हैं। ऐसे मामले में तुरंत वित्त और संबंधित विभाग के साथ बैठक कर हल निकालना है। संयुक्त बैठक करके निराकरण करेंगे। ऐसी घोषणाएं, जिनमें विभाग को लगता है कि उससे संबंधित मामला नहीं है। ऐसे में तुरंत व्यापक समीक्षा बैठक करके उसे संबंधित विभाग को भेजा जाना है। इसमें संबंधित विभाग से तत्काल संपर्क किया जाना है। जानकारी के अनुसार दीर्घकालीन घोषणाओं को पूरा करने में ज्यादा दिक्कत है। इनमें छोटे शहरों को स्मार्ट सिटी बनाना और जिलों में मेडिकल कॉलेज आदि। संयुक्त जिम्मेदारी यानी कई विभाग से संबंधित घोषणाओं में दिक्कत होती है। सही समन्वय नहीं होने से परेशानी बढ़ती है। जिन बड़ी घोषणाओं में बहुत ज्यादा बजट लगना है, उन्हें पूरा करने में भी दिक्कत है। इसमें वित्त विभाग से मंजूरी लेनी होगी।
मॉनिटरिंग की व्यवस्था लागू
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने घोषणाओं की मॉनिटरिंग की व्यवस्था लागू कर दी है। सभी विभागों में घोषणाओं को हाईअलर्ट पर रखा है। सीएम ने इसकी डेडलाइन 30 अप्रैल तय की है। सभी घोषणाओं को श्रेणीबद्ध कर पूरा करना होगा। मॉनिटरिंग के लिए अफसरों को जिम्मा दिया है। दरअसल, सीएम ने अपने चौथे कार्यकाल के तीन वर्षों में 2383 घोषणाएं की हैं, दावा है कि इनमें से 1195 पूरी हो गई हैं। सरकार की मंशा चुनाव से पहले घोषणाओं को पूरा करने की है। जो दीर्घकालीन घोषणाएं हैं, उन्हें अलग रखा जाएगा, ताकि चुनाव से पहले जनता के सामने रिपोर्ट पेश की जा सके। सरकार ने सभी विभागीय अफसरों से साफ कहा है कि 30 अप्रैल से पहले ही घोषणाओं के निराकरण की रिपोर्ट दें। घोषणाओं को तीन श्रेणियों में बांटकर निराकरण की प्रक्रिया तय की गई है।

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