3 माह के लिए विभागों को मिले 86 अरब रुपए

विभागों
  • नगरीय विकास, पर्यटन और ओबीसी को नहीं मिला कोई फंड

विनोद उपाध्याय/बिच्छू डॉट कॉम। मप्र की मोहन सरकार का बजट इस बार मार्च माह में नहीं आएगा, लोकसभा चुनाव को देखते हुए बजट के लिए चार माह का इंतजार करना होगा। हालांकि सरकार बजट सत्र में लेखानुदान ला रही है। इस लेखानुदान में मिले बजट से विभाग चार माह तक काम चलाएंगे। लेकिन इससे पहले जनवरी, फरवरी और मार्च  में विभागों के खर्च के लिए सरकार ने 8,623 करोड़ रूपए की राशि तय कर दी है। लेकिन विडंबना यह है कि इन तीन महीनों के दौरान नगरीय विकास, पर्यटन और ओबीसी के लिए कोई फंड जारी नहीं किया गया है। यानी इन तीन महीनों के दौरान इन तीनों विभागों में कोई नया काम नहीं होगा। दरअसल, आर्थिक तंगी के इस दौर में सरकार फूंक-फूंककर कदम बढ़ा रही है। इसलिए सरकार ने विभागों की खर्च की सीमा तय कर दी है। वित्त विभाग द्वारा जारी बजट के मुताबिक कई विभागों को सिर्फ पीआईयू (प्रोजेक्ट इम्प्लीमेंटेशन यूनिट) के पेमेंट के लिए ही राशि जारी की गई है। इनमें स्कूल शिक्षा, जनजातीय कार्य विभाग, चिकित्सा शिक्षा, हेल्थ, तकनीकी शिक्षा-कौशल विकास और रोजगार विभाग, उच्च शिक्षा, राजस्व और अनुसूचित जाति कल्याण विभाग शामिल हैं। पीआईयू द्वारा इन विभागों के अधोसंरचना के काम किए जा रहे हैं। इसमें अस्पताल, लैब, प्रशिक्षण स्थल, छात्रावास, स्कूल आदि भवनों का निर्माण शामिल है।
38 विभागों पर वित्त विभाग का पहरा
गौरतलब है कि पहले से ही वित्तीय संकट के चलते 38 विभागों को वित्त विभाग की परमिशन के बगैर भुगतान करने पर रोक लगा चुकी सरकार द्वारा अब 26 विभागों की लिमिट तय करने को वित्तीय मैनेजमेंट से जोड़ा जा रहा है। इसमें सबसे अधिक 2055 करोड़ रुपए लोक निर्माण विभाग और 1255 करोड़ रुपए जल संसाधन विभाग के लिए तय किए गए हैं। सबसे खराब स्थिति तो नगरीय निकायों के मामले में है। नगरीय विकास के लिए तीन माह में व्यय सीमा जीरो रखी गई है। इसके चलते शहरी इलाकों में सडक़ों व अन्य अधोसंरचना के काम पर असर पडऩा तय है। इसी तरह पर्यटन और पिछड़ा वर्ग व अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के लिए भी तीन माह में पूंजीगत मद में व्यय सीमा जीरो रखी गई है। पूंजीगत व्यय वह राशि है जिसका उपयोग व्यवसाय लंबी अवधि की संपत्ति खरीदने, बनाए रखने या बढ़ाने के लिए करते हैं। वित्त विभाग ने विभागों के अपर मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव और सचिवों को खर्च की सीमा में ही भुगतान करने को कहा है। वित्त विभाग ने निर्माण कार्य से जुड़े 8 विभागों के लिए तो यह लिमिट तय की गई है कि वे सिर्फ पीआईयू के द्वारा बनाए जाने वाले भवनों का भुगतान ही कर सकेंगे।
मार्च तक विभागों को इतना पैसा मिला
पीएचई को 991 करोड़, लोनिवि को 2055 करोड़, जल संसाधन को 1255 करोड, ऊर्जा विभाग को 235 करोड़, नर्मदा घाटी को 807 करोड़, स्कूल शिक्षा विभाग को 300 करोड़, नगरीय विकास को जीरो, पंचायत एवं ग्रामीण विकास को 1591 करोड़, जनजातीय कार्य 80 करोड़, वन विभाग 439 करोड़, चिकित्सा शिक्षा विभाग 109 करोड़, स्वास्थ्य विभाग 309 करोड़, औद्योगिक नीति एवं संवर्धन विभाग 276 करोड़, तकनीकी शिक्षा 157 करोड़, उच्च शिक्षा 206 करोड़, गृह विभाग 203 करोड़, खेल एवं युवक कल्याण विभाग 162 करोड, संस्कृति विभाग 112 करोड़, राजस्व विभाग 86 करोड़, अजा कल्याण विभाग 77 करोड़, महिला एवं बाल विकास 50 करोड़, विज्ञान एवं तकनीकि 49 करोड़, सूक्ष्य एवं लघु उद्योग विभाग 43 करोड़ रुपए, खाद्य विभाग 31 करोड़ खर्च कर पाएंगे। जबकि पर्यटन, पिछड़ा वर्ग कल्याण, को एक पैसा भी नहीं मिला है। इन विभागों को मार्च तक 8623 करोड़ रुपए लिमिट में खर्च करने होंगे।
चार महीने लेखानुदान से चलेगा खर्च
लोकसभा चुनाव के बाद मध्यप्रदेश का बजट जुलाई माह में लाया जाएगा, हालांकि प्रदेश की वित्तीय जरूरतों को पूरा करने के लिए मोहन सरकार फरवरी माह में लेखानुदान लेकर आएगी। इसमें शुरूआत चार माह के लिए विभागों को जरूरी खर्च के लिए राशि उपलब्ध कराई जाएगी, इसके लिए वित्त विभाग ने तैयारियां शुरू कर दी हैं। चार माह का खर्च चलाने के लिए वित्त विभाग ने सभी विभागों को निर्देश दिया है कि 2023-24 के लिए पुनरीक्षित अनुमान और 2024-25 के बजट अनुमान के आंकड़ों को ऑनलाइन भेजा जाए। साथ ही विभाग द्वारा अप्रैल 2024 से जुलाई 2024 तक के लेखानुदान के लिए आय और खर्च का ब्योरा भी भेजा जाए। वित्त विभाग ने साफ कहा है कि विभागों को पुराने खर्चों के लिए ही राशि उपलब्ध कराई जाएगी, किसी नए खर्च के लिए राशि नहीं दी जाएगी। लेखानुदान में कोई नया मद शामिल नहीं किया जाएगा, इसलिए विभाग की ओर से किसी योजना या योजनाओं को खत्म करने या संविलयन करने की जरूरत हो तो इसके लिए विभाग वित्त विभाग के अधिकारियों से चर्चा कर सकेंगे।
सात फरवरी से मप्र विधानसभा का बजट सत्र
मप्र विधानसभा का बजट सत्र सात फरवरी से प्रारंभ होगा। इसमें सरकार अप्रैल से जुलाई 2024 तक के लिए लेखानुदान प्रस्तुत करेगी। वर्ष 2024-25 का बजट मानसून सत्र में प्रस्तुत किया जाएगा। इसके साथ ही वर्ष 2023-24 के लिए द्वितीय अनुपूरक बजट भी प्रस्तुत किया जाएगा। 13 दिन के इस सत्र में कुल 9 बैठकें होंगी। इस संबंध में विधानसभा सचिवालय ने अधिसूचना जारी कर दी है। विधानसभा के प्रमुख सचिव ने बताया कि बजट सत्र में कुल नौ बैठकें होंगी। राज्यपाल का अभिभाषण पहले दिन यानी सात फरवरी को होगा और इस पर प्रस्तुत कृतज्ञता ज्ञापन पर दो दिन चर्चा होगी। मोहन सरकार का यह पहला बजट सत्र होगा। वित्त विभाग के अधिकारियों का कहना है कि वित्तीय वर्ष 2023-24 की शेष अवधि के लिए द्वितीय अनुपूरक बजट प्रस्तुत किया जाएगा। इसमें लाड़ली बहना सहित अन्य योजनाओं के लिए विभागों को आवश्यकता अनुसार अतिरिक्त राशि उपलब्ध कराई जाएगी। लोकसभा चुनाव को देखते हुए इस बार बजट अभी प्रस्तुत नहीं होगा। इसके स्थान पर लेखानुदान प्रस्तुत किया जाएगा। यह एक लाख करोड़ रुपये का हो सकता है। इसके लिए विभागीय प्रस्तावों को इसी माह अंतिम रूप दे दिया जाएगा। सत्र में कुछ संशोधन विधेयक भी प्रस्तुत किए जा सकते हैं। इसके लिए विभागों को तैयारी करने के निर्देश दिए गए हैं।

Related Articles