खर्च का हिसाब नहीं दे रहे विभाग

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  • खजाने पर बोझ कम करने सरकार ने विभागों को पत्र लिखकर मांगी जानकारी

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। मप्र सरकार पर एक तरफ कर्ज का बोझ बढ़ रहा है, वहीं दूसरी तरफ विभाग अपने खर्च का हिसाब देने में आनाकानी कर रहे हैं। दरअसल, विभागों को जब-जब जरूरत पड़ी है सरकार ने उन्हें आर्थिक सहायता उपलब्ध कराने में मदद की है। लेकिन विभाग अब अपने खर्च का हिसाब नहीं दे रहे हैं। पूर्व में संबंधित विभागों को पत्र लिख जानकारी मांगी गई, लेकिन सकारात्मक परिणाम सामने नहीं आए। अब सरकार ने फिर से विभागों को पत्र लिखकर जानकारी मांगी है।
गौरतलब है कि एक अप्रैल 2024 से नया वित्तीय वर्ष शुरू होने पर सरकार ने विभागों को चार माह का बजट उपलब्ध करा दिया था। यह राशि जुलाई माह तक की है। इसके बाद खर्च की जरूरत भी है। शेष आठ माह का बजट तैयार करने वित्त विभाग ने पेश कर दिया है। जल्द ही विभागों को बजट स्वीकृत होगा। लेकिन विडंबना यह है कि विभागों ने अभी तक सरकार को पुराने बजट का हिसाब नहीं दिया है। राज्य में कर्ज का बोझ बढ़ा है। स्थिति यह है कि बजट से ज्यादा राज्य का कर्ज हो गया है। हालांकि सरकार कर्ज का बोझ करने के प्रयास में जुटी हैं।
खर्च कम करने की सलाह
सरकार के सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों, सहकारी संस्थाओं सहित अपने संगठनों से कहा गया है कि वे आय के स्रोत बढ़ाएं। खर्च कम करने की सलाह भी दी गई है। प्रमुख विभागों का बकाया, अग्रिम एवं ऋण इस प्रकार है। शहरी जलपूर्ति कार्यक्रम पर 19909.56 लाख, शिक्षा खेलकूद, कला व संस्कृति के लिए ऋण 40350.81 लाख, स्थानीय संस्थाओं, नगर पालिकाओं को ऋण 340.41 लाख,  आवास सहकारिताओं के लिए ऋण 51.39 लाख,  आवास मंडल को ऋण 4905.67 लाख, शहरी आवास 5783.67 लाख, ग्रामीण आवास 135.42 लाख, सार्वजनिक क्षेत्र तथा अन्य उपक्रमों को ऋण 37536.41 लाख, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र 10034.46 लाख, स्लम क्षेत्र का विकास 10500.44 लाख, स्थानीय निकायों, निगमों आदि को ऋण 115122.57 लाख और नगर पालिकाओं, नगर परिषदों का ऋण 9078.03 लाख है।
हिसाब का मिलान करने में सरकार को आ रहा पसीना
जानकारी के अनुसार सरकार की संस्थाओं, संगठनों की जब-जब आर्थिक स्थिति कमजोर हुई और उन्होंने मदद मांगी तब सरकार ने हर प्रकार से मदद की। कर्ज में सहयोग किया। अब इनके हिसाब का मिलान करने में सरकार को पसीना आ रहा है। संबंधित विभागों को पत्र लिख जानकारी मांगी गई, लेकिन सकारात्मक परिणाम सामने नहीं आए। अब सरकार ने फिर से विभागों को पत्र लिखकर जानकारी मांगी है।  रिकार्ड का मिलान न होने से वित्त विभाग की चिंता बढ़ी है। चिंता सीएजी की आपत्ति को लेकर भी है। हिसाब का मिलान न हुआ तो सीएजी सवाल जवाब करेगा। संचालक बजट बक्की कार्तिकेयन द्वारा सभी विभागों के अफसरों को लिखे पत्र में कहा है कि राज्य शासन के विभागों द्वारा उनके अंतर्गत संचालित संस्थाओं, उपक्रमों, मण्डलों, समितियों आदि को समय-समय पर स्वीकृत ऋणों एवं ऋणों पर ब्याज सहित वापसी आदि से संबंधित जानकारी प्रधान महालेखाकार कार्यालय से साझा नहीं की जा रही है। उन्होंने विभाग प्रमुखों से आग्रह किया है कि आपके विभाग के अंतर्गत आने वाली संस्थाओं तथा संगठनों इत्यादि के रिकॉर्ड का मिलान यथासंभव किए जाने के लिए संबंधितों को निर्देशित करें। जिससे ऋण एवं अग्रिम के आंकड़ों का अंक मिलान कार्य पूर्ण किया जा सके।

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