अपना काम छोड़ निर्माण कामों में अधिक रुचि है विभागों की

 विभागों
  • भोपाल विकास प्राधिकरण की आर्थिक स्थिति बीते कई सालों से बेहद खराब बनी हुई है…

    भोपाल/गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। वैसे तो प्रदेश में अलग-अलग कामों के लिए अलग-अलग विभाग हैं, इसके बाद भी कई बेहद महत्वपूर्ण विभाग ऐसे भी हैं जिनकी रुचि निर्माण कामों में अधिक हैं। इनमें वे विभाग भी शामिल हैं, जिनके पास मूलभूत सुविधाओं का भी जिम्मा है। इनमें स्वास्थ्य , पुलिस और सहकारिता जैसे विभाग शामिल हैं। इसकी वजह से इन विभागों में न केवल अमले की कमी बनी रहती है बल्कि उनका खर्च भी लगतार बढ़ता ही जा रहा है।  यह बात अलग है कि सरकार के पास निर्माण का काम करने के लिए न केवल पृथ्क से विभाग हैं , बल्कि कई एजेंसियां भी हैं। इसके बाद भी कई ऐसे विभाग भी निर्माण कार्य करते हैं जिनका इस काम से दूर -दूर तक वास्ता तक नही हैं। यह विभाग निर्माण कामों के लिए अन्य विभागों से संबंधित अमले को डेपुटेशन पर लेते हैं जिसकी वजह से उन विभागों को अमले की कमी से जुझना पड़ता है। इसमें खसतौर पर उनके समाने टेक्निकल अमले के अलावा अन्य जरूरी संसाधनों की कमी का संकट खड़ा हो जाता है।
    प्रदेश में सड़क, पुल पुलियों से लेकर भवनों तक का निर्माण काम लोक निर्माण विभाग करता है। इसके बाद भी सहकारिता विभाग ने आवास संघ, गृह विभाग ने पुलिस हाउसिंग कारपोरेशन का गठन कर निर्माण कामों को करना शुरू कर दिया। यही नहीं स्वास्थ्य विभाग में भी इस काम के लिए अलग से अमला तैनात कर रखा है। इसके अलावा सरकार ने इस काम के लिए हाउसिंग बोर्ड और विकास प्राधिकरण जैसी एजेंसियां भी बना रखी हैं। अगर विभाग सिर्फ अपना मूल काम ही करें तो तय है कि उनका काम न केवल अच्छा होगा, बल्कि खर्च में भी कमी आएगी।
    यह आती है दिक्कत
    अगर निर्माण कामों के विशेषज्ञों की माने तो सरकारी निर्माण एजेंसी जितनी कम होंगी उतना ही गुणवत्ता में सुधार होगा। इसकी वे वजह बताते हैं कि अधिक निर्माण एजेंसियां होने से टेक्निकल अमला कई जगहों पर बंट जाता है, जिसकी वजह से सभी जगहों पर इस अमले की कमी बनी रहती है। अगर पूरा अमला एक छत के नीचे कम काम करेगा तो अमले की कमी नहीं होगी दूसरा एजेंसियों के बीच बेहतर समन्वय हो पाएगा। उनका कहना है कि जब निर्माण कामों के लिए पीडब्ल्यूडी का गठन किया गया है तो उसे ही यह काम पूरी तरह से दिया जाना चाहिए। उसे छोड़कर अन्य विभागों को तो निर्माण कार्य करना ही नहीं चाहिए।
    यह हैं हाल  
    भोपाल विकास प्राधिकरण की आर्थिक स्थिति बीते कई सालों से बेहद खराब बनी हुई है। इसकी वजह से वह न तो अपने नए प्रोजेक्ट ला पा रहा है और न ही पुराने पूरे कर पा रहा है। इसका उदाहरण एयरोसिटी का प्रोजेक्ट है। इस पर 2012 में काम शुरू किया गया था। इसी तरह से मिसरोद चरण-2, राजा भोज नबीबाग प्रोजेक्ट भी बीडीए के लिए मुश्किल बने हुए हैं। हालत यह है कि लक्ष्मी परिसर प्रोजेक्ट को तो बीडीए को बीच में ही बंद करना पड़ा था। इसी तरह से सीपीए भी राजधानी के काम छोड़कर दूसरे शहरों में काम पर फोकस करने लगा था।

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